अशोक गहलोत खेमे के विधायक बोले- सचिन पायलट मेरी बात मानते तो उनके पास आज 40-45 MLA होते


राजस्थान में जारी सियासी संकट के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खेमे के एक कांग्रेसी विधायक ने गुरुवार को कहा कि अगर उनके सुझावों पर विचार किया जाता तो पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के साथ 40-45 विधायक हो सकते थे। विधायक ने यह भी कहा कि हो सकता है कि पायलट ने आवेश में में गुरुग्राम जाने का निर्णय लिया हो।

निवाई से कांग्रेस विधायक प्रशांत बैरवा ने गुरुवार को एक स्थानीय टीवी समाचार चैनल को बताया कि सचिन पायलट को एहसास नहीं था कि उनके पास एक बड़ी टीम है। उन्होंने कहा, “यह बेहतर होता कि वह हमसे सलाह लेते। कोई और उनके लिए गेम खेल रहा था। उनके पास एक बड़ी टीम है, यह उन्होंने महसूस नहीं किया।”

निवाई विधायक सचिन पायलट के वफादार माने जाते हैं और 11 जुलाई को मानेसर से गहलोत कैंप लौटे चार विधायकों में से थे। आपको बता दें कि वे चार विधायक दानिश अबरार, रोहित बोहरा, प्रशांत बैरवा और चेतन डूडी थे।

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बैरवा ने कहा कि पायलट जिन लोगों पर भरोसा कर रहे हैं, वे पहले ऐसे होंगे जो उन्हें उजाड़ देंगे। उन्होंने कहा, “यहां उनके शुभचिंतक भी हैं, लेकिन हम सभी कांग्रेस के साथ हैं।” कांग्रेस विधायकों ने कहा कि पायलट को सरकार के खिलाफ भड़काने में भाजपा शामिल थी। यदि भाजपा शामिल नहीं थी, तो उनके कैंप के विधायक हरियाणा पुलिस की निगरानी में गुरुग्राम में क्यों रह रहे हैं? अब वे गुजरात गए हैं, जो भाजपा शासित राज्य है।

बैरवा ने दावा किया कि पायलट गुट के कुछ विधायक भी सरकार में लौटने के इच्छुक थे लेकिन उन्हें अनुमति नहीं है। उन्होंने कहा कि असंतुष्ट विधायकों को कोई स्वतंत्रता नहीं है। यह संभव है कि वे वापस लौटना चाहते हों लेकिन उन्हें रोका जा रहा है।

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जब उनसे पूछा गया कि पायलट ने ऐसा क्यों किया, तो बैरवा ने कहा कि पायलट शालीन है। हो सकता है कि उन्होंने पल भर में फैसला ले लिया हो। विधायक ने कहा कि कांग्रेस ने सचिन पायलट को बड़ा नेता बनाया। केंद्रीय मंत्री बनाया। वह इस समय असहाय महसूस कर रहे होंगे। विधायक ने कहा कि उनका पायलट के साथ भावनात्मक लगाव था और यह हमेशा रहेगा, लेकिन जब राजनीति की बात आती है तो उन्होंने अपनी चाल चली और मैंने अपनी।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा, “जो बैरवा कहना चाह रहे हैं वह यह है कि जब पायलट राज्य के पार्टी प्रमुख थे, तब सभी उनके साथ थे, लेकिन अब जब उन्होंने भाजपा से हाथ मिला लिया, तो जो लोग उनके साथ रह गए वे पछता रहे हैं।” उन्होंने यह भी साफ किया कि पायलट ने गुस्से में फैसला लिया और इसके पीछे बीजेपी का हाथ है। आपको बता दें कि सचिन पायलट की टिप्पणी पर विधायकों ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

आरोपों पर टिप्पणी करते हुए भाजपा प्रवक्ता राम लाल शर्मा ने कहा कि आरोप निराधार हैं और भाजपा का कांग्रेस की समस्या से कोई लेना-देना नहीं है। यह उनके बीच समन्वय की कमी के कारण उत्पन्न हुई आंतरिक लड़ाई है।





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