Home Editorial बिहार में रहस्यमयी बीमारी और बद्हाली की भेंट चढ़ गये 60 नौनिहाल

बिहार में रहस्यमयी बीमारी और बद्हाली की भेंट चढ़ गये 60 नौनिहाल

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बिहार में रहस्यमयी बीमारी और बद्हाली की भेंट चढ़ गये 60 नौनिहाल
60 children killed in Chamki fever in Muzaffarpur Bihar due to mismanagement in Govt.hospital, Local Admn paralised

पिछले 15 दिनों से बिहार के मुजफ्फरपुर में एक अजीब सी बीमारी चमकी ने स्थानीय लोगों का जीन मुहाल कर दिया है। खासतौर से छह माह के बच्चों से लेकर आठ दस साल के बच्चे इस जानलेवा बीमारी के शिकार बन रहे हैं। गुरुवार तक 60 बच्चे मौत के मुंह में समा चुके है। केन्द्र प्रदेश सरकार के मंत्री और नुमाइंदे सिर्फ आश्वासन की घुट्टी दे रहे हैं। बड़ी बेशर्मी से पुरानी सरकारों के समय में हुई मौतों को याद दिला के यह कह रहे हैं कि हमारी सरकार में उतनी मौतें नहीं हुई है। शर्म की बात यह है कि बिहार के स्वास्थ्य मंत्री ने वहां जा कर मौका मुआयना भी करना ठीक नहीं समझा। सीएम सुशासान बाबू ने वहां जाने की जरूरत नहीं समझी है। अफसोस की बात तो यह है कि हाल ही में हुए आम चुनावों में बिहार की इन्ही मतदातओं ने जेडीयू ओर बीजेपी के नेताओं को भारी मतों से सांसद बना कर भेजा है। इन सांसदों की आंखों का पानी इतनी जल्दी तो नहीं मरना चाहिये। एक माह के भीतर उन्होंने अपनी जात दिखा दी। बिहार में बीजेपी और जेडीयू के 39 सांसद चुनाव जीते हैं। इतनी शानदार जीत के बाद भी वहां की सरकार और मोदी सरकार के मंत्रियों के पास मुजफ्फरपुर के नौनिहालों को बचाने की फुरसत नहीं। पीएम मोदी ने जब दोबारा केन्द्र में जिम्मेदारी संभाली थी तो उन्होंने एक जुमला उछाला कि सबका साथ सबका विकास और सबका का विश्वास। ऐसे ही विश्वास जीतें पीएम जैसे सत्ता संभाली अल्पसंख्यकों पर अत्याचार शुरू हो गया। बिहार के एक जिले में 60 से अधिक च्चे मर जाते है और दोनों सरकारें केवल भाषणबाजी कर इतिश्री कर लेते हैं।

स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे इस मामले पर यह कह कर अपनी और प्रदेश सरकार को बचाने का प्रयास कर रहे हैं केन्द्र से एक हाई लेविल डाक्टरों की टी मुजफ्फरपुर भेज दिया है। दोनों ही सरकारों की ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। मंत्री जी इस बात से बिल्कुल भी सहमत नहीं है कि प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं दम तोड़ रही हैं। दुर्भाग्य की बात है कि मुजफ्फरपुर के सरकारी अस्पताल में चमकी से पीड़ित इतने बच्चे आ रहे हैं कि उन्हें बेड तक नसीब नहीं हो रहे हैं। बच्चों के मां बाप को ही ​ग्लूकोज की बोतल पकड़नी पड़ रही है। आवश्यकता भर के भी डाक्टर वहां नहीं हैं जो बच्चों का इलाज कर सकें। सीरियस बच्चों को बिहार ​की राजधानी पटना तक लाने के लिये रोगी वाहन तक मुहैया नहीं है। ऐसे में केन्द्र व प्रदेश सरकारों के दावे कितने खोखले हैं इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है।

टीवी चैनल भी पीएम मोदी के विदेश दौरों की पलपल की खबरें ब्रेकिंग न्यूज चला रहे हैं। किसी चैनल ने वहां जा कर बच्चों की मौत पर कोई भी सवाल केन्द्र व सरकार से नहीं पूछ रहे हैं। टीवी चैनल वाले भी गरीब और असहायों लोगों के बच्चों की मौत की खबर केवल पट्टी पर चला कर पत्रकारिता के मुंह तमाचा मार रहे है। एक मात्र नये चैनल इस गंभीर विषय पर जोरदार तरीके से इस विषय को उठाया। शायद उनके अंदर का इनसान शायद अभी जिंदा है।

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