पिछले एक डेढ़ माह से देश कोविड 19 के कहर से जूझ रहा है। हजारों की संख्या में लोग इससे संक्रमित हो रहे है। सैकड़ों लोग इससे मौत के मुंह में जा चुके हैं। हर तरफ कोहराम मचा हुआ है। हालात यह हैं कि पूरे देश में सरकार ने तालाबंदी का ऐलान कर दिया है। 21 दिन तक पूरे देश में लॉक डाउन घोषित कर दिया गया है। जो जहां है वहीं फंस कर रह गया है। पिछले एक सप्ताह में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या में बेतहाशा इजाफा होता जा रहा है। केन्द्र व प्रदेश सरकारें हर संभव प्रयास कर लोगों को कोरोना से बचाने का प्रयास कर रही हैं। ऐसे में बेहद चौंकाने वाली खबर सामने आयी है कि सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों का हजारों करोड़ का भुगतान नहीं किया है।
सीजीएचएस, ईएसआई और ईसीजीएच के अस्पतालों से मरीजों को प्राइवेट अस्पतालोंं में इलाज के लिये रिफर किया जाता है। वहां पर रोगियों का इलाज काफी अच्छी तरह किया जाता है। सरकारी अस्पतालों के डाक्टर उन मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में रिफर करते हैं जहां आधुनिक तकनीकी और मशीनें होती है जो सरकारी अस्पतालों में नहीं होती हैं। मरीजों के इलाज का पैसा सरकार प्राइवेट अस्पतलों को दिया जाता है।
रोगियों का इलाज करने वाले प्राइवेट अस्पतालों का सरकार पर करीब 20 हजार करोड़ रुपए बकाया है। देशभर में इस तरह के छोटे-बड़े करीब एक हजार प्राइवेट अस्पताल हैं जहां 50,000 बेड की क्षमता है।करीब डेढ़ साल से बकाया पैसा न मिलने से ये अस्पताल सीजीएचएस, ईएसआई और ईसीजीएच से जुड़े रोगियों का ईलाज करने से कतराते हैं। कोविड इम्पोवेर्ड ग्रुप के चेयरमैन सीके मिश्रा ने वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर प्राइवेट अस्पतालों के पैसों का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए कहा है। आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि देश में स्वास्थ्य सेवाओं का क्या हाल है। अलबत्ता सरकार के लिए नया संसद भवन, कुम्भ पहली प्राथमिकता है।
By Sr. Journalist Saumitra Roy