rakhi
On the occasion of Rakhi

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आज मेरा मन काफी उदास है। हो भी क्यों न आज फिर रक्षा बंधन का त्यौहार है। फिर उसकी कलाई सूनी रहेगी। कोई उसे राखी नहीं बांधने नहीं आयेगा। यह सिलसिला पिछले आठ दस साल से चल रहा है। आज दिल्ली आये उसे लगभग दस साल होने को हैं। इस बीच उसकी कलाइयां व माथा सूना रहता है। रक्षा बंधन और भइया दूज पर मन काफी उदास हो जाता है। ये दिन भी उसके लिये सामान्य दिनों की तरह लगने लगे है। किसी भी पर्व का उसके लिये कोई महत्व नहीं रह गया है। लाइफ में कोई उल्लास और खुशी नहीं रह गयी है।

रक्षा बंधन पर घर खुशियों से भर जाता था हर तरफ चहकते खिलखिलाती बहनें
रक्षा बंधन पर घर खुशियों से भर जाता था हर तरफ खिलखिलाती बहनें

सुबह से ही घर में पकवानों की खुश्बू आने लगती
मैं उन दिनों की याद करता हूं जब 15 साल का था। राखी और भइया दूज के लिये सुबह से ही घर में मां काफी व्यस्त हो जाती थी। सुबह से ही घर में पकवानों की खुश्बू आने लगती थी। लगता था कि घर में आने वालों के लिये मां स्वागत सत्कार में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। उन दिनों चाचा और बुआ की लड़कियां सज धज कर रक्षा बंधन मनाने के लिये घर पर आती थी। हम चारों भाइयों की कलाइयों में बारी बारी से राखी बांधती और मिठाइयां खिलाती थीं। उस समय हम सब का मन इतना खुश रहता था कि उसका शब्दों में बताया नहीं जा सकता था। सभी भाइयों की कलाइयों पर कम से कम आठ दस राखी बंधती थीं। दोनों बुआऐं पापा के साथ हम सभी भाइयों को भी राखी बांधती थीं। इस प्रकार बहनों के साथ दोस्तों की बहनें भी इस त्यौहार पर घर आती थीं। इस प्रकार घर में हंसी खुशी और उल्लास का माहौल बन जाता था। इतना ही नहीं हम सभी इस पर्व का बेसब्री से इंतजार करते थे।
लेकिन आज हम सभी अपनी अपनी जिंदगी में इतने बिजी हो गये हैं कि सारी दुनिया सोशल मीडिया में समा गयी है। कुछ भी कहना हो फेसबुक और व्हाट्सअप पर स्माइली और मिठाइयों की फोटो पोस्ट करने तक सीमित हो गया है। कुछ सालों पहले लोग बड़े त्यौहारों पर फोन पर बात कर लेते थे। आज हालात इतने बुरे हो गये हैं कि किसी का फोन भी आता है यह लगता है कि कोई बुरी खबर तो नहीं है। लाइफ इतनी मशीनी हो गयी है कि भावनाओं के लिये किसी के पास न तो समय है और न ही जरूरत। हर मुश्किल का हल पैसे से किया जाने लगा है। लेकिन वास्तविकता तो यह है कि आज के समय में लोगों को पैसों की नहीं भावनाओं की जरूरत है, हर कोई अपने प्रति समय और लगाव चाहता है पेट तो जानवर भी पाल लेते हैं।

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