पिछले सप्ताह मॉब लिंचिंग को लेकर 49 फिल्मी कलाकारों और साहित्यकारों ने एक चिट्ठी लिखी। उस चिटठी में यह कहा गया कि जिस तरीके से देश के अनेक इलाकों में अनियंत्रित भीड़ समुदाय विशेष, दलित और आदिवासी लोगों का अपना शिकार बना रहे हैं इससे साफ जाहिर होता है कि इन हादसों की आड़ में उपरोक्त लोगों से बदला लिया जाता है। यह देखा जाता है कि यह सभी हादसे उन प्रदेशों में हो रही है जहां बीजेपी की सरकारें हैं। एनसीआरबी की रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि पिछल पांच सालों में लगभग 840 लोग मॉबलिंचिंग के शिकार हुए है। यह आंकड़े सरकारी विभाग ने जारी किये है। खत में यह भी लिखा है कि अब भीड़ अचानक आती है विक्टिम को घेर लेती है और साथ उनसे श्रीराम का नारा लगवाते हैं जो नहीं लगाते हैं उन्हें यह सब पीट पीट कर अधमरा कर देते हैं। सामने पुलिस और स्थानीय प्रशासन मूक दर्शक बना देखता रहता है
पीएम को चिट्ठी वाले लोगों में फिल्मी कलाकार निर्माता अनुराग कश्यप, मणि रत्नम,अभिनेत्री अपर्णा सेन,श्याम बेनेगल, शुभा मुदगल, स्वरा भास्कर कोंकना सेन शर्मा और रामचंद्र गुहा समेत अनेक फिल्मी हस्तियों और साहित्यकारों ने खुले पत्र में हस्ताक्षर किये हैं। प्रधानमंत्री मोदी अक्सर कहते हैं कि लोकतंत्र में ऐसी घटनायें होना लाजिमी है। ऐसे में तनावग्रस्त नहीं होना चाहिये। हम सभी लोग शांति पंसद कलाकार हैं ऐसी घटनाओं से परेशान होना लाजिमी है। यह हादसे लगातार होते जा रहे है। पीएम को पत्र 23 जुलाई को लिखा गया।
उसके अगले दिन ही लगभग 64 फिल्मी कलाकारों और साहित्यकारों ने पीएम को खत लिख कर पीएम मोदी को समर्थन यह कहा कि उनसे पहले जिन लोगों ने पीएम को ओपन लैटर वो लोग सिर्फ एक ही पहलू देखते हैं। ये लोग तब नहीं बोले थे जब कश्मीर में हिन्दुओं का कत्ले आम हुआ था। हिन्दुओं पर जब अत्याचार होता है तो ये लोग चुप रहते हैं। इस बार भी वही लोग शामिल हैंं जिन्होंने पिछली बार पीएम मोदी के पक्ष् में मार्च निकाला था। इनमें अनुपम खेर, मधुर भंडारकार, विवेक राय, मालिनी अवस्थी समेत अन्य फिल्मी कलाकार हैं जिनको बाद में सरकार की ओर राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा था। इस बार भी वही लोग हैं जा सरकार से रेवड़ी बंटने का इंताजर कर रहे है। ये लोग 49 लोगों को टुकड़ा गैंग का सदस्य बताते है। कुछ लोगों ने इन्हें देशद्रोही तक कह डाला है।