हाइलाइट्स:
- रेलवे ने अब अपनी संपत्तियों पर नजर रखने के लिए ड्रोन्स के इस्तेमाल की योजना बनाई है
- सेंट्रल रेलवे के मुंबई डिविजन ने खरीदे हैं 2 निंजा ड्रोन, आरपीएफ भी 9 ड्रोन खरीद चुकी है
- इन ड्रोन्स से न सिर्फ रेलवे की संपत्तियों की निगरानी होगी बल्कि संदिग्ध गतिविधियों, अपराधों पर पाया जाएगा काबू
रेलवे की संपत्तियों पर अब ‘तीसरी आंख’ से नजर रखी जाएगी। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि रेलवे की संपत्तियों की निगरानी करने और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निंजा नाम के ड्रोन (Ninja unmanned aerial vehicles) खरीदे गए हैं। सेन्ट्रल रेलवे के मुंबई डिविजन ने रेलवे के इलाकों जैसे स्टेशन परिसर, पटरियों, यार्ड और वर्कशॉप्स वगैरह की बेहतर सुरक्षा और निगरानी के लिए 2 निंजा यूएवी (अनमैन्ड एरियल वीइकल्स) की खरीद की है।
संपत्तियों की निगरानी और सुरक्षा में मिलेगी मदद
गोयल ने ट्वीट किया, ‘आसमान में निगाह: सर्विलांस सिस्टम में सुधार करते हुए रेलवे ने हाल ही में निंजा अनमैन्ड एरियल वीइकल्स (ड्रोन) खरीदा है। रियल-टाइम ट्रैकिंग, वीडियो स्ट्रीमिंग और ऑटोमैटिक फेलसेफ मोड की क्षमताओं से लैस इन ड्रोन्स से रेलवे की संपत्तियों की निगरानी और बढ़ेगी और यात्रियों की अतिरिक्त सुरक्षा सुनिश्चित होगी।’
आरपीएफ ने भी खरीदे हैं 9 ड्रोन
रेल मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि रेलवे की सुरक्षा के लिए रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) ने ड्रोन्स का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करने की योजना बनाई है। इसमें कहा गया है कि अब तक साउथ ईस्टर्न रेलवे, सेन्ट्रल रेलवे, मॉडर्न कोचिंग फैक्ट्री रायबरेली और साउथ वेस्टर्न रेलवे में आरपीएफ ने 31.87 लाख की लागत से 9 ड्रोन खरीदे हैं।
आरपीएफ के 19 जवानों को ड्रोन चलाने की दी जा चुकी है ट्रेनिंग
रेल मंत्रालय ने अपने बयान में बताया कि आगे चलकर 97.52 लाख की लागत से 17 और ड्रोन खरीदे जाने का प्रस्ताव है। ड्रोन्स को चलाने और उनके रखरखाव के लिए आरपीएफ के 19 जवानों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है। इनमें से 4 ने ड्रोन उड़ाने का लाइसेंस भी हासिल कर लिया है। 6 और आरपीएफ कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जा रही है। बयान में कहा गया है कि ड्रोन की तैनाती का मकसद आरपीएफ की क्षमताओं में इजाफा और ड्यूटी पर तैनात सुरक्षा कर्मियों की मदद करना है।
निगरानी के साथ अपराधियों पर भी रखी जा सकेगी नजर
इन ड्रोन्स से रेलवे की संपत्तियों के निरीक्षण और यार्ड्स, वर्कशॉप्स, कार शेड्स की सुरक्षा में मदद मिलेगी। इसके अलावा यह अपराधियों पर नजर रखने और जुआ, रेलवे परिसरों में जुआ खेलने, कूड़ा फेंकने जैसी ऐंटी-सोशल गतिविधियों की निगरानी करने में भी मदद मिलेगी।
ड्रोन की मदद से रेलवे ने एक चोर को रियल टाइम में पकड़ा भी है
एक ड्रोन कैमरे से उतनी जगह पर निगरानी की जा सकती है, जिसमें 8-10 आरपीएफ जवानों की जरूरत होती है। इस लिहाज से मैन पावर की कमी की समस्या के हल के रूप में भी ड्रोन्स एक विकल्प हो सकते हैं। किसी भी तरह की संदिग्ध गतिविधि की सूरत में ड्रोन के जरिए नजदीकी आरपीएफ पोस्ट पर सूचना जाएगी जिससे अपराधी मौके पर ही पकड़े जा सकेंगे। वादीबुंदर यार्ड एरिया में एक ऐसे ही अपराधी को रियल टाइम बेसिस पर गिरफ्तार भी किया जा चुका है। वह यार्ड में खड़े रेलवे कोच के भीतर चोरी की कोशिश कर रहा था। हादसे की स्थिति में इन ड्रोन्स से रेस्क्यू, रिकवरी और रेस्टोरेशन के काम और कई एजेंसियों के बीच समन्वय में मदद मिलेगी।