
मोदी शाह की जोड़ी ने दोबारा सत्ता में आते ही अपनी करामात दिखाना शुरू कर दी है। मई में मोदी सरकार पार्ट 2 ने दोबारा काम करना शुरू कर दिया। इसी के तहत मोदी ने इस बार शाह को होम मिनिस्टर बनाया और राजनाथ को डिफेंस मंत्री। यह सब इसलिये किया गया कि राजनाथ की इमेज नरमपंथी के तौर पर जानी जाती है। वहीं शाह अपनी जिद और दबंगई के बारे में कुख्यात हैं। मोदी सरकार पार्ट की शुरू से ही अमित शाह ने कर्नाटक पर अपनी वक्र दृष्टि डाली और वहां का तख्ता पलट करवा भाजपा की सरकार बनवाने सफल हुए। बीएस येदुरप्पा एक बार फिर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने। ये शायद उनका आखिरी शासनकाल भी हो सकता है। क्यों कि उनकी उम्र इस वक्त 75 साल से ज्यादा है। भाजपा नेतृत्व किसी ऐसे नेता को बड़ी जिम्मेदारी देने के पक्ष में नहीं है जो 75 साल का हो। येदुरप्पा के मामले में शाह ने नरम रुख अपनाते हुए कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनने की हरी झण्डी दी है।
भाजपा के इशारे पर कांग्रेस व जेडीएस के 17 विधायकों बगावत करते हुए पार्टियों से इस्तीफा दिया। भाजपा ने इन विधायकों को कैश के साथ अपनी सरकार बनने पर मंत्री पद का प्रलोभन भी दिया था। लेकिन विधानसभा स्पीकर ने बागी विधायकों का खेल बिगाड़ते हुए उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया। लेकिन इससे बीजेपी सरकार को फायदा हुआ। अगर बागी विधायक अयोेग्य न हुए होते तो उन सभी 17 लोगों को मंत्री बनाना पड़ता ऐसे में उनके अपने खास विधायकों को मंत्री बनाने में काफी दिक्कतें आतीं। क्यों कि कर्नाटक विधानसभा में 34 से अधिक मंत्री बनाने का प्रावधान नहीं है। ऐसे में सांप भी मर गया और लाठी भी न टूटी। यानि कांग्रेस जेडीएस की सरकार का पतन भी हो गया और बीजेपी सरकार का गठन भी हो गया वो भी बिना किसी और पार्टी की सहायता के बिना।
आपरेशन कर्नाटक के बाद शाह का अगला कदम जम्मू कश्मीर की ओर था। उन्होंने सबसे पहले वहां भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात कर दिया। वहां के जितने भी राजनीतिक दलों के बड़े नेताओं को नजरबंद करवा दिया। इसके साथ वहां अघोषित फौजी शासन लागू कर दिया। उनका अगला कदम लोकसभा और राज्यसभा में अनुच्छेद 370 और जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करना था। इसमे वो काफी सफल भी हुए। 5 अगस्त से अब तक वहां फौजी शासन ही लगा हुआ है। किसी भी राजनीतिक दल के विरोध का मोदी सरकार पर कोई असर नहीं हुआ। दो चार दिनों से वहां पाबंदियों कम की जा रही हैं ऐसे दावे सरकार के हैं। ये सोचिये कश्मीर और जम्मू में जहां भाजपा का इतना प्रभाव नहीं है वहां उन्होंने बड़ी आसानी से विपक्ष को कुचल कर रख दिया है। तो उन प्रदेशों में क्या होगा जहां भाजपा का शासन चल रहा है। मोदी सरकार ने साफ संकेत दे दिये हैं कि या तो उनके दल और सरकार को समर्थन दो या जेल जाने के लिये तैयार रहो। जो भी उनका विरोध करने की हिमाकत करेगा उसे सरकारी एजेंसियों का कोप और कहर झेलना पड़ेगा। लालू प्रसाद, तेजस्वी और राबड़ी देवी के साथ पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम पर ईडी और सीबीआई का शिकंजा कसता जा रहा है। यूपी में सपा प्रमुख अखिलेश और मायावती भी मोदी सरकार के इशारों पर ईडी और सीबीआई ने छापेमारी की थी।
मोदी सरकार के निशाने पर अब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के सुप्रीमो राज ठाकरे आ गये है। आम चुनाव में भी राज ने कांग्रेस के समर्थन और मोदी सरकार के विरोध में प्रचार किया था आगामी विधान सभा चुनाव में भी राज ठाकरे के तेवर ढीले नहीं पड़ते देख मोदी सरकार ने ईडी को उनके पीछे लगा दिया है। इसके बावजूद विपक्ष् की ओर से कोई यूनिटी या विरोध का संकेत नहीं दिख रहा है। अब नहीं चेते तो भाजपा का विपक्ष मुक्त भारत का सपना होने में देर नहीं लगेगी।