क्या मोदी बनेंगे विश्व के सबसे ताकतवर नेता!
2014 से अब तक का घटनाक्रम देखें तो पीएम मोदी एक सशक्त राजनेता के रूप मे उभरे हैं। उन्होने कांग्रेस को आक्सीजन के दौर मे पहुंचा दिया। 2019 में भी मोदी का मैजिक एक बार फर से काम कर गया और बीजेपी के 300 से अधिक उम्मीदवार सांसद बन गये। इससे मोदी का कद और भी बढ़ गया। इस आम चुनाव में भी कांग्रेस और विपक्षियों को एक बार फिर से मुंह की खानी पड़ी। एनडीए पार्ट2 का आगाज शुरू हो गया है।
लेकिन पार्ट 2 की शुरुआत से ही सरकार को झटके लगने शुरू हो गये हैं। भारत की अर्थव्यवस्था लगातार हिचकोले खा रही है। आज देश एक ओर आर्थिक सूनामी से जूझ रहा है वहीं कोविड19 नाम की गंभीर बीमारी पूरे देश में फैलती जा रही है। वास्तव मे देश संकट के दौर से गुजर रहा है। ऐसे में मोदी ने सभी लोगों से सरकार के सहयोग की अपील की है। उन्होंने यह भी कहा कि सभी राजीतिक दलों के सहयोग की जरूरत है। यह राजनीतिक द्वेष दिखाने का वक्त नहीं है। मोदी के इस बयान में दम भी दिख रहा है। ऐसे में कोई भी राजनीतिक दल उनसे असहयोग करने की भूल भी नहीं कर सकता है। अगर मोदी सरकार कोरोना वायरस पर काबू पाने में सफल होती है तो कोई शक नहीं कि मोदी दुनिया के सामने एक शक्तिशाली नेता बन जायेंगे। लेकिन इससे पहले उन्हें कोरोना वायरस और उससे होने वाली प्रभावित होने वाली अर्थ व्यवस्था से जूझना होगा। यह समय देश और मोदी दोनों के लिये काफी संकट भरा साबित होने वाला है। लेकिन कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का कहना है कि भारत में आज जो हालात हैं उसके लिये मोदी सरकार जिममेदार है क्यों कि उन्होंने एक डेढ माह पहले ही इस वायरस के बारे में सरकार को चेता दिया था लेकिन उनकी बात को केन्द ने गंभीरता से नहीं लिया और आज देश की अर्थ व्यवस्था और भारत बंद जैसी समस्या से जूझ रहा है।
इसी बीच कोरोना वायरस के आने से सरकार के आगे इससे निपटने की एक बड़ी चुनौती सामने आ गयी है। मोदी और उनके मंत्री इस अभूतपूर्व गंभीर समस्या से जूझने का प्रयास करते दिख रहे हैं लेकिन हालात दिन ब दिन बिगड़ते ही जा रहे हैं। मोदी ने पूरे देश को 21 दिन के लॉक डउन में पहुंचा दिया है। उनका मानना है कि सोशल डिस्टेंसिंग के जरिये ही इस गंभीर से बचा जा सकता है क्यों कि अभी तक इस रोग से निपटने के लिये कोई वैक्सीन नहीं खोजी गयी है। पीएम मोदी ने इस रोग से बचने के लिये जनता से 21 दिनों तक घरों मे रहने की बार बार अपील की हे। लेकिन लोग उनकी इस अपील को गंभीरता से नहीं ले रहे है। लॉक डउन के दौरान लोग भारी संख्या में मुंबई, दिल्ली और पंजाब से पलायन कर रहे हैं। केन्द्र व प्रदेश सरकारों ने आवागमन के सारे साधन बंद कर दिये हैं इसके बावजूद दिहाड़ी मजदूरी करने वाले मजदूर वापस अपने गांवों को पैदल ही जाने को निकल पड़े हैं। इनको किसी भी तरह रोकने में सुरक्षा बल सफल नहीं हो पा रहे हैं। इन लोगो की समस्या भी जायज है उनका कहना है कि 21 दिनों तक जब लोग काम नहीं करेंगे तो वो अपने बीवी बच्चों को क्या खिलायेंगे। अगर कोरोना से बच भी गये तो भूख और गरीबी से मर जायेंगे। मरना है तो वो अपने अपनों की रूखा सूखा खा कर ही मरना पसंद करेंगे।
इस गंभीर वायरस से बचने के लिये पूरे विश्व में व्यापक रिसर्च और अध्ययन किये जा रहे है। पूरे विश्व में 3 लाख से अधिक लोग इस वायरस के चपेट में आ चुके हैं। चीन, जापान, इटली, फ्रांस, जर्मनी, ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल समेत भारत में भी लोग भारी संख्या मे संक्रमित हो रहे हैं।
एनडीए पार्ट 2 की शुरुआत से ही मोदी सरकार अर्थव्यवस्था को संभालने में सफल नही दिख रही है। कारोबार ठप होते दिख रहे हैं। शेयर बाजारा लगातार रसातल में पहुंच गया है। कोरोना की वजह से न केवल भारत की बल्कि पूरे विश्व की अर्थ् व्यवस्था गर्त में पहुंच चुकी है। कोरोना का सबसे भयावह प्रभाव चीन, इटली, ईरान, फ्रांस और अमेरिका में देखा जा रहा है।