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पता नहीं ये शाहरुख को क्या हो गया है। इस तरह की गल्ती तो जानबूझ कर कोई नहीं करता है। पहले पठान बनायी फिर उसकी जबरदस्त सफलता के बाद उन्होंने जवान बना दी। पहले पठान का जबरदस्त विरोध भाजपा व हिन्दू संगठनों ने किया। सिनेमा हाल्स पर जा कर हिन्दूवादी संगठन के कार्यकर्ताओं ने रोष व्यक्त कर मूवी का विरोध किया। यहां तक की महिला कार्यकर्ताओं ने भी पठान के उस गाने बेशर्म रंग का विरोध जताया। लेकिन इससे पठान की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ा। बल्कि फिल्म के विरोध करने से पठान की लोकप्रियता में काफी इजाफा हुआ। फिल्म ने 500 करोड़ से अधिक का बिजनेस किया। कई कीर्तिमान बनाये। कोमा में जाती बॉलिवुड इंडस्ट्री को पठान की सफलता ने संजीवनी का काम किया। हजारों लोगों की रोजी रोटी को इस फिल्म की सफलता ने जीना सहारा दे दिया। एक तरह से तो एसआरके को विरोध करने वालों का शुक्रिया अदा करना चाहिये जिनके चलते पठान को इतना अधिक सफल बनाया। हां एक तबकेे और राजनीतिक दल को इस फिल्म के मुद्दों से परेशानी हो सकती है। सत्ता को भी इस फिल्म से दिक्कतें हो सकती हैं। हो सकता है कि इस फिल्म के निर्माता निदेशक और कलाकारों को सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जाये। मुझे तो हैरानी है कि अब तक सोशल मीडिया पर बायकॉट जवान का ट्रेंड क्यों नहीं शुरू हुआ है। ये भी संभव है कि देश की जांच एजेंसिया फिल्म से जुड़े लोगों को निशाने पर लेना शुरू कर दें। यह संदेश देने का प्रयास किया जाये कि आपकी हिम्मत कैसे हो गयी कि सत्ता के खिलाफ ऐसी जागरूकता फैलाने वाली फिल्म को बनायें।
जवान की इतनी तारीफ क्यों
सात सितंबर को शाहरुख खान की नयी फिल्म जवान रिलीज हुई। रिलीज होने पहले ही इस फिल्म की चर्चा शुरू हो गयी थी। फिल्मी पंडितों का कहना था कि ये फिल्म पहले दिन से ही अपना जलवा दिखाना शुरू कर देगी। जैसी उम्मीद थी उससे भी कहीं अधिक जवान ने लोगों की वाह वाही लूटी। बिजनेस के मामले में यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि ये फिल्म पठान की सफलता से भी आगे कीर्तिमान बनायेगी। दरअसल इस फिल्म किंग खान ने देश के उन मुद्दों को उठाने की बड़ी इमानदारी व खूबसूरती से कोशिश की है। जवान फिल्म से आम लोग अपने आप को कनैक्ट कर के देख रहे है। लोग फिल्म के लीड कैरैक्टर विक्रम राठौर को अपने बीच का हिस्सा मान रहे हैं। जो देश की गहराती समस्याओं को दूर करने के लिये व्यवस्था और शासन से जूझने का अथक प्रयास कर रहा है। इस फिल्म में किसानों और सरकार के बीच हुए आंदालन को बिना किसी का नाम लिये दिखाया गया है। बेरोजगारी से जूझते युवाओं की पीड़ा को भी प्रभावी ढंग से दिखाया गया है। यूपी के गोरखपुर के एक सरकारी अस्पताल मासूम बच्चों की आक्सीजन की कमी से मरने वाले बच्चों की मौत को विषय बनाया गया है। ये भी दिखाया कि कैसे बच्चों के लिये आक्सीजन को उपलब्ध कराने वाले डाक्टर को राजनीतिक षडयंत्रो के तहत फर्जी मुकदमों में फंसाया जाता है। ऐसे ज्वलंत मुद्दें को उठा कर सवाल पूछे गये कि इन समस्याओं से कैसे निजात मिलेगी। राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दे और रिश्वतखोरी का मुद्दा दिखाया गया है। कोरोना के समय की अव्यवस्था को भी जवान में प्रभावी ढंग से दर्शाया गया है। आज कल उत्तर भारत में साउथ की मूवी का प्रभाव बढ़ता जा रहा है उसके पीछे फिल्म की स्टोरी और प्रभावी निर्देशन होता है। समाज में फैली बुराइयोंं को सच्चाइ को दिखाने का साहस होता है। आजकल बालिवुड में इतनी हिम्मत कोई जुटा नहीं पा रहा है लेकिन शाहरुख खान ने साबित कर दिया कि वो बालिवुड का किंग है।