ईस्टर्न इकॉनमिक फोरम में हिस्सा लेने गए पीएम मोदी रूस की यात्रा से लौटे हैं। वहां उन्होंने कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों से मुलाकात की और बहुत से मुद्दों पर सलाह मशवरा भी किया। इसी बीच उन्हों ने रूस को एक अरब डालर के कर्ज देने की भी बात कह डाली।
पीएम मोदी ने रूस के सुदूर पूर्वी क्षेत्र के विकास के लिए एक अरब डॉलर (करीब 72 हजार करोड़ रुपये) का कर्ज देने का ऐलान किया। उन्होंने इसे अभूतपूर्व कदम बताते हुए कहा कि इससे दोनों देशों की आर्थिक कूटनीति को एक नया आयाम मिलेगा।
जब से यह खबर लोगों के सामने आयी है तभी से विपक्ष हमलावर हो गया है कि खुद के देश की आर्थिक व्यवस्था गोते खा रही है और पीएम दूसरे देशों को कर्ज बांटने की बात कर रहे हैं। वर्तमान में देश की जीडीपी पांच पर जा पहुंची है। बैंक कंगाल हो रहे हैं 27 बैंको से 12 बैंक ही रह गये हैं। बीएसएनल, जेट एयरवेज, किंगफिशर एयरवेज आदि बंद हो गये हैं। एयर इंडिया और डाक विभाग बंद होने के कगार पर है। मंदी का दौर चल रहा है। युवा रोजगार के लिये सरकार की ओर टकटकी लगाकर देख रहे हैं। आटोमोबाइल और टैक्सटाइल इंडस्ट्री के हालात बहुत बुरे होते जा रहे हैं। सारा देश मंदी की मार झेल रहा है। यहां तक कि सरकार को रिजर्व बैंक से पौने दो करोड़ लाख रुपये की वित्तीय मदद भी लेन पड़ रही है।
ऐसे में पीएम मोदी का रूस को एक अरब डालर का कर्ज देने की बात लोगों को हजम नहीं हो रही है। लोग यहां तक कह रहे हैं कि अपने देश की अर्थ व्यवस्था तो संभल नहीं रही दूसरे देशों को कर्ज देने की बात ठीक उसी तरह है कि घर में नहीं दाने और अम्मा चलीं भुनाने।