पिछले दो माह से पूरी दुनिया कोरोना के कहर से त्रस्त है। लाखों की संख्या में लोग मारे गये हैं। भारी तादाद में लोग संक्रमित हो रहे हैं। दुनिया की अर्थ व्यवस्था जमीन पर आ गयी है। वहीं कुछ लोग ऐसे में भी धंधा चमकाने में लगे है। जैसे भारत में कोरोना के मरीज पहचाने गये न जाने कितनी कंपनियों ने कोरोना महामारी को लेकर अपने उत्पादों को बाजार में उतार दिया। इस बात को फैलाने के लिये उन्होंने टीवी और अन्य मीडिया के माध्यमों का सहारा लिया। बड़े बड़े अभिनेताओं ने उनके उत्पादों का प्रचार करते हुए कहा कि इन उत्पादों के प्रयोग से कोरोना के कहर से बचा जा सकता है। देश की भोली भली जनता ऐसे विज्ञापनों के चक्रव्यूह में फंस कर विज्ञापनों में दिखाये गये उत्पादों को खरीदने को बेताब हो गयी। जनता कोरोना से न बची लेकिन इन कंपनियों को करोड़ों का फायदा जरूर हो गया।
वहीं दूसरी ओर कुछ कंपनियों ने मास्क को बेचकर अपनी तिजोरियां भरीं। इन कंपनियों जनता को भ्रमित कर करोड़ों रुपये के मास्क बेच कर भारी मुनाफा कमाया। इसमें भी टीवी और अन्य मीडिया ने इस लूट में जमकर साथ दिया और चांदी काटी। इस बात का प्रमाण यह है कि देश के प्रधानमंत्री ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के दौरान अपना चेहरा साधारण से गमछा लपेट रखा था। इस बात से साफ हो गया कि मास्क की बिक्री के लिये भी मीडिया के जरिये दबाव बनाया गया। जब कि सामान्य तौर पर कोरोना के वायरस से बचने के लिये रुमाल, गमछा या अंगोछे का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े डाक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ को विशेष मास्क लगाना जरूरी है। लेकिन मीडिया ने ऐसा प्रचार किया कि हर किसी के लिये मास्क लगाना जरूरी है।
कोरोना के देश में दस्तक देने के साथ टीवी पर जमकर सेनेटाइजर के विज्ञापनों की भरमार हो गयी। विज्ञापनों में यह दिखाया कि कोरोना से बचने के लिये हर किसी को सैनेटाइजेशन करना जरूरी है। भारत जैसे देश में लोग विज्ञापनों के फेर में फंस कर मिट्टी तक खरीद लेते हैं। इस मामले में सरकारी विज्ञापनों का भी बड़ा योगदान रहा है। विज्ञापनों में दिखाया गया कि कोरोना वायरस को दूर रखने के लिये सैनेटाजर का इस्तेमाल किया जाये। इन विज्ञापनों को देख कर देश की नामचीन कंपनियों ने सैनेटाइजर और हैंडवाश की मार्केटिंग शुर कर दी। जहां एक तरफ देशवासी कोरोना से निपटने में जुटे हुए थे वहीं मुनाफाखोर कंपनियां साधारण उत्पादों को बेच कर अपनी जेबें भरने में लग गयीं।
खिलाड़ी कुमार एक कंपनी के उत्पाद का प्रचार करते हुए कह रहे हैं कि इसके इस्तमाल से कोरोना दूर भाग जायेगा। बहुत सारे नामचीन लोग सैनेटाइजर के प्रचार मे जुट गये। उनमें रामायण के श्रीराम भी किसी कंपनी विेशेष के हैंड वाश का प्रचार कर रहे हैं। संतूर, डिटॉल और सेवलॉन जैसे प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियां भी हैंड वाश बनाने लगीं और जनता की कमाई का दोहन करने लगीं।
वैज्ञानिकों की मानें तो किसी भी साबुन से अच्छी तरह हाथ धोने से कोरोना के वायरस समाप्त हो सकते हैं। अगर यह सही है तो सैनेटाइजर और हैंडवाश बेचने की बात कहां से आ गयी। यह सब एक सोची समझी चाल के तहत किया गया है। पहले सरकारी विज्ञापनों में हैंड वाश और सैनेटाइजर का प्रचार कराया गया जिससे बड़ी बड़ी कंपनियां बाजार में हैंड वाश और सैनेटाइजर बेच सकें। सरकार ने भी अपने कार्यालयों में सैनेटाइज करने के लिये नामचीन कंपनियों को मुंहमांगी कीमत पर ठेका दिया। देश की जनता टीवी यह अखबार में दिये गये विज्ञापनों पर इतना भरोसा करती है और उसकी इस कमी का सरकार की शह पर उत्पाद बनाने वाली कंपनियों पे करोड़ों की कमाई कर डाली।