योगी के सीएम बनने से मौर्या चिढ़े बैठे हैं!
आप के जेहन में यह सवाल तो उठता होगा कि भाजपा के कई बार के सांसद और कद्दावर नेता केशव प्रसाद मौर्य आखिर सीएम क्यों नहीं सीएम बनाये गये। 2017 में विधानसभा चुनाव के आस पास केशव प्रसाद मौर्य को केन्द्रीय बीजेपी ने यूपी की बागडोर थमाई थी। चुनाव में मौर्या ने काफी मेहनत मशक्कत भी की थी। अपनी जाति बिरादरी के बीच भाजपा को मजबूत बनाने में उन्होंने दिनरात एक कर दिया था। वो यह समझ रहे थे कि सरकार बनने पर उन्हें सीएम पद मिलेगा। अक्सर ऐसा होता है कि जो प्रदेश अध्यक्ष होता है सीएम पद उसे ही मिलता है। यह बात पूरी तरह से तय हो गयी थी कि सीएम किसे बनाया जायेगा। मोदी शाह ने सीएम पद के लिये मनोज सिन्हा का नाम तय कर लिया था। यह भी चर्चा है कि उन्हें फोन कर दिल्ली बुला लिया गया था।
ये भी चर्चा रही कि राजनाथ सिंह का नाम भी सीएम पद के लिये सुना गया लेकिन ये सिर्फ चर्चा ही रही। यह पक्का हो गया था कि सिन्हा यूपी के सीएम बनने वाले हैं। वो अपने परिवार के साथ मंदिर में दर्शन भी कर आये थे।
संघ ने मोदी शाह के सपने चूर चूर किये
मोदी शाह ने मुरली मनोहर जोशी के जरिये मनोज सिन्हा के नाम को संघ के पास गोपाल कृष्ण के जरिये मोहन भागवत के पास भिजवाया था। संघ प्रमुख ने इशारों ही इशारे में पूछा कि नाम तय कर के बताया जा रहा है या हमारी संस्तुति मांगी जा रही है। दिल्ली से बताया गया कि आपके ध्यानार्थ नाम भेजा गया है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने सिन्हा के नाम को साइड में रख योगी आदित्यनाथ का नाम आगे कर दिया। कारण यह था कि केन्द्र में कट्टर हिन्दुत्ववादी मोदी यूपी में योगी जैसा कट्टर हिन्दू नेता रहे तो पूरे देश में भाजपा का जलवा कायम रहेगा। बस यहीं से केशव प्रसाद नंबर तीन पर पहुंच गये।
यूपी में केशव प्रसाद ओबीसी का बड़ा चेहरा
इसमें कोई राय नहीं कि यूपी में केशव प्रसाद भाजपा के एक कद्दावर नेता के जाने जाते हैं। लेकिन संघ की ओर से योगी का नाम जब तय किया गया तो केशव प्रसाद के अरमानों पर पानी फिर गया। उसी समय से योगी और मौर्या के बीच कोल्ड वार शुरू हो गया। लेकिन दिल्ली दरबार ने चुनाव हारने के बाद भी उन्हें डिप्टी सीएम बनाये रखा। सीएम पद पर चुनाव जीतने के बाद एक सप्ताह तक सीएम पद पर संशय बना रहा। संघ के इशारों पर सीएम पद पर योगी को बैठाया गया। तब योगी के परिवार में किसी की मृत्यु हो गयी थी योगी वहां जाने की तैयारी कर रहे थे। दिल्ली से उनके पास अमित शाह का फोन गया और दिल्ली आने का कहा गया। अमित शाह उन्हें पीयूष गोयल के आवास पर ले गये औ वहां से बताया गया कि उन्हें यूपी का मुख्यमंत्री बनाया गया है। वहीं मौर्या को डिप्टी सीएम पद पर संतोष करना पड़ा।
योगी और मौर्या का शीत युद्ध
योगी और मौर्य में 36 का आंकड़ा सरकार बनने के बाद से शुरू हो गया था। उसका बड़ा कारण यह था कि केशव मौर्य संगठन के नेता थे उन्हें कायकर्ता से जुड़ना आता था। वहीं योगी को भाजपा कार्यकता जुड़ नहीं पाता था। योगी के खिलाफ अक्सर ओबीसी के नेता लामबंद हो गये। 2022 में दोबारा जब दोबारा सरकार बनी तो केशव प्रसाद मौर्य अपना ही चुनाव हार गये। इससे उनकी दावेदारी कमजोर हो गयी। लेकिन दिल्ली दरबार ने उन्हें डिप्टी सीएम बना दिया। 2017 में जब योगी सीम बने तो दो डिप्टी सीएम बनाये गये। एक तो मौर्य थे दूसरे भाजपा के वरिष्ठ नेता और मेयर दिनेश शर्मा थे। दूसरी बार जब यूपी में भाजपा की सरकार बनी तो इस बार दिनेश शर्मा को ड्रॅाप कर ब्रजेश पाठक को डिप्टी सीएम बना दिया गया। फिलहाल यूपी के राजनीति में भाजपा के अंदर कलह सार्वजनिक हो रही है। जो नेता या विधायक योगी के प्रशासन और कानून व्यवस्था की तारीफ करते नहीं थकते थे आज वही आलाकमान को चिट्ठियां लिखकर कुशासन व भ्रष्टाचार की बात मीडया से बता रहे हैं। ये बदलाव सिर्फ लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद से आना शुरू हुआ है।