कुछ बैंक फिक्स्ड डिपोजिट की सुविधा सेविंग अकाउंट होने पर ही देते हैं. लेकिन कुछ बैंक सीधे फिक्स्ड डिपोजिट सुविधा देते हैं.

बैंकों का फिक्स्ड डिपोजिट बिल्कुल सुरक्षित निवेश माना जाता है. इसके डूबने का कोई खतरा नहीं होता और इस पर एक निश्चित ब्याज तय होता है. इसलिए सुरक्षित रिटर्न चाहने वाले निवेशक इस पर आंख मूंद कर विश्वास करते हैं. चूंकि फिक्स्ड डिपोजिट बाजार के जोखिम से जुड़े नहीं होते हैं इसलिए यह निश्चित रिटर्न के गारंटी