A serious and traingle competetion for CM Post between Kamalnath, Shivraj and Jyotiraditya Sindhia in MP
A serious and traingle competetion for CM Post between Kamalnath, Shivraj and Jyotiraditya Sindhia in MP

मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार को बने अभी दो माह ही बीते हैं कि वहां पर सियासत गर्म होने लगी है। उनकी सरकार बनवाने में कांग्रेस के ​24 बागी विधायकों ने मुख्य भूमिका निभाई है। लेकिन ​कोरोना और लॉकडाउन के कारण मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं किया जा सका है। ऐसे में बागी विधायकों को शिवराज सरकार संतुष्ट करने में सफल नहीं हो पायी है। इसके साथ ही उपचुनाव भी सिर पर आ गया है। इस बीच सिंधिया समर्थ्कों ने भाजपा पर यह दबाव बनाया कि ज्योतिरादित्य को केन्द्र में मंत्री बनाया जाये। इससे प्रदेश भाजपा में काफी बेचैनी है। उप चुनाव को लेकर प्रदेश अध्यक्ष ने प्रत्याशियों की लिस्ट के लिये सर्वे कराना शुरू कर दिया। इसके लिये उन्होंने प्रत्याशियों से अपने क्षेत्र में रहने का निर्देश दिया है। ऐसे में बीजेपी की ओर से कांग्रेस के बागी विधायकों को टिकट मिलेगा इस पर संशय हो गया है। भाजपा को लग रहा है कि यदि कांग्रेस के बागी विधायकों को टिकट दिया गया तो जीतने के मौके कम दिख रहे हैं।
ऐसे में कमलनाथ सरकार से बगावत करने वाले मंत्री और विधायकों के लिये समस्या होने जा रही है। यदि बीजेपी ने उन्हेंं टिकट नहीं दिया तो उनकी हालत घर की न घाट के कुत्ते जैसी हो जायेगी। कांग्रेस ने भी पार्टी से बाहर कर दिया है। उनकी छवि भी धूमिल हो गयी और गद्दारी का भी टैग लग गया है। दूसरी ओर बागी विधायकों का भाजपा में आना पुराने बीजेपी नेताओं को खल रहा है। उन्हें लग रहा है इनके आने से पार्टी में पुराने कार्यकर्ताओं की वकत कम हो रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी मध्य प्रदेश में दोबारा सरकार बनाने का दावा कर रहे है। उनकी मानें तो भाजपा के बहुत से असंतुष्ट विधायक और नेता उनके संपर्क में हैं। उप चुनाव के बाद एक बार फिर से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने जा रही है।
होली के आस पास मध्यप्रदेश में राजनीतिक समीकरण ऐसे बदले कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार को दिन में ही तारे दिख गये। पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिधिया ने ऐसी पल्टी मारी कि कमलनाथ सरकार औंधे मुंह गिर पड़ी और प्रदेश में एक बार फिर शिवराज कायम हो गया। भाजपा ने कमलनाथ के गढ़ में ऐसी सेंध लगायी कि कमलनाथ को भनक तक न लगी।

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