उड़ानें बंद होने से मौसम का अनुमान लगाने में हो रही दिक्कत


शाश्वत मोहंती, नई दिल्ली

मौसम का पूर्वानुमान करने वाले ग्लोबल सिस्टम्स इस समय मुश्किल समय से गुजर रहे हैं। ये सिस्टम हवा, नमी और तापमान से जुड़ी अहम जानकारियां जुटाने के लिए हवाई जहाजों पर लगे सेंसर पर निर्भर होते हैं। हालांकि कोरोनावायरस महामारी के चलते दुनिया के अधिकतर देशों में हवाई जहाजों का परिचालन ठप है, जिससे मौसम का पूर्वानुमान करने वाले सिस्टम्स को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

ऑटोमेटिक सिस्टम नहीं, पूर्वाानुमान में मुश्किल

भारतीय मौसम विभाग के वैज्ञानिकों का कहना है कि वे हवाई जहाजों से मिलने वाली जानकारियों के बिना ही मौसम का पूर्वानुमान लगा रहे हैं। हालांकि वर्ल्ड मीटियरलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन (WMO) का कहना है कि वह पूर्वानुमान की गुणवत्ता को लेकर चिंतित है क्योंकि हवाई जहाज से मिलने वाली जानकारियों में करीब 90 पर्सेंट की कमी आई है। इसके अलावा लॉकडाउन

पर नहीं लागू होने के चलते जमीन पर आंकड़े जुटाने की प्रक्रिया भी प्रभावित हुई है। यह समस्या उन विकासशील देशों में अधिक है, जहां मौसम की जानकारी जुटाने वाले स्टेशन में ऑटोमेटिक सिस्टम नहीं हैं। WMO संयुक्त राष्ट्र संघ की संस्था है।

पूर्वानुमान में सैटेलाइट का यूज

मौसम का पूर्वानुमान करने वाले वैज्ञानिक स्वचालित स्टेशनों और सैटलाइट्स का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि अगर यह महामारी लंबे समय तक बनी रहती है तो इन्हें भी मरम्मत या कोई खराबी ठीक करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। WMO के सेक्रटरी जनरल पेटेरी टालस ने बताया, ‘नैशनल मीटियरोलॉजिकल ऐंड हाइड्रोलॉजिकल सर्विसेज अपना जरूरी कामकाज चौबीसों घंटे चालू रखे हुए है, लेकिन कोरोनावायरस महामारी के चलते उसकी मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। खासतौर से विकासशील देशों में।’ मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंसेज के सेक्रटरी एम राजीवन का कहना है कि अभी तक भारतीय पूर्वानुमानों पर इसका असर नहीं पड़ा है।

लंबी अवधि के पूर्वानुमान पर नहीं असर

राजीवन ने ईटी को बताया, ‘लंबी अवधि के पूर्वानुमान पर इसका असर नहीं पड़ेगा। इसमें मॉनसून से जुड़े पूर्वानुमान भी शामिल हैं। वहीं कम अवधि के पूर्वानुमान में हमें अभी तक किसी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ा है।’ WMO ने बताया कि हवाई जहाज के जरिए इकठ्ठा किए जाने आंकड़ों में 75-80 पर्सेंट की कमी आई है। दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थिति और भी खराब है, जहां ऐसी जानकारियों में करीब 90 पर्सेंट गिरावट आई है। हवाई जहाज पर लगे उपकरण रोजाना करीब 8 लाख से अधिक जानकारियां ट्रांसमिट करते हैं, जिनका इस्तेमाल मौसम के पूर्वानुमान, जलवायु की निगरानी और उसके बारे में अनुमान, मौसम से जुड़े खतरों को लेकर पहले चेतावनी देने और खुद एविएशन इंडस्ट्री के लिए जरूरी पूर्वानुमान करने में होता है।

हजारों जहाज जुटाते हैं आंकड़े

WMO एयरक्राफ्ट मीटियरोलॉजिकल डेटा रिले (AMDAR) कार्यक्रम के तहत करीब 43 एयरलाइन कंपनियों के हजारों जहाज ये आंकड़े जुटाते हैं। ये हवाई जहाज सेंसर्स, कंप्यूटर और कम्युनिकेशन सिस्टम से लैस होते हैं, जो मौसम से जुड़ी जानकारियों को इकट्ठा करते हैं, उन्हें प्रोसेस करते हैं और फिर उन्हें सैटेलाइट या रेडियो लिंक्स के जरिए ग्राउंड स्टेशंस को भेजते हैं।





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