चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एसए बोबडे और सुप्रीम कोर्ट पर ट्वीट को लेकर अवमाना केस का सामना कर रहे प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने माफी ना मांगने के स्टैंड पर दोबारा विचार करने के लिए 30 मिनट का समय दिया है। कोर्ट ने कहा कि हमने उन्हें पहले माफी मांगने का समय दिया, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। प्रशांत भूषण ने हलफनामे में भी अपमानजनक टिप्पणी की है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि प्रशांत भूषण को अपने सभी बयान वापस लेकर खेद जतानी चाहिए।
इससे पहले सरकार ने प्रशांत भूषण पर नरमी दिखाई। सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगने से इनकार कर चुके भूषण को लेकर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट से गुजारिश की कि भूषण को चेतावनी देकर छोड़ दिया जाए। अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, ”उन्होंने चेतावनी देकर छोड़ दिया जाए, बता दिया जाए कि भविष्य में फिर ऐसा ना करें।” सुप्रीम कोर्ट ने वेणुगोपाल से पूछा, ”बताइए क्या करना चाहिए। हमें अलग बयान की उम्मीद थी।” सरकार के वकील ने कहा कि कई मौजूदा और पूर्व जजों ने हायर ज्यूडिशरी में भ्रष्टाचार पर कॉमेंट किया है।
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सरकार के सबसे बड़े वकील ने कहा, ”ये बयान कोर्ट को यह बताने के लिए रहे होंगे कि आप अस्पष्ट दिख रहे हैं और सुधार करें। वेणुगोपाल ने कहा कि भूषण को चेतावनी देकर छोड़ दिया जाए, सजा ना दी जाए।
इससे पहले प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगने से इनकार कर दिया और कहा कि वह उनका विचार था और वह उस पर कायम हैं। जजों के खिलाफ अपने ट्वीट के लिए अवमानना का दोषी पाए गए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया।
प्रशांत भूषण ने कहा ‘ मेरा बयान सद्भावनापूर्थ था। अगर मैं इस कोर्ट के समक्ष अपने बयान वापस लेता हूं, तो मेरा मानना है कि अगर मैं एक ईमानदार माफी की पेशकश करता हूं, तो मेरी नजर में मेरी अंतरात्मा और उस संस्थान की अवमानना होगी, जिसमें मैं सर्वोच्च विश्वास रखता हूं।’
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सामाजिक कार्यकर्ता और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण से कहा था कि वह न्यायालय की अवमानना वाले ट्वीट को लेकर माफी नहीं मांगने वाले अपने बयान पर पुनर्विचार करें और इसके लिए उन्हें दो से तीन दिन का समय दिया गया है। कोर्ट ने 24 अगस्त तक की मोहलत दी थी।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने ट्विटर पर न्यायाधीशों को लेकर की गई टिप्पणी के लिए 14 अगस्त को उन्हें दोषी ठहराया था। प्रशांत भूषण ने 27 जून को न्यायपालिका के छह वर्ष के कामकाज को लेकर एक टिप्पणी की थी, जबकि 22 जून को शीर्ष अदालत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश एस. ए. बोबडे और चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को लेकर दूसरी टिप्पणी की थी।