
शनिवार के दिन पूर्व भाजपा राज्यसभा सांसद व वित्त मंत्री अरुण जेटली का निधन दिल्ली के ऐम्स में दोपहर लगभग सवा 12 बजे हुआ। लोग उनकी प्रतिभा और वाक चातुर्य के लिये भी हमेशा याद करेंगे। इतना ही नहीं लोग उनके रॉयल रहन सहन के कायल थे। कुछ भाजपा नेताओं जेटली फूटी आंख नहीं सुहाते थे। कारण यह था कि न तो वो भीड़ जुटाउ नेता थे और न ही प्रचार प्रसार मे इतने सक्रिय रहते थे। इसके बावजूद पार्टी में उनकी सदा पूछ रही। वो हमेशा कोर कमेटी के अहम् सदस्य रहते थे चाहे पीएम मोदी हों या अटल दोनों की सरकारों में वो अहम् पोर्ट फोलियो को संभालत थे। लेकिन असली काम तो जेटली ने मोदी सरकार में रह कर किया। उन्होंने वित्त मंत्री रहते जो दो महत्वपूर्ण कार्य किये उनमें नोटबंदी और जीएसटी है। इन दोनों कामों को बीजेपी अपनी उपलब्धि बताती है तो विपक्ष इन दोनों को देश का काला इतिहास बताते हैं।
नोटबंदी से देश के अनेक छोटे कारोबार चौपट हो गये। लोगों को बेेरोजगार होना पड़ा। लघु उद्योगपतियों ने धंधे बंद कर दिये। दूसरे प्रदेशों ने महानगरों में काम धंधा करने आये लोगों को वापस अपने गांवों में जाकर खेती के लिये जाना पड़ा। नोटबंदी ने देश की अर्थव्यवस्था को भी कमजोर किया लेकिन मोदी सरकार ने इसे एक सफल कदम बताया। वो यह कहते नहीं थक रहे थे कि नोटबंदी से काला धन बाहर आ गया। नोटबंदी से केवल वो लोग परेशान हैं जिनके पास काला धन था। उन्हें अपना काला धन सफेद करने का मौका नहीं मिला। कश्मीर में आतंकवादियों की कमर टूट गयी। लेकिन उनके ये दावे बिल्कुल खोखले साबित हुए। लोगों ने बैंक अफसरों से मेलजोल कर अपना सारा छुपा काला धन जमा कर सफेद कर लिया।
अभी लोग नोटबंदी की चोट से उभरे भी नहीं थे कि जुलाई 2017 में वित्तमंत्री जेटली ने जीएसटी लागू कर दी। पहले लोगों को साल में एक बार अपनी रिटर्न भरनी होती थी। नयी जीएसट प्रणाली में सभी व्यापारियों को हर माह अपने बिजनेस की रिपोर्ट आयकर विभाग को देनी पड़ती है। इससे वो व्यापारीवर्ग परेशान हो गया जो बहुत ही छोटे स्तर पर काम करता है। कम पढ़ा लिखा होने के कारण जीएसटी की जटिलता को समझने में नाकाम रहते हैं। अब अपने काम के लिये उन्हें एक कंप्यूटर, लैपटाप और जीएसटी जानकार को रखना पड़ रहा है जो उसकी क्षमता के बाहर होता है लेकिन अगर वो ऐसा नहीं करेगा तो उसे आयकर व बिक्री कर विभाग की कारवाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
जीएसटी लगने से सिख समुदाय खास तौर से नाराज रहा। वित्त मंत्री ने जीएसटी के तहत लंगर में खरीदी जाने वाली खाद्य सामग्री पर भी भारी कर लगा दिया। गुरुद्वारा कमेटियों का कहना है कि वो लगर चला कर आम जनता का पेट भरते हैं। ऐसे में उन्हें जीएसटी से छूट मिलनी चाहिये। लेकिन वित्त मंत्री ने उनकी इस दलील को नकारते हुए जीएसटी में कोई छूट नहीं दी। सबसे दिलचस्प बात यह है कि जनता ने इन सब बातों को भुला कर एकबार फिर सत्ता की कमान दे दी। 2014 से भी ज्यादा सीटें जीत कर बीजेपी ने यह साबित कर दिया कि जनता का उनकी सरकार और मोदी पर विश्वास है।