भारत में लॉक डाउन का खुलेआम मजाक उड़ाया जा रहा है। एक तरफ तो दिहाड़ी मजदूरों और आम जनता के लिये लॉक डाउन तोड़ने पर लाठियां बरसायी जा रही हैं। लोगों को जेल तक में ठूंस दिया जाता है। लेकिन दूसरी ओर सत्ताधारी दल के नेता और विधायकों को लॉक डाउन में बाहर घूमने के लिये विशेष पास सरकार दिलवा रही है। यहां तक कि यूपी में सीएम ने कोटा में कोचिंग करने गये यूपी के छ़ात्रों को वापस लाने के लिये 300 बसें भेजीं। हजारों की संख्या में छात्रों को लाया भी गया। वहीं बिहार के एक विधायक को अपनी बेटी को घर लाने के लिये जिला प्रशासन ने विशेष पास मुहैया कराया। इतना ही नहीं विधायक अपने साथ सरकारी गाड़ी व दो अंगरक्षकों को भी अपने साथ कोटा ले गये। यह मामला सोशल मीडिया में जब काफी वायरल हुआ तो एसपी ने विधायक के दोनों बॉडी गार्ड व कार चालक को सस्पेंड कर दिया। लेकिन पास देने वाले अधिकारी और डीएम पर सरकार की ओर से कोई ऐक्शन नहीं लिया गया है। विधायक पर भी पार्टी की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गयी है।
मालूम हो कि कुछ दिनों पहले बिहार के नवादा हिंसुआ बीजेपी विधायक अनिल सिंह अपनी बेटी को कोटा से वापस लाने के लिये राजस्थान के कोटा गये थे। इस दौरान उनके दो अंगरक्षक और सरकारी गाड़ी भी थे। कोटा जाने से पहले उन्होंने नवादा के कलेक्टर से विशेष पास की मांग की जिसे कलक्टर के कहने पर एसडीएम ने मुहैया कराया गया। जब सोशल मीडिया में यह मामला वायरल हुआ तो नवादा पुलिस ने दोनों अंगरक्षकों और कार चालक को सस्पेंड कर दिया। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि पास जारी करने वाले एसडीएम और जिला कलक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई अब तक क्यों नहीं की गयी है। यह भी चर्चा में कि बीजेपी इस मामले मेे चुप्पी क्यों साधे हुए है।