अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि फ़ासीवादी-विरोधी समूह एंटीफ़ा (एंटी फ़ासिस्ट) को ‘आतंकवादी’ संगठन घोषित किया जाएगां। ट्रंप का आरोप है कि अमरीकी नागरिक जॉर्ज फ़्लायड की मौत को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शनों में एंटीफ़ा ने दंगे भड़काए हैं। हाल ही में हुए एक प्रदर्शन के दौरान ट्रंप भीड़ में फंस गये थे। सुरक्षा कर्मचारियों ने उन्हें दो घंटों तक बंकर में रखा। इस दौरान उनकी पत्नी मैलैयिा और बच्चे भी थे। यूएस के हालात प्रदर्शनों के चलते बिगड़ते जा रहे हैं। ट्रंप ने इस बात के संकेत दिये हैं कि प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिये सेना लगायी जा सकती है।
धुर-दक्षिणपंथी समूह और फासीवादी-विरोधी समूह एंटीफ़ा के बीच जो लड़ाई इंटरनेट पर चल रही थी वो अब अमरीका की सड़कों तक पहुँचने लगी है। इतिहास के अनुसार 1920 और 1930 के दशक में यूरोपीय फासीवादी ताक़तों के ख़िलाफ़ मूवमेंट के साथ यह समूह अस्तित्व में आया। 2000 के दशक की शुरुआत तक ये मूवमेंट लगभग ख़त्म हो गया था। ट्रंप के राष्ट्रपति बनने और रूढ़िवादियों के उभार के बाद से एक बार फिर ये मूवमेंट सिर उठा रहा है।
दक्षिणपंथ का विरोध
इस विचारधारा से जुड़े लोग नव-नाज़ीवाद, नव-फ़ासीवाद, व्हाइट सुप्रिमेसिस्ट (गोरे लोगों को श्रेष्ठ मानने वाली विचारधारा) और नस्लीय भेदभाव जैसे रूढ़िवादी धुर-दक्षिणपंथी विचारधारा के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाते हैं। ग्रुप का कहना है कि हाल में अमरीकी प्रशासन अधिनायकवाद की तरफ बढ़ी है और वो एक ऐसा मूवमेंट खड़ा करना चाहते हैं जो “राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के ख़िलाफ़ हमें और मज़बूत करे।
रणनीति
एंटीफ़ा प्रदर्शनकारियों की कोशिश होती है कि वो रूढ़िवादी धुर-दक्षिणपंथी कार्यक्रमों और नेताओं के कार्यक्रमों में मुश्किलें पैदा करें। वे शोर मचाते हैं, गीत गाते हैं और दक्षिणपंथी प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए मानव श्रृंखला बनाते हैं। परंपरागत रूप से सड़कों पर विरोध प्रदर्शन में अधिकतर पुरुष शामिल होते हैं लेकिन कैलिफोर्निया और दूसरी जगहों पर हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान बड़ी संख्या में एंटीफ़ा से जुड़ी महिलाओं को गिरफ़्तार किया गया है।
Saumitra Roy