नई दिल्ली। हिंदी भवन, नई दिल्ली द्वारा अपने सभागार में आयोजित ‘हिंदी रत्न सम्मान’ समारोह में इतने अधिक लोगों की भीड़ देखी गई जितनी सामान्यतः किसी अत्यंत लोकप्रिय नेता या अभिनेता के आने पर होती है। 300 से अधिक क्षमता के सभागार की सभी सीटें भर जाने के बाद लोग सभागार की गैलरी में और उसकी सीढीयों पर बैठ गए तथा वहाँ उपस्थित अधिकांश लोगों का यह कहना था कि हिंदी के समारोह में उन्होंने ऐसी भीड़ अब तक कहीं नहीं देखी है ।
हिंदी भवन द्वारा एक अगस्त को राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन जी की जयंती पर उनके अनुयायी तथा प्रसिद्ध पत्रकार भीमसेन विद्यालंकार जी की स्मृति में दिया गया यह 22 वां हिंदी रत्न सम्मान इस वर्ष अपने निष्पक्ष तथा निर्भीक लेखन के लिए विख्यात हिन्दुस्थान समाचार एजेंसी के निदेशक मंडल के सदस्य तथा इस समय इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के अध्यक्ष राम बहादुर राय को दिया गया ।
इस अवसर पर बोलते हुए श्री राय ने कहा कि संविधान में भारत सरकार की राजभाषा ‘हिंदी को बनाया गया अतः उच्च शिक्षा, ज्ञान, राज्य और बाजार की पहली भाषा के सिंहासन पर जहां हिंदी होनी चाहिए, अन्य भारतीय भाषाएं होनी चाहिए वहां आराम से अंग्रेजी बैठ गई है । आज जरूरत है कि भाषाई चिंतन का पूरा परिपेक्ष्य बदले ।
श्री राय ने बताया कि एक अध्ययन से बहुत सनसनीखेज तथ्य यह निकला है कि यूरोपीय संघ के गैर ब्रिटिश सदस्य हर साल अंग्रेजी भाषा की प्रभुत्वशाली स्थिति के कारण ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को पच्चीस अरब यूरो का भुगतान कर रहे हैं । इस अध्ययन के बाद यूरोपीय विद्वान एक समतामूलक भाषा प्रणाली अपनाने का अभियान चला रहे हैं । उन्होंने कहा कि जो बात यूरोप को चिंता में डुबो रही है वह भारत पर भी पूरी तरह से लागू होती है । यूरोप में यह समस्या नई है परंतु भारत में पुरानी है ।
श्री राय को हिंदी रत्न सम्मान हिंदी भवन के अध्यक्ष टी.एन. चतुर्वेदी, हिंदी भवन के मंत्री, डा. गोविन्द व्यास तथा श्री हिन्दी भवन न्यास समिति के सदस्यों द्वारा प्रदान किया गया । समारोह में गुजरात के पूर्व राज्यपाल, अनेक सांसद, दिल्ली तथा चैधरी चारण सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति, दूरदर्शन के पूर्व महानिदेशक, सरकार तथा पुलिस के अनेक वरिष्ठ अधिकारी, उद्योगपति, पत्रकार व अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे ।