Indian women (1)
INSPIRE OR FEEL INSULT, by bad word IT,S YOUR VIEW

पहली बार उसे रंडी तब बोला गया जब वह करीब 8 साल की थी. घर में किसी ने गाली दी थी। शायद बड़ी या छोटी दादी में से कोई थी. घर का माहौल ऐसा था कि वहां गाली खाना और गाली देना आम बात थी. तब उसे रंडी का मतलब नहीं पता था। वो लड़कों के साथ लड़कों की तरह दिनभर उछलकूद करती थी. शायद ये बात दादी को ठीक नहीं लगी थी. इसीलिए उसे रंडी कहा गया।
दूसरी बार उसे रंडी तब बोला गया जब वह 14 साल की थी. उस समय वह लड़कियों की तरह रहना और लड़की होना सीख रही थी। वक्ष बहुत उभरे तो नहीं थे लेकिन इतने थे कि कपड़ो में उनका आकार दिखने लगा था. उस दिन वह पहली बार स्कूल में टाइट कपड़े पहनकर गयी थी। उसकी चाल ढाल बिल्कुल वही थी जिसे अब छोड़ने और बदलने की सीख दी जाने लगी थी। बड़ी क्लास के लड़कों को यह ठीक नहीं लगा. उनमें से किसी एक की दबी जुबान उस दिन खुल गयी – ‘ रंडी है साली ।’

तीसरी बार उसे रंडी तब बोला गया जब वह 18 साल की थी. मुहल्ले के कुछ लड़कों ने उसे मुहल्ले के बाहर के दो दोस्तों के साथ बात करते हुए देख लिया था। उनकी नज़रों में ऐसी हिकारत थी कि वह भीतर तक सहम गयी थी. ‘ रंडी निकल गयी है ये। एक नहीं दो के साथ लगी पड़ी है। अपने मुहल्ले का नाम खराब कर दिया साली ने। ‘ उस दिन रंडी शब्द उसके कानों में देर तक गूंजता रहा।
चौथी बार उसे रंडी तब बोला गया जब वह घर से लड़ झगड़ कर पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए यूनिवर्सिटी में दाखिले की जिद करने लगी. उस समय वह 23 की थी. उस दिन उसने ऐसी जिद पकड़ी कि वह घर के बाहर ही धरने पर बैठ गयी. पूरा मोहल्ला इकठ्ठा हो गया। उसकी जिद जायज थी. इंट्रेस इक्जाम में उसे सातवीं रैंक मिली थी. उसने बड़ी मुश्किल से चोरी छिपे एंट्रेंस इक्जाम दिया था.
उसकी जिद थी कि वह पढ़ेगी. उसे अभी शादी नहीं करनी. अगर किसी ने दबाव बनाया तो वह घर की चौखट पर ही जान दे देगी. मुहल्ले के शिक्षित बुजुर्गों के हस्तक्षेप के बाद घरवालों को झुकना पड़ा. लेकिन सभी बुजुर्ग ऐसे नहीं थे। उस दिन कईयों में आपसी खुसुरफुसुर हुई जो न चाहते हुए भी उसके कानों तक पहुंच गई – ‘ रंडी है फलाने की लड़की. जाने कितनों लड़को से मिलती है। कई बार तो मैंने सामने से जाकर देख लिया है. लेकिन मजाल की वहां से हटे. लाज शर्म कुछ है ही नहीं. उल्टा मुझे ही घूर के देखती है। इसको बाहर इसलिए जाना है ताकि वहां खुलकर मुंह काला कर सके। ‘
पांचवी बार उसे रंडी तब बोला गया जब वह अपने प्रेमी के साथ शहर में घूमते हुए देखी गयी। उम्र थी 25. वह बेधड़क अपने प्रेमी का हाथ अपने हाथों में लिए घूमती थी।
उस दिन बाइक से गुजरते हुए एक लड़के ने चीखकर कहा था – ‘ एक बार हमें भी छूने दे रंडी. हम क्या इससे बुरे हैं ‘।
छठी बार उसे रंडी तब बोला गया जब वह डिप्टी एसपी पद के लिए चयनित हुई। उम्र थी 27 साल. पार्टी के लिए वह दोस्तो के साथ रेस्टोरेंट गयी थी। वहां उसे फिर वही शब्द सुनने को मिला. ‘अरे देख. ये रंडिया तो अधिकारी बन गयी। गज़ब भौकाल है साली का. हमी स्साला चुतिया बैठे हैं।
पिछले पांच बार उस लड़की ने रंडी शब्द सुनने के बाद क्या किया , उसने नहीं बताया था। लेकिन इस बार क्या हुआ , वो सब कुछ उसने बेहद गर्व के साथ बताया।
वह अपनी सीट से उठी और लड़के का कॉलर पकड़ के चार तमाचे जड़ दिए। उसने लड़के को ऐसा धक्का दिया कि वह अपनी सीट समेत ज़मीन पर लुढ़क गया। लड़के के दोस्त उसका आक्रामक रवैया देखकर चंपत हो गए। उस दिन लड़की ने उस लड़के को बहुत देर तक गालियां दी. उस पर लात घूंसे बरसाती रही। शायद 27 साल की उम्र तक उसने जो भी सहा था सब उस दिन ही फूट पड़ा। आखिर में पुलिस के आने के बाद ही लड़की ने उस लड़के को छोड़ा।
उस दिन उसे गुस्से के साथ पछतावा और गर्व भी था. मैंने पहली बार किसी इंसान में एक साथ इतनी भावनाएं देखी थी। उसमें 27 साल की उम्र तक जो भी झेला गया था । सबका गुस्सा भरा हुआ था. उसे यह पछतावा भी था कि वह 27 साल की उम्र में पहली बार रंडी कहने पर किसी का विरोध कर पाई। इतना समय लग गया उसे। उसे इस बात का गर्व भी था कि पहली बार उसने विरोध किया. ऐसा विरोध कि आसपास सब दंग रह गए.
उस दिन के बाद उसे किसी बेहद सामान्य या किसी बड़ी बात के चलते कितनी बार रंडी बोला गया उसे याद नहीं था। उसने रंडी बोले जाने की वजह से कितनों की खबर ली ये भी उसे याद नहीं था।
अब जब वो अपनी बीती जिंदगी कि ये सारी बातें बताती है तो उसे रंडी गाली नहीं बल्कि प्रेरणा लगती है। वह कहती है कि मैं नाहक ही गुस्सा हो जाया करती थी. रंडी कोई गाली नहीं है। रंडी मेरे लिए प्रेरणा है। मुझे जितनी बार रंडी बोला गया उतनी बार मेरा रंडी के प्रति सम्मान बढ़ता गया।
मैं आज जो भी हूँ वह महिलाओं के खिलाफ , समाज के तयशुदा मानकों को तोड़कर हूं। मैंने जब भी ऐसा कुछ किया मुझे रंडी कहा गया. मुझे आज कोई रंडी कहे तो गर्व होगा। मैं खुद को चरित्रवान और सभ्य-सुशील महिला की बजाय रंडी कहलवाना पसंद करूंगी. रंडी सिर्फ शब्द नहीं है। रंडी उस व्यवस्था से विद्रोह है जिससे निकलकर मैंने अपनी जिंदगी जीने के तौर तरीके खुद तय किये हैं।
source – Hindi lekhak PARIWAR

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