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Is Narendra Modi leaving PM post क्या पीएम मोदी की विदायी तय हो गयी!

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Is Narendra Modi leaving PM post क्या पीएम मोदी की विदायी तय हो गयी!

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सवाल खड़े करता पीएम मोदी का पोडकास्ट
पीएम मोदी ने अमेरिका के पोडकास्टर लैक्स फ्रिडमैन को 3 घंटे 17 मिनट का इंटरव्यू दे कर पूरी दुनिया को हैरान कर दिया कि क्या एक पीएम के पास इतना टाइम होता है कि वो देश के अहम् मुद्दों से मुंह मोड़ कर साक्षात्कार दे। हैरानी की बात यह है कि यह सब उन दिनों हुआ जब देश में रेलवे और वित्त बजट पर संसद के दोनों सदनों में बहस छिड़ी हुई। सारा विपक्ष इस पोडकास्ट को लेकर पीएम मोदी की कड़ी निंदा कर रहा है। इतने लंबे पोडकास्ट इंटरव्यू में पीएम मोदी ने चाइना राष्टपति जिनपंग शी व यूएस प्रेसिडेट ट्रंप की शान में कसीदे पढ़े। इस इंटरव्यू में नहीं लग रहा है कि क्या ये वही पीएम नरेंद्र मोदी हैं जो अपने 56 इंच सीने का बखान करते नजर आते थे। लगता है उन्होंने हालात से समझौता कर लिया है। यह पहला मौका है जब पीएम मोदी ने अपनी हार को स्वीकार कर लिया है। देश के हालात पर अब उनका नियंत्रण नहीं रह गया है। लेकिन यह सब करने के लिये उन्होंने बड़ी चतुरायी का सहारा लिया है। पीएम मोदी ने पोडकास्ट में यह जता दिया है कि देश के बदहाल आर्थिक हालात पर उनका नियंत्रण नहीं रह गया है। देश की गिरती अर्थ व्यवस्था को नियंत्रित करने की क्षमता उनकी सरकार में नहीं है। विपक्ष यह आरोप लगा रहा है कि मोदी सरकार हर मामले में विफल रही है चाहे वो अर्थ व्यवस्था हो या विदेश नीति या सामाजिक सौहार्द बनाये रखने में। पिछले दस 11 सालों देश में जो नफरत और सांप्रदायिकता का जहर घुला है उसमे भाजपा संघ और सरकार का पूरा हाथ है। दिलचस्प बात यह है कि पीमए मोदी और सरकार इस सच को मानने से इनकार करती रही है। देश के हालात बेहाल देख पीएम मोदी ने संघ की शरण में जाना ही बेहतर समझ है। 2024 के चुनाव रिजल्ट के पहले मोदी शाह संघ को भी अंगूठा दिखाने से बाज नहीं आ रहे थे।
ट्रंप के इरादों से भारतीय उद्योग में खलबली
यूएस प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कर दिया है कि वो अपने देश में व्यापारियों में खलबली मच गयी है। ट्रंप ने यह ऐलान कर दिया है कि अब उनके देश में व्यापार करने वाले अन्य देशों के लिये विशेष टैरिफ लगाया जायेगा। यह टैरिफ 20 से 25 फीसद तक लगाया जायेगा। मालूम हो कि भारत से फार्मा, केमिकल, अचार पापड़ टैक्सटाइल समेत बहुत सारे उत्पाद यूएस भेजे जाते हैं जिन पर अभी तक कोई टैक्स नहीं लगता था। नये टैरिफ लगने पर भारतीय व्यापारियों को जोरदार झटका लगने जा रहा है। वहीं दूसरी ओर भारतीय अर्थ व्यवस्था को प्रभावित करने की आशंका व्याप्त है। दूसरी ओर भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत बहुत ही खस्ता है। देश पर विदेशी कर्ज भी सिर से पांव तक ​लद गया है। देश की आर्थिक स्थिति रासातल में पहुंच गयी है। आर्थिक विशेषज्ञ मान रहे हैं कि सरकार ने इस ओर नहीं सोचा तो वो दिन दूर नहीं जब देश के हालात बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे होने में देर नहीं लगेगी।
सारा देश जानना चाहता है कि आखिर देश के यशस्वी पीएम नरेंद्र मोदी भीगी बिल्ली क्यों बन गये हैं। बात बात में मोदी और उनके समर्थक 56 इंच के सीने की बात करते थे। आज उस 56 इंच वाले पीएम मोदी को क्या हो गया कि ट्रंप बात बात में उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी कर रहे हैं और वो मुंह में दही जमाये बैठे हैं। संसद में वो शेर की तरह दहाड़ कर विपक्ष को चुप कराने का दम रखते थे। आखिर क्या हुए कि आज के समय में विपक्ष के उनके साथ चट्टान की तरह अड़ कर चुनौती दे रहा है और वो चुपचाप गर्दन झुका कर बैठे रहते हैं। विपक्ष उनकी सरकार की कमियों को सरेआम खुलासा कर रहे हैं। पिछले 11 सालों में यह पहली बार हो रहा है कि संसद के दोनों सदनों में विपक्ष उनको खुली चुनौती दे रहा है लेकिन वो उकनी चुनौतियों का सामना भी नहीं कर पा रहे हैं। बीच सदन मोदी देश छोड़ कर विदेश चले जाते हैं जब कि संसद में वित्त बजट पर इंडिया ब्लॉक चौतरफा हमलावर है।
ट्रंप के आगे पीएम हुए ढेर
जब से डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार यूएसए की कमान संभाली है तब से वो भारत विरोधी हरकतों में सक्रिय हो गये हैं। ट्रंप को अपना जिगरी यार बताने वाले मोदी को ट्रंप शपथ ग्रहण कार्यक्रम में बुलाना भी ठीक नहीं समझा। इस बात का पीएम मोदी को आजन्म मलाल रहेगा। बीस जनवरी को ट्रंप ने पद संभाला और उसके बाद से ही वो भारत को बेइज्जत करने में सक्रिय हो गये। पीएम को नीचा दिखाने का ट्रप कोई भी मौका नहीं छोड रहे हैं। ट्रप ने अमेरिकी संस्था यूएएड्स की सरकारी मदद को बंद कर दिया। साथ ही यह कहा कि इस संस्था के जरिये भारत में चुनावों को प्रभावित किया जा रहा था। उसके बाद पीएम मोदी पर आरोप लगाया किया कि 21 बिलियन डॉलर राशि नरेंद्र मोदी की गयी है।

यूएस में रह रहे प्रवासी भारतीयों को कैदियों की तरह यूएस आर्मी के एयर क्राफ्ट में भारत भेज दिया। अफसोस की बात तो यह है कि अमरीका की इस नीच हरकत पर पीएम मोदी और विदश मंत्री जयशंकर ने यूएस के प्रति कोई प्रतिक्रिया नहीं जाहिर की। संसद में बहुत हो हल्ला हुआ तो विदेश मंंत्री ने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि यूएस में कुछ भारतीय अवैध रूप से रह रहे थे अत: वहां के कानून के हिसाब से अनिवासी भारतियों को कैदियों के रूप में भारत भेजा गया है। हैरानी की बात यह है कि यूएसए में केवल भारतीय लेाग अवैध रूप से नहीं रह रहे हैं वहां चीन पाकिस्तान, कोलंबिया मैक्सिको और अन्य देशों के लोग रह रहे हैं। इन देशों के लेागों को यूएस ने कैदियों की तरह बेइज्जत कर उनके देश वापस नहीं भेजा। कोलंबिया जैसे छोटे देश ने ट्रंप सरकार को मुंहतोड़ जवाब देते हुए कहा कि हम अपने नागरिकों के लिये अपना विमान भेजेंगे आप उनके साथ कैदयों जैसा बर्ताव नहीं कर सकते हैं। लेकिन विश्वगुरु भारत सरकार के पीएम मोदी ने अमरीका के इस बुरे बर्ताव के खिलाफ मुंह नहीं खोला। अब तक तीन यूएस अप्रवासी भारतियों को कैदियों के रूप में इंडिया भेज चुका है। लेकिन भारत सरकार ट्रंप की इस अमानवीय बर्ताव करने की हिम्मत नहीं जुटा पायी है।
ट्रंप ने डाला भारत पर नाजायज दबाव
भारत पर ट्रंप लगातार दबाव बनाने की चालें चल रहें हैं। सरकार बनने के बाद ट्रंप ने यह ऐलान कर दिया कि अब अमेरिका में बिजनेस करने के लिये अन्य देशों पर विशेष टैरिफ लागू होगा। कहने के साथ ही कनाडा और मैक्सिको पर विशेष टैरिफ लागू भी कर दिया गया है। विशेष टैरिफ लागू होने से भारत के उद्योग पर भारी असर पड़ने वाला है। ट्रंप ने साफ कर दिया है कि अगर भारत को ट्रंप के साथ होना है तो ईरान व रूस का साथ छोड़ना होगा। जैसा कि सभी को मालूम है कि भारत अबतक ईरान व रूस से पेट्रोलियम उत्पाद विशेष रियायत पर ले रहा है। लेकिन अब यूएस सरकार का कहना है कि भारत को पेट्रोलियम उत्पाद उनसे महंगे दामों पर लेना होगा।
