केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अपने खरीदे हुए मीडिया से झूठा दुष्प्रचार करवा रही है। एनएसए चीफ अजित डोवाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी की बातचीत के बाद चीनी विदेश मंत्रालय के बयान को पढ़ें।
बयान में कहीं भी पीछे हटने या तनाव कम करने की बात नहीं कही गई है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ ली जियान से जब यह पूछा गया कि क्या चीनी सेना ने गलवान घाटी से मशीनों और उपकरणों को हटा लिया है? इस पर प्रवक्ता ने सिर्फ इतना ही कहा कि दोनों तरफ से तनाव कम करने की कोशिश जारी है। यानी डोवाल और वांग के बीच कोई डील नहीं हुई। डील असल में मोदी सरकार और मीडिया के बीच हुई है- झूठ फैलाने की।
चीन का कहना है कि वांग ने डोवाल से बातचीत में कहा कि विकास को अमलीजामा पहनाने के लिए दोनों देशों के लंबी अवधि के सामरिक हित हैं। दोनों को एक-दूसरे के लिए खतरा नहीं बनना चाहिए। चीन ने गलवान घाटी पर पहले ही कब्जा जताया हुआ है। बयान के बाद चीनी विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि चीन गलवान घाटी पर अपना दावा नहीं छोड़ेगा। फिर बचा क्या?
मीडिया में एक और शब्द आ रहा है “बफर जोन”। यानी जहां न चीन हो न भारत। साफ है कि भारत ने गलवान घाटी में चीन की कब्जाई ज़मीन का सौदा कर लिया है। भारत की सेना पेट्रोलिंग पॉइंट 14, 15, 17 और 17A तक में पेट्रोलिंग करती आई है। बफर जोन का मतलब है, हमारी सेना हमारे ही इलाके में चौकसी नहीं कर पायेगी। चीन भी यही कर रहा था। वह हमारे इलाके में घुसकर हमारे जवानों को चौकसी से रोक रहा था।
डोवाल ने चीन की मर्ज़ी, उसके कब्जे, उसके तमाम दावों (इसमें यह भी शामिल है कि 15 जून को भारत के सैनिक चीन की सरहद में घुसे थे) को मान लिया है। देश बेचना इसे ही कहते हैं। मोदी सरकार ने डोकलाम के बाद दूसरी बार यह कर दिखाया है।
वरिष्ठ पत्रकार सोमित्र रॉय की फेसबुक वाल से