दूरसंचार कंपनियों के एजीआर बकाया की सुनवाई आज सुप्रीम कोर्ट में हुई। इस मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह सार्वजनिक उपक्रमों से एजीआर से संबंधित बकाया राशि के रूप में की गई करीब 4 लाख करोड़ रुपए की मांग में से 96 फीसद वापस ले रहा है। वहीं, दूरसंचार विभाग ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर सार्वजनिक उपक्रमों से पहले एजीआर से संबंधित बकाए के रूप में चार लाख करोड़ रुपए की मांग करने की वजह बताई। साथ ही दूरसंचार विभाग ने एजीआर से संबंधित बकाया राशि के भुगतान के बारे में निजी संचार कंपनियों के जवाब पर प्रतिक्रिया देने के लिए न्यायालय से समय मांगा।

 

न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूति एम आर शाह की पीठ को वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सूचित किया कि दूरसंचार विभाग ने एक हलफनामा दाखिल किया है, जिसमे सार्वजनिक उपक्रमों से एजीआर संबंधित बकाया राशि की मांग की वजहें स्पष्ट की गई हैं।

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हालांकि, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया लि, जैसी निजी संचार कंपनियों द्वारा एजीआर से संबंधित बकाया राशि के भुगतान को लेकर दाखिल हलफनामों का जवाब देने के लिए दूरसंचार विभाग ने पीठ से कुछ समय देने का अनुरोध किया है। इस मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने बैंक गारंटी और प्रतिभूति के बारे मे जानना चाहा जो एजीआर से संबंधित बकाया राशि का भुगतान सुनिश्चित करने के लिये इन निजी कंपनियों से लिया जा सकता है।

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वहीं एयरटेल ने SC में हलफनामा दायर कर 20 साल का वक्त मांगा है। Airtel ने सरकार को 13,004 करोड़ रुपये की रकम चुकाई है। डाट के पास Bharti Airtel की 10,800 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी मौजूद है। कंपनी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सभी आदेशों का पालन करेगी।  





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