नयी दिल्ली। मोगेम्बो खुश हुआ डायलॉग बोलने वाले बॉलिवुड के शानदार आवाज वाले विलेन अमरीश पुरी की आज 87वीं जयंती है। भारतीय फिल्म उद्योग में अमरीश पुरी का नाम परिचय का मोहताज नहीं है। 22 जून 1932 को अमरीश पुरी का जंम पाकिस्तान के लाहौर में हुआ था। अमरीश पुरी जिस भी किरदार में होते उसमे अपनी जानदार आवाज से जान डाल देते थे। आज भी उनके फिल्मी डायलॉग याद किये जाते है। उनकी फिल्मी सफर आसान नहीं था। उनको कई बार निर्माता निर्देशकों की ओर से रिजेक्ट किया गया। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और बॉलिवुड से हॉलिवुड तक अपने हुनर और प्रतिभा का लोहा मनवाया। उन्होने 1940 से 1970 तक बॉलिवुड में काम किया और शोहरत कमायी। उनके दो भाइ पहले से ही बॉलिवुड में काम करते थे। भाई मदन पुरी और ओम पुरी भी फिल्मों में विलेन का रोल करते थे। स्टेज आर्टिस्ट के रूप में अमरीश पुरी ने अपनी खास पहचान बनायी थी। 1979 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी की ओर स्टेज आर्टिस्ट का खिताब मिला।
उनकी दमदार आवाज और डायलॉग डिलिवरी से फिल्मी दुनिया को एक शानदार और दमदार विलेन मिला जिसने बॉलिवुड ही नहीं बल्कि हॉलिवुड की फिल्मों में तहलका मचा दिया। उन्होने कभी काम से समझौता नही किया। पृथ्वी थियेटर से पहला काम मिला। इस वजह से उन्हे रेडियो और टीवी पर विज्ञापन करने का मौका मिला। 40 साल की उम्र में उन्होंने हिन्दी फिल्मों में काम करना शुरू किया। बॉलिवुड में आने से पहले वो बीमा एजेंट थे और लोगों को पॉलसियां बेचने का काम करते थे।
उन्होंने निर्देशक श्याम बेनेगल की फिल्म निशांत, भूमिका, जुबेदा, सुभाष घई की परदेश्, मेरी जंग, ताल और यश चोपड़ा की दिवाले दुल्हनिया ले जायेंगे, मशाल में दमदार भूमिकाएं निभाईं। उन्होंने हॉलिवुड डाइरेक्टर स्टीवन स्पेलवर्ग की इंडियाना जोंस एंड द टेपल आफ डूम में यादगार रोल किया।