आज लॉक डाउन को लागू हुए 18 दिन हो गये हैं। यह लॉक डाउन कोरोना वायरस पर नियंत्रण करने के लिये पीएम मोदी ने पूरे देश में लगाया था। एक तरफ लोग कोरोना वायरस और लॉक डाउन के कहर को झेल रहे थे वहीं दूसरी ओर लोगों की नौकरियां जाना भी शुरू हो गयी हैं। ताजा मामला हरियाणा के गुड़गांव का सामने आया है। पर्यटन उद्योग से जुड़ी एक मल्टीनेशनल कंपनी ने अपने 800 कर्मचारियों को बिना किसी वजह और नोटिस के नौकरी से हटा दिया है। इस बात की जानकारी प्रदेश के श्रम विभाग और सरकार की भी पता चल गयी है लेकिन उनकी ओर से कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया है।
मालूम हो कि फेयरपोर्टल ने शनिवार को अपने 800 कर्मचारियों को गुड़गांव स्थित कार्यालय बुला कर उनसे इस्तीफे मागे। लोगों ने ऐतराज जताया तो उन्हें बकाया वेतन न देने की धमकी दी गयी। हार कर कर्मचारियों ने अपने इस्तीफे सौंप दिये। जिन लोगों को एक साल नहीं हुआ था, उनको भी ांट्रैकट के कानूनी दांवपेंच में फंसा कर बिना किसी नोटिस के निकाल दिया गया। यह कंपनी ट्रेवल बिजनेस यानी फ्लाइट और होटल बुकिंग की बहुत बड़ी अमेरिकी कंपनी है। कर्मचारियों को निकाले जाने का सिलसिला कई दिनों से चल रहा है और मजाल है कि केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार या उसके श्रम विभाग गुड़गांव ने इस पर कोई ऐतराज किया हो।
विदेशी कंपनी के इस निर्णय से लोगों में काफी रोष व्याप्त है। लेकिन प्रदेश सरकार और प्रशासन की सुस्ती और लापरवाही से लोगों में दुख छा गया। लॉक डाउन के कारण लोगों को जीवनयापन में संकट खड़ा हो गया है।