पूरी दुनिया के भारत भी कोरोना वायरस के कहर को झेल रहा है। 35 हजार से अधिक लोग पूरी दुनिया में कोरोना के कारण मौत की नींद सो चुके है। अमेरिका में सबसे अधिक कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या देखने को मिल रही है। अमेरिका के प्रेसीडेंट ने ट्रंप ने अपने भाषण मे यह कहा है कि आने वाले दो सप्ताह में उनके देश में कोरोना से लगभग दो लाख लोग हो सकती है। भारत में भी 31 लोग मारे जा चुके हैं। केन्द्र व प्रदेश सरकारें कोविड19 से जूझ रही हैं। इसी के चलते पूरे देश में केन्द ने तालाबंदी का आदेश दे दिया है। इसके चलते देश भारी आर्थिक संकट से भी गुजर रहा है
वैज्ञानिकों द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन इस ओर इशारा करता है कि आईसीएमआर ने बड़ी संख्या में टेस्टिंग करने की सलाह को नजरअंदाज कर दिया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि सिर्फ कोरोना वायरस के लक्षण वाले अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को पृथक करना पर्याप्त नहीं है। स्टडी के मुताबिक ऐसा करने से भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोका नहीं जा सकता था।
ये निष्कर्ष आईसीएमआर द्वारा विदेश यात्रा करने वाले लोगों के अलावा अन्य लोगों की भी कोविड-19 जांच करने की अनिच्छा पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। इसी ग़लती की वजह से पिछले 5 दिन में पॉजिटिव केसेस की संख्या 500 से 1000 पार हो गई है।
आखिर क्यों आईसीएमआर ने जांच का दायरा बढ़ाने में देरी की जबकि उसके खुद के वैज्ञानिकों ने जल्द ऐसा करने को कहा था? स्टडी के सह-लेखक और एपिडेमिओलॉजिस्ट तरुन भट्नागर ने कहा कि जरूरी साजो-सामान की कमी होना इसकी प्रमुख वजह है।