supreme court vs Arnab (1)
Why Supreme court taking Modi Government.

पिछले एक डेढ़ साल में सुप्रीम कोर्ट सरकार पर कुछ ज्यादा मेहरबान नजर आ रही है। इससे पहले सीजेआई रंजन गोगोई ने मोदी सरकार के पक्ष में कई अहम् फैसले दिये जिससे सरकार को काफी राहत मिली और अपोजिशन को काफी निराशा मिली। रंजन गोगोई जो वर्तमान में बीजेपी के सांसद हैं। शायद उनके किये एहसानों को उतारने के​ लिये मोदी सरकार ने गोागोई को राज्यसभा में भेजा है। पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने राम मंदिर मामला, इलैक्शन बांड, राफेल विमान खरीद समेत और भी अहम् मामलों में केन्द्र सरकार को राहत दी थी। पूर्व सीजेआई गोगोई के फैसलों से कांग्रेस और विपक्ष को भारी झटका लगा था। दिलचस्प बात यह है कि रंजन गोगोई उन चार जजों में एक थे जिन्होंने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए सुप्रीमकोर्ट के प्रांगण में प्रेसवार्ता की थी। वर्तमान सीजेआई एएस बोबड़े भी उन्ही की परंपरा को निभाते दिख रहे है। सुप्रीमकेार्ट में काफी अहम् मामले पेंडिग पड़े हैं जिनको सुनने की सुप्रीमकोर्ट ने व्यस्तता बताते हुए रोक लगा रखी है।

चीफ जस्टिस बोबड़े ने टीवी जर्नलिस्ट अरनब गोस्वामी की गिरफ्तारी के मामले में इतनी दिलचस्पी दिखाई कि देर रात रिट को उन्होंने अगले दिन ही पहली वरीयता से सुना और यह आदेश दिया कि गोस्वामी को पुलिस 10 दिनों तक गिरफ्तार नहीं करेगी। गोस्वामी मामले में सुप्रीम कोर्ट की बेचैनी लोगों को पच नहीं रही है। लोग कह रहे हैं कि सुप्रीमकोर्ट ने दिल्ली दंगों के मामले, सीएए और एनआरसी, जेएनयू मारपीट और जामिया विवि हिंसा के मामले सुनने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई लेकिन गोस्वमी गुरुवार की देर रात सुप्रीमकेार्ट में रिट लगाता है और सुप्रीमकोर्ट उसकी सुनवायी ​शुक्रवार की सुबह सबसे पहले सुनवायी करने को राजी हो जाता है। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि देश के उच्चतम न्यायालय किसी के दबाव में ये सब कर रहा है।

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