लॉकडाउन धीरे-धीरे खोलने के बाद भारत समेत दुनियाभर की अर्थव्यवस्था में उम्मीद से पहले सुधार के संकेत दिखने लगे हैं। भारतीय शेयर बाजार में इस महीने के सिर्फ सात दिनों में विदेशी निवेशकों ने करीब 23 हजार करोड़ रुपये (तीन अरब डॉलर) का निवेश किया है। जबकि मार्च से लेकर मई तक वह बाजार से निवेश निकाल रहे थे।
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आंकड़ों के मुताबिक भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्था के लिएज्यादा बेहतर अवसर दिख रहे हैं। इस अवधि में दक्षिण कोरिया में 35 करोड़ रुपये का निवेश आया। जबकि ताइवान में 85 करोड़ डॉलर का निवेश विदेशी निवेशकों ने किया। वहीं दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जापान के बाजार से विदेशी निवेशकों ने 35 करोड़ डॉलर की निकासी की। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना संकट में उभरती अर्थव्यवस्था पर विदेशी निवेशक ज्यादा भरोसा जता रहे हैं। हालांकि, जेपी मॉर्गन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अमेरकिा में भी जिस कदर बेरोगजगाारी दर में गिरावट आई है वह दुनिया के लिएअच्छा संकेत है।
अमेरिका में बेरोजगारी दर में गिरावट ने चौंकाया
कोरोना संकट के बाद अमेरिका में अप्रैल-मई में बेरोजगारी दर 70 वर्ष के शीर्ष पर पहुंच गई थी। वहीं मई में दो करोड़ लोगों ने बेरोजगारी भत्ता के लिए पंजीकरण कराया था।. लेकिन जून के पहले हफ्ते में बेरोजगारी दर घटकर 13 फीसदी हो गई। विशेषज्ञ आर्थिक सुधार के सकेंत के तौर पर देख रहे हैं।
ओपेक के फैसले से भी जगी आर्थिक तेजी की उम्मीद
अप्रैल में एक समय कच्चा तेल बेचने के लिए पैसे देने तक की नौबत आ गई थी। इसकेबाद कच्चे तेल के दाम दोगुना बढ़ चुके हैं। पिछले दिनों ओपेक ने एक करोड़ बैरल उत्पादन में कटौती का फैसला किया है। ओपेक को उम्मीद है कि लॉकडाउन में राहत से खरीदार महंगा तेल लेने को भी तैयार रहेंगे।