सामान्यतौर पर जब किसी के जेल जाने की नौबत आती है तो लोग इससे निपटने के लिये हरसंभव प्रयास करते हैं कि जेल न जाना पड़े लेकिन शायद नेताओं के लिये जेल जाना किसी पिकनिक मनाने जैसा होता है। फिलहाल ऐसे उदाहरण देखने को मिल रहे हैं जिससे साफ झलकता है कि नेता तो बस नाम के लिये जेल जाते हैं। उनके रहन सहन, खानपान और मुलाकातियों पर कोई रोकटोक नहीं लगती है। ताजा मामला मध्यप्रदेश के इंदौर जिले के एक विधायक का है जिसने नगर निगम के एक अफसर की सरेआम बैट से पिटाई कर दी। विधायक को जेल में मिले वीआईपी ट्रीटमेंट मिलने को लेकर अब जेल प्रशासन की फजीहत हो रही है।
यह मामले का वीडियो जब वायरल हुआ तो लोकल प्रशासन जागा। ेजमानत मिलने के बाद जब विधायक आकाश विजय वर्गीय जेल से रिहा हुए तो उनका ऐसा स्वागत हुआ जैसे वो किसी महान कार्य को संपन्न कर स्वदेश वापस आये हैं। उनके समर्थकों सरेआम गोलियां चला कर उनको सलामी दी। एमएलए के चेहरे पर किसी भी प्रकार की शिकन नजर नहीं आ रही थी बल्कि एक पत्रकार के सवाल पर जवाब दिया कि जेल में उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं हुई। बड़ा ही अच्छा जेल प्रशासन की ओर से सहयोग मिला। पता चला कि एक दिन में विधायक से मिलने जुलने के लिये उनके घरवालों के अलावा समर्थक और पार्टी के कार्यकर्ताओं का आना जाना लगा रहा। नियम कायदों को ताक पर रख कर विधायक के लिये उनके घर से खाना भी आया।
इसी कड़ी में मध्यप्रदेश के ही सतना जिले में एक बीजेपी के नेता ने सीएमओ को सरेआम अपने समर्थकों के साथ लाठी डंडों से इतना पीटा कि उसे जान बचा कर भागना पड़ा। सीएमओ का लोकल सरकारी अस्पताल में इलाज चल रहा है।
पुलिस ने मामला दर्ज कर उस प्रभावशाली व दबंग विधायक को गिरफ्तार कर जेल भेजने की खानापूरी की। यह बात और है कि संडे को एक स्पेशल कोर्ट से विधायक को जमानत मिल गयी। यह देखा जा रहा है कि जबसे मोदी पार्ट 2 शुरू हुआ है बीजेपी नेता विधायक और सांसद इतने बेलगाम हो गये हैं कि उन्हें कानून और पुलिस का कतई भय नहीं रह गया है। यह कहना कलत नहीं होगा कि मान चुके हैं कि अब देश का कानून और पुलिस उनकी जेब में है। मामला बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय से जुड़ा है जो स्वयं अपने अटपटे बयानों और दबंगई के लिये कुख्यात है। 90 के दशक में उन्होंने भी एक आईएएस अधिकारी को दिनदहाड़े थप्पड़ मारकर सनसनी फैला दी थी। अब अगर यह हिमाकत उनके विधायक बेटे आकाश ने दिखायी है तो इसमें चैंने वाली कौन बात है। संस्कार तो उन्हें अपने पिता से ही मिले हैं।