corona-virus.vs modi (1)
India is facing critical condition through Covid 19, Modi Govt. is trying best efforts.

आज के विषम हालात में महाभारत काल की एक अहम् घटना याद आ रही है। घटना उस वक्त की है महाभारत का युद्ध चरम पर था अर्जुन अन्य क्षेत्र में युद्ध कर रहे थे। इसी बीच दुर्योधन चक्रव्यूह की रचना करवा दी। इस वयूह को केवल अर्जुन ही वेध सकते थे। ऐसे में पांडवों के सामने यह विकट समस्या उत्पन्न हो गयी कि अब युद्ध में चक्रव्यू कैन तोड़ेगा।
अर्जुन के बेटे अभिमन्यु ने अपनी मां के गर्भ में ही चक्रव्यूह भेदना सीख लिया था। लेकिन उसे चक्रव्यूह से बाहर निकलना नहीं आता था। मोदीजी ने 24 मार्च को बड़े जोर-शोर से राज्यों के साथ बिना परामर्श किए पूरे देश को 21 दिन के लॉकडाउन में धकेल तो दिया, पर अब सोच रहे होंगे कि इससे देश को बाहर कैसे निकालें। इसलिए, क्योंकि चक्रव्यूह में घुसने के बाद से ही कोरोना वायरस लगातार अपना शिकंजा कसता चला जा रहा है।

दिक्कत यह है कि अगर लॉकडाउन आगे बढ़ाया तो मोदी सरकार को खजाने में से और ज्यादा रकम स्टिम्युलस पैकेज के रूप में देनी होगी। अभी सरकार ने जीडीपी का केवल 0.8% ही राहत के रूप में दिया है, जबकि कोरोना से प्रभावित बड़े देश 7-15% तक खर्च कर चुके हैं।

मोदी सरकार ऐसा नहीं कर सकती, क्योंकि केंद्र और राज्यों के राजस्व संकलन में 60-70% तक गिरावट आई है। पेट्रोल-डीजल की बिक्री 90% तक गिरी है। शराब और पेट्रोल-डीजल केवल एमपी ही नहीं, दिल्ली की भी कमाई का प्रमुख स्रोत है।

तेलंगाना, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के पास अगले महीने अपने कर्मचारियों को तनख्वाह देने के लाले पड़े हैं। कुछ राज्यों ने किस्तों में तनख्वाह बांटनी शुरू कर दी है। यह देश में आर्थिक आपातकाल के बेहद करीब की स्थिति है।

तमिलनाडु ने राज्यों पर बाजार से कर्ज की सीमा को 33% बढ़ाने की छूट मांगी है। ऐसा करने पर राज्य के जीडीपी का 3% कर्ज की भेंट चढ़ जाएगा। यह किसी भी राज्य के कर्ज के भंवर में डूबने की जोखिमपूर्ण स्थिति है।

मोदीजी को लिखे पत्र में कई राज्यों ने कोविड फंड बनाने का सुझाव दिया है। इसके लिए 1 लाख करोड़ मांगे जा रहे हैं। सरकार पर सबसे ज्यादा दबाव कंस्ट्रक्शन सेक्टर का है। जून से देश में बारिश शुरू हो जाती है। अगर लॉकडाउन बढ़ता है तो फिलहाल 20% की क्षमता पर काम कर रहे इस क्षेत्र में मजदूरों का अभाव प्रोजेक्ट्स को सालभर तक के लिए रोक देगा। यह खरबों का नुकसान है।

लॉकडाउन ने बेतहाशा बेरोजगारी बढ़ाई है। CMIE का 23% वाला आंकड़ा केवल ट्रेलर है। इसमें पलायन कर चुके प्रवासी मजदूरों की संख्या को नहीं जोड़ा गया है। इन्हें जोड़ने पर करीब 50 करोड़ बेरोजगारों की अभूतपूर्व फौज खड़ी होने की आशंका है।

लॉकडाउन आगे बढ़ेगा तो भूख से कमजोर लोगों को कोरोना या फिर कोई और बीमारी आराम से निगल लेगी। यह मैं नहीं, ICMR की फरवरी की स्टडी कहती है। शायद मोदीजी के कार्यकाल की यह सबसे भीषण अग्निपरीक्षा है। पूरा देश इस ओर टकटकी लगाए देख रहा है कि 136 करोड़ लोगों को मोदीजी कैसे कोरोना के चक्रव्यूह से निकालते हैं।

By Saumitra Roy

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here