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हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट पर अडानी समूह की प्रतिक्रिया भी आ गई है। समूह की कानूनी शाखा ने एक मीडिया बयान जारी कर के जो कहा है उसका सारांश इस प्रकार है। मीडिया बयान की फोटो आप पढ़ सकते है।
अडानी समूह के बयान के अनुसार,
” यह रिपोर्ट दुर्भावना से ग्रस्त है और जो तथ्य बताए जा रहे हैं, वे निराधार है। इस रिपोर्ट से, अडानी समूह, उसके शेयर धारक, निवेशकों में भ्रम फैला और इसका असर शेयर बाजार पर भी पड़ा। हिंडनबर्ग रिसर्च ग्रुप खुद ही भ्रम फैला कर लाभ लेना चाहता है। हम इस तरह के दुर्भावना से प्रेरित खुलासे से आहत है, यह एक विदेशी एजेंसी द्वारा, समूह के निवेशकों, शेयर धारकों को बरगलाने और अडानी समूह की प्रतिष्ठा को हानि पहुंचाने तथा, अडानी समूह के FPO (follow on Public Offering) को बेपटरी करने की साजिश है। हम भारतीय और अमेरिकी कानून में उन प्राविधानों के प्रति मशविरा कर रहें ताकि इस पर हमारे समूह द्वारा कानूनी कार्यवाही की जा सके।”

हिंडनवर्ग ने भी अडानी समूह के कानूनी विभाग के इस बयान पर अपना जवाब दिया है। उनका कहना है कि,
“रिपोर्ट प्रकाशित होने के 36 घंटे बाद तक अडानी समूह ने हमारे द्वारा रखे गए तथ्यों के बारे में कुछ भी नहीं कहा है। रिपोर्ट के अंत में हमारे द्वारा सीधे तौर पर पूछे गए, 88 सवालों के जवाब भी, जो पारदर्शिता के संबंध में थे, नहीं दिए गए।
बजाय इसके, जैसा कि, हमने उम्मीद की थी, अडानी विफर गए और हमें धमकियां देने लगे। दो साल की मेहनत, और 720 संदर्भों से, 32000 शब्दों और 106 पृष्ठों में तैयार की गई इस रिसर्च रिपोर्ट को, उन्होंने “unresearched” कह दिया और यह भी कहा कि, वे हमारे खिलाफ दंडात्मक कानूनी कार्यवाही करने के लिए, भारत और अमेरिका में कानूनी सलाह ले रहे हैं।
कम्पनी द्वारा, कानूनी कार्यवाही करने की, दी जा रही धमकी के संबंध में, हमारा यह कहना है कि, हम किसी भी कानूनी कार्यवाही का स्वागत करेंगे और, अपनी रिपोर्ट में दिए गए तथ्यों और निष्कर्षों के साथ है और यह उम्मीद करते हैं कि, कोई भी कानूनी कार्यवाही मेरिट के आधार पर होगी।
यदि अडानी सच में (कानूनी कार्यवाही के लिए) गंभीर हैं तो हम, जहां से हम काम करते हैं, उन्हे वहां पर मुकदमा दर्ज कराना चाहिए। हमारे पास दस्तावेजों की लंबी सूची है, और हम इस संदर्भ में कानूनी कार्यवाही की मांग करेंगे।”
सुशील यादव
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