प्रधान जी ने सागर को निहारते हुए कहा–रामदेव यह तुम्हारी और सागर की मेहनत का ही नतीजा है। गंभीरता के साथ रामदेव की तरफ देखते हुए प्रधान जी ने पूछ डाला– तुम क्या अपने बेटे को डॉक्टर बनाने की सोच रहे हो। गांव के लोगों की तरफ देखते हुए कहा कि मैंने लोगों से इसकी चर्चा सुनी है।
‘अरे अगर ऐसा है तो यह पूरे गांव के लिये यह बहुत खुशी की बात है। यह बात कहते हुए प्रधान जी ने अपने चेहरे पर मुस्कान बिखेर दी। रामदेव ने कहा कि हां प्रधान जी सोचा तो कुछ ऐसा ही है।
क्या इतने बड़े काम के लिये पैसा है तुम्हारे पास। मेडिकल की पढ़ाई के लिये बहुत पैसे खर्च होते हैं। प्रधान जी ने रामदेव को सच्चाई से वाकिफ कराने के लहजे में यह कहा।
रामदेव ने विश्वास के साथ इस बात का जबाव दिया कि प्रधान जी यह पुश्तैनी ज़मीन किस दिन काम आएगी। इस ज़मीन को बेचकर मैं अपने बेटे को डॉक्टर बनाऊंगा। तो प्रधान जी क्या आप मेरी ज़मीन….।
रामदेव के मुंह से यह बात सुनते ही प्रधान जी ने खुशी का भाव चेहरे पर लिये हुए बोल पड़ते हैं। बच्चे का भविष्य बनाने के लिये काफी अच्छी सोच है। कल आकर पैसे ले जाना।
अगले ही दिन सागर दिल्ली स्थित एक कोचिंग सेंटर से अपने मेडिकल की तैयारी करने के आता है। कुछ जानकारी लेने के बाद सागर को एडमिशन देने की बात फाइनल कर दिया।ं साथ ही यह भी कहते हैं कि इस कोचिंग सेंटर की खासियत थी कि जब तक इंसान कंप्लीट ना कर ले तब तक उसी फीस में यहां पर आकर पढ़ाई कर सकता है।
सागर रहने के लिये कुछ इंतजाम पूछता है तो कोचिंग सेंटर की तरफ से उसे बताया गया कि वो उसके लिये हॉस्टल का इंतजाम करवा देंगे।
अगले दिन प्रधान जी से पैसे लेकर वापस आया और पत्नी को आवाज़ लगायी– अरे कहां हो क्या कर रही हो। कल सागर के दिल्ली जाने की तैयारी करो। प्रधानजी से मैं पैसे लेकर आ गया हूं। फिर खाट पर बैठ गया।
सागर पहले से ही कुर्सी पर बैठा कुछ पढ़ रहा था। सागर की मां के आते ही रामदेव उसे बैठने का इशारा किया। सागर की मां बैठते हुए कहा ‘इतनी जल्दी क्या पड़ी हुई है दिल्ली भेजने की। अभी और दो.चार दिन हमारे साथ तो रह लेने दो।
रामदेव अपने बेटे को देखते हुए कहा ‘कब तक इसे अपने साथ रखोगी। इतना बड़ा सपना पूरा करने के लिये त्याग तो करना ही पड़ेगा’।
सागर की मां ने थोड़ा सा गुस्सा जाहिर करते हुए कहा–अच्छा इस घर में हमारी चलती ही कहां है।
मां और बाप के बीच हो रही इस बातचीत में सागर बोल पड़ा– मां पापा तो ठीक ही कह रहे हैं। ऐसे भी डॉक्टर बनने के बाद तो आपके साथ ही रहना है। क्योंकि पापा का सपना है कि मैं डॉक्टर बनकर गांव वालों की सेवा करूं और जब गांववालों की सेवा करूंगा तो हमेशा आपके साथ ही रहूंगा।
‘तू भी हमारी बात कहां सुनता है’ सागर से भी शिकायत करते हुए उसकी मां न कहा।
‘देख पापा का सपना पूरा करने के चक्कर में अपनी मां को भूल मत जाना। मुझे फोन करके बराबर अपनी ख़बर देते रहना। सागर अपनी मां के पास आकर बैठा और बोला मां आप भी गज़ब की बात करती हो। अरे आपकी याद तो दिन में तीन बार आएगी। जब–जब खाने के लिये बैठूंगा तब–तब आपके हाथों का स्वाद याद आएगा।
मां गुस्सा दिखाते हुए कहा –अच्छा तो तुम्हारे प्यार का मतलब खाना और स्वाद है।
‘नहीं मां तुम क्या बात करती हो, तुम्हारी याद तो हर वक्त आएगी। सागर ने अपनी बात को संभालते हुए कहा।
दोनों को चुप कराते हुए रामदेव कहा– अरे छोड़ो यह सब बातें। खाना जल्दी लगाओ मुझे खेत पर भी जाना है। देखो दोपहर होने वाली है।
सागर की मां बोल पड़ती हैं– अरे छोड़ो खेत पर जाने की बात। आज सागर के साथ घर पर ही समय बिताओ। चला जाएगा तो फिर जाने कब इस तरह से साथ बैठने का मौका मिलेगा।
रामदेव ने चिंता जाहिर करते हुए बोला–कैसे बैठ जाऊं सागर की मांए ये आराम करने का समय नहीं है। जब सागर पढ़.लिखकर बड़ा आदमी बन जाएगा तब तो सारी ज़िंदगी आराम ही करना है।
सागर की मां थोड़ा सा ताना कसते हुए कहा–सागर के लिये जो बहू लाओगे वो आराम करने देगी तब तो आराम करोगे।
सागर अपनी मां की गोद में सिर रखते हुए कहा– मां क्या बात कर रही हो। मेरी पत्नी तो पूरे दिन आप लोगों की सेवा में लगी रहेगी।
सागर के पापा भी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा– देखना मैं ऐसी बहू लेकर आऊंगा जो लाखों में एक होगी। पूरे घर का ध्यान रखेगी और तुम्हें तो काम को हाथ भी नहीं लगाने देगी।
सागर की मां थोड़ा सा गर्दन मटकाते हुए कहा– बाप.बेटे से बातों में कौन जीत सकता है। इसके बाद सागर की मां उठकर खाना लगाने चली गया। खाना लगने के बाद पूरा परिवार साथ मिलकर खाना खाया। पापा जब खेतों पर जाने लगे तो सागर कहा मां मैं भी पिता जी के साथ खेतों पर घूमकर आता हूं।
इसके बाद बाप.बेटे खेतों पर घूमने के लिये निकल जाते हैं। खेत पर पहुंचने के बाद पापा कहते हैं कि बेटा किसानों की सबसे बड़ी पूंजी उसकी ज़मीन होती है। ज़मीन किसान की हर एक जरूरत को पूरी करती है। आज यह ज़मीन हमारे सपने को पूरा करने के लिये हमारा साथ दे रही है। जब तुम डॉक्टर बनके लौटोगे तो इस ज़मीन पर यहां के लोगों की भलाई के लिये एक कॉलेज और अस्पताल बनवाने के बारे में सोचना।
दूर तक खेतों में फैली हरियाली को देखते हुए दोनों बाप–बेटे बातचीत करते हैं कि जब इस जगह अस्पताल बनेगा तो यहां पर लोगों का तांता लगा रहेगा। सागर अपने पापा के ख्वाब को हकीकत में बदलने की बात करते हुए कहता है आपका सपना जरूर पूरा होगा पापा।
इस बीच बुधन मज़ाकिया अंदाज़ में पूछता है बाप–बेटे में क्या बातें चल रहीं हैं।
बुधन की तरफ देखते हुए रामदेव ने कहा अरे कुछ नहीं, इस ज़मीन के ऊपर कुछ नेक काम करने के बारे में सोच रहा हूं। इस बीच बुधन की पत्नी बोली ‘अरे इन्हें तो पूरे गांव की ख़बर जब तक नहीं मिल जाती तब तक ना ही खाना हजम होता और ना ही रात को नींद आती है।
सागर ने जैसे ही बुधन की पत्नी को देखा तो उन्हें नमस्ते की। बुधन की पत्नी बोली खुश रहो! सुना है पूरे ज़िले में टॉप किया है।
बुधन बात को बीच में ही काटते हुए बोला टॉप ही नहीं किया है बल्कि डॉक्टरी की पढ़ाई के लिये दिल्ली भी जा रहा है। जब डॉक्टर बनके वापस आएगा तो यहां के लोगों के लिये बहुत सारा नेक काम भी करेगा।
इस बातचीत के बाद सागर और उसके पापा आपस में बातें करते हुए वापस घर की तरफ चल दिये। फिर अगले दिन सुबह उठते ही सागर दिल्ली जाने की तैयारियों में लग गया। सागर की मां कपड़ों के साथ ही उसके लिये खाना बनाने में लग लगी थी।
सागर के पिता भी सुबह से ही सागर का सामन पैक करने में लगे हुए थे। इसी बीच सागर ने कहा है मां जल्दी करो मेरी ट्रेन निकल जाएगी। मां ने जबाव देते हुए कहा अरे मैं कहां देर कर रही हूं। तेरे पापा अभी तक एक काम भी पूरा नहीं कर सके हैं।
हां–हां जैसे तुमने ही सागर की जरूरत का यह सारा सामान पैक किया होगा। रामदेव ने मुस्कुराते हुए यह बात कही। सागर हंसते हुए कहा कि मां मेरे जाने के बाद दोनों आराम से लड़ लेना, तुम्हारे चक्कर मैं मेरी ट्रैन निकल जाएगी।
मां ने कहा चल जल्दी से खाना खा ले। फिर ना जाने कब तुझे अपने हाथों से मैं इस तरह से खाना खिला पाऊंगी। सागर ने अपनी मां की चिंता को दूर करते हुए कहा ‘अरे मां में आता–जाता रहूंगा। तू क्यों इस तरह की बात कर रही है।
इसके बाद सागर अपने पापा और मां के साथ खाना खाने बैठ गया। खाना खाने के बाद तीनों लोग स्टेशन पहुंचने के लिये निकल गये हैं। गांव के तमाम लोग रास्ते में मिलते हैं और सागर को कामयाब होने की दुआ देते हैं। गांव का रास्ता बड़ा उबड़.खाबड़ वाला है। सागर सोचता है कि अख़बारों में तो विकास की खूब बातें पढ़ने को मिलती हैं लेकिन फिर सड़क क्यों ठीक नहीं होती है।
ख़ैर कुछ ही देर के बाद तीनों रेलवे स्टेशन पहुंच जाते हैं। टाइम टेबल देखने के बाद पता चलता है कि ट्रेन अभी दो घंटे बाद आएगी। पापा सागर और उसकी मम्मी से कहा ‘अरे अभी तो गाड़ी आने में दो घंटे हैं। चल तब तक अंदर चलकर बैठते हैं।
सागर को देखते हुए मां ने कहा घर से तो बड़ी जल्दी मचा रहा थाए अब देख गाड़ी देर से आएगी। एक बेंच पर अपना सामान रखते हुए सागर कहा–यह तो और भी अच्छा है। मां इसी बहाने आपके साथ दो घंटे तक और रह लूंगा। पापा आप मां को ज्यादा परेशान मत करना।
पापा ने सागर को घूरकर गर्दन हिलाते हुए कहा– अरे बस–बस जैसे खुद मां का बहुत ख्याल रखता हो। मैं तेरी मां का ख्याल तब से रख रहा हूंए जब तू पैदा भी नहीं हुआ था। समझा।
मां बीच में ही बोल पड़ी– अरे बेटा हम तो एक दूसरे का ख्याल रख लेंगे लेकिन तू अपना ध्यान अच्छी तरह से रखना और टाइम पर खाना जरूर खा लेना। तू खाने में बहुत लापरवाही करता है। सागर ने मां की तरफ देखते हुए कहा–हां जरूर मां–पापा आप भी अपना ध्यान रखना। ज्यादा परेशान मत होना।
पापा ने गंभीर आवाज़ में कहा–बेटा तू चिंता मत कर। तेरी मां तो है ना वो मेरा बहुत ध्यान रखती है। बेटा फोन जरूर करते रहना और पढ़ाई पर खूब ध्यान देना। दिल्ली का माहौल अपने यहां से बिल्कुल अलग होगा।
तीनों ही एक दूसरे को संभालने में और समझाने में लगे हुए थे। लेकिन यह एक ऐसा एहसास है। जब सागर पहली बार अपने मां–बाप से दूर जा रहा था। सागर को यही लगा कि मुझे मां.बाप की उम्मीदें पूरी करनी है। इसलिये दिल पर पत्थर रखकर दूर तो जाना ही पड़ेगा। सागर के पापा भी यही सोच रहे हैं कि अगर उन्होंने लाड़ दिखाकर उसे जाने से रोक लिया तो उसका भविष्य खराब हो जाएगा।
मां भी अपने दिल को समझाने में लगी हुई है। मां को लगता है कि अगर आज उसने अपने बेटे को जाने से रोक दिया तो ऐसा मौका उसे फिर कभी नहीं मिलेगा। अपने पापा को समझाते हुए सागर कहा कि आप मेरी बिल्कुल चिंता नही करना मैं वहां पर अच्छी तरह से पढ़ाई करूंगा। इसी बीच ट्रेन की सीटी बजने लगी।
पापा ने कहा चल बेटा ट्रेन आ गई है। गाड़ी बहुत थोड़ी देर के लिये रुकती है।
सागर– हां पापा चलिये। ट्रेन रुकी और सागर ट्रेन में चढ़ गया।
पापा– सागर से कहते हैं बेटा पहुंचते ही ख़बर कर देनाए तेरी बहुत चिंता लगी रहेगी।
मां भी बेटे को समझाते हुए कहा– हां बेटा हमें बहुत फिक्र लगी रहेगी। तू पहुंचते ही फोन जरूर कर देना।
सागर ने कहा हां में पहुंचते ही फोन कर दूंगा। इतने में ट्रेन की सीटी बजी और गाड़ी चल दी। सागर ने हाथ हिलाकर अपने मां.बाप को अलविदा किया। मां और पापा भी सागर की तरफ हाथ हिलाकर उसे दूर तक देखते रहे।