कॉमर्शियल बिल्डिंग घर तोड़े जाने से परिवार के ही कुछ लोग नाराजजर्जर हो चले मकान को तोड़ने का काम तेज हो गया है। जिनको बनारस की सरजमीं, गंगा मैया और अपने घर से इतना प्यार था कि उन्होंने विदेश में बसने का प्रस्ताव भी ठुकरा दिया। वैसे शख्सियत के घर पर इन दिनों हथौड़े चल रहे हैं। यहां बात हो रही है शहनाई सम्राट भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की। उनके मकान को कॉमर्शियल बिल्डिंग में तब्दील करने की कवायद परिवार के कुछ सदस्यों की रजामंदी से चल रही है। कुछ परिवार के अन्य सदस्यों ने ऐतराज जताया है जिसके बाद खान साहब के कुनबे में हंगामा मचा हुआ है।
शास्त्रीय संगीत जगत का शायद ही कोई ऐसा शख्स होगा जो शहनाई सम्राट भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के नाम से वाकिफ न हो। बिस्मिल्लाह खान तो अब नहीं हैं, लेकिन उनकी यादों को संजोने के बजाय उनका खुद का कुनबा उसे नेस्तनाबूत करने में लगा है। बिस्मिल्लाह खान को सबसे प्यारी चीजों में बनारस की सरजमीं के अलावा उनका खुद का घर भी था जो शहर के चौक क्षेत्र के बेनियाबाग सराय हड़हा इलाके में स्थित है।
यहां आने वाला शास्त्रीय संगीत का हर फनकार बगैर सजदा किए नहीं जाता। अब ऐसे धरोहर पर हथौड़े चलाए जा रहे हैं, जिसका काम कोई और नहीं बल्कि बिस्मिल्लाह खान के बेटे-पोते खुद कर रहे हैं। खान साहब के सबसे अजीज कमरे की छत पर भी हथौड़ा चलाकर तोड़ डाला गया। उनका भरा-पूरा कमरा भी आगे की तोड़फोड़ के लिए उजाड़ दिया गया है।
परिवार में ही कुछ लोग हैं जिन्हें घर की तोड़फोड़ पसंद नहीं है। इनमें एक हैं बिस्मिल्लाह खान की बेटी जरिना जिनके आखों के आंसू थम नहीं रहे हैं। वे बताती हैं कि जिस मकान को मरम्मत करके संजोकर रखा जा सकता था, उसे तोड़ा जा रहा है। उनका आरोप है कि तोड़फोड़ के दौरान खान साहब की कई यादगार तस्वीरों को फाड़ दिया गया या जला दिया गया। उनके वालिद का पलंग भी कमरे से निकाल कर बाहर फेंक दिया गया। वे बताती हैं उनकी इच्छा है कि उनके बाबा (पिता) का कमरा न टूटे। तोड़फोड़ का काम खान साहब के पोतों में से एक सिफ्तेन करवा रहे हैं।
बिस्मिल्लाह खान के मकान में तोड़फोड़ पर आपत्ति दर्ज करने वालों में उनके पोते अफाक हैदर भी शामिल हैं. वे बताते हैं कि खान साहब ने बड़ी मेहनत से अपने धरोहर रूपी मकान को खड़ा किया था. इसीलिए कोई नहीं चाहता कि मकान तोड़ा जाए. ये बात सच है कि मकान जर्जर भी हो चला है, उसकी रिपेयरिंग के लिए दरख्वास्त दिया था. लेकिन परिवार के लोगों की सहमति न बन पाने के कारण यह न हो सका. इसके अलावा हृदय योजना के तहत भी मकान को धरोहर के रूप में बनवाने के लिए पैसा प्रशासन के पास आया है. लेकिन उनके बड़े पिता के बेटे यानी खान साहब के दूसरे पोते चाहते हैं कि पूरी बिल्डिंग तोड़कर कॉमर्शियल बिल्डिंग बने। इस पर परिवार के दो लोग सहमत हैं, जबकि अन्य इसके लिए तैयार नहीं हैं।