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Indian credit rating is going down-Moodies

पिछले दो तीन माह से पूरी ​दुनिया में  कोविड 19 का कहर जारी है। इससे पूरे विश्व की आर्थिक हालत काफी बिगड़ गयी है। कोरोना वायरस का कहर भारत में भी जारी है। भारत में लॉकडाउन के चलते सारे उद्योग धंधे बंद चल रहे है। लोगों के पास नौकरियां नहीं रह गयी हैं भुखमरी की नौबत आ गयी है। प्रवासी मजदूर रोजी रोटी खत्म होने के कारण अपने घरों को वापस जाने को अमादा हैं। भारत भी आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है।

वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने शुक्रवार को कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की आर्थिक वृद्धि शून्य रह सकती है।

ऐसा क्यों है?

  1. भारत की क्रेडिट रेटिंग एकदम ज़मीन पर आ चुकी है। यानी देश में अब निवेश का कोई वातावरण नहीं है।
  2. आर्थिक व संस्थागत दिक्कतों को दूर करने के मामले में मोदी सरकार नीतिगत रूप से कमजोर है।
  3. निकट भविष्य में इसमें बेहतरी की संभावना भी नहीं है. उसने कहा कि कोरोनावायरस महामारी के कारण ऊंचे सरकारी ऋण, कमजोर सामाजिक व भौतिक बुनियादी ढांचा तथा नाजुक वित्तीय क्षेत्र को आगे और दबाव का सामना करना पड़ सकता है।

आगे क्या असर होगा?

  1. मूडीज ने कहा कि भारत की क्रेडिट रेटिंग के नकारात्मक परिदृश्य से पता चलता है कि जीडीपी की वृद्धि दर पहले की तुलना में काफी कम रहने वाली है।
  2. पहले से ही काफी उच्च स्तर का ऋण दबाव और बढ़ सकता है।
  3. कोरोना वायरस महामारी से लगा झटका आर्थिक वृद्धि में पहले से ही कायम नरमी को और बढ़ा देगा. इसने राजकोषीय घाटे को कम करने की संभावनाओं को पहले ही कमजोर कर दिया है।
  4. मूडीज की स्थानीय इकाई इक्रा ने इस महामारी के कारण वृद्धि दर में दो प्रतिशत की गिरावट की आशंका व्यक्त की है।

एक तरफ देश में प्रवासी मज़दूरों की बिछती लाशें और उधर डूबती अर्थव्यवस्था।

मोदी सरकार में अगर थोड़ी भी शर्म बाकी हो तो फौरन इस्तीफ़ा देकर राष्ट्रीय सरकार का गठन करे।

देश उसी के हाथ में जाना चाहिये, जो इसे चलाने के काबिल हो।

सौमित्र रॉय

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