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सारा देश जानना चाहता है कि आखिर देश के यशस्वी पीएम नरेंद्र मोदी भीगी बिल्ली क्यों बन गये हैं। बात बात में मोदी और उनके समर्थक 56 ​इंच के सीने की बात करते थे। आज उस 56 इंच वाले पीएम मोदी को क्या हो गया कि ट्रंप बात बात में उनके खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी कर रहे हैं और वो मुंह में दही जमाये बैठे हैं। संसद में वो शेर की तरह दहाड़ कर विपक्ष को चुप कराने का दम रखते थे। आखिर क्या हुए कि आज के समय में विपक्ष के उनके साथ चट्टान की तरह अड़ कर चुनौती दे रहा है और वो चुपचाप गर्दन झुका कर बैठे रहते हैं। विपक्ष उनकी सरकार की कमियों को सरेआम खुलासा कर रहे हैं। पिछले 11 सालों में यह पहली बार हो रहा है कि संसद के दोनों सदनों में विपक्ष उनको खुली चुनौती दे रहा है लेकिन वो उकनी चुनौतियों का सामना भी नहीं कर पा रहे हैं। बीच सदन मोदी देश छोड़ कर विदेश चले जाते हैं जब कि संसद में वित्त बजट पर इंडिया ब्लॉक चौतरफा हमलावर है।
ट्रंप के आगे पीएम हुए ढेर
जब से डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार यूएसए की कमान संभाली है तब से वो भारत विरोधी हरकतों में सक्रिय हो गये हैं। ट्रंप को अपना जिगरी यार बताने वाले मोदी को ट्रंप शपथ ग्रहण कार्यक्रम में बुलाना भी ठीक नहीं समझा। इस बात का पीएम मोदी को आजन्म मलाल रहेगा। बीस जनवरी को ट्रंप ने पद संभाला और उसके बाद से ही वो भारत को बेइज्जत करने में सक्रिय हो गये। पीएम को नीचा दिखाने का ट्रप कोई भी मौका नहीं छोड रहे हैं। ट्रप ने अमेरिकी संस्था यूएएड्स की सरकारी मदद को बंद कर दिया। साथ ही यह कहा कि इस संस्था के जरिये भारत में चुनावों को प्रभावित किया जा रहा था। उसके बाद पीएम मोदी पर आरोप लगाया किया कि 21 बिलियन डॉलर राशि नरेंद्र मोदी की गयी है। यूएस में रह रहे प्रवासी भारतीयों को कैदियों की तरह यूएस आर्मी के एयर क्राफ्ट में भारत भेज दिया। अफसोस की बात तो यह है कि अमरीका की इस नीच हरकत पर पीएम मोदी और विदश मंत्री जयशंकर ने यूएस के प्रति कोई प्रतिक्रिया नहीं जाहिर की। संसद में बहुत हो हल्ला हुआ तो विदेश मंंत्री ने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि यूएस में कुछ भारतीय अवैध रूप से रह रहे थे अत: वहां के कानून के हिसाब से अनिवासी भारतियों को कैदियों के रूप में भारत भेजा गया है। हैरानी की बात यह है कि यूएसए में केवल भारतीय लेाग अवैध रूप से नहीं रह रहे हैं वहां चीन पाकिस्तान, कोलंबिया मैक्सिको और अन्य देशों के लोग रह रहे हैं। इन देशों के लेागों को यूएस ने कैदियों की तरह बेइज्जत कर उनके देश वापस नहीं भेजा। कोलंबिया जैसे छोटे देश ने ट्रंप सरकार को मुंहतोड़ जवाब देते हुए कहा कि हम अपने नागरिकों के लिये अपना विमान भेजेंगे आप उनके साथ कैदयों जैसा बर्ताव नहीं कर सकते हैं। लेकिन विश्वगुरु भारत सरकार के पीएम मोदी ने अमरीका के इस बुरे बर्ताव के खिलाफ मुंह नहीं खोला। अब तक तीन यूएस अप्रवासी भारतियों को कैदियों के रूप में इंडिया भेज चुका है। लेकिन भारत सरकार ट्रंप की इस अमानवीय बर्ताव करने की हिम्मत नहीं जुटा पायी है।

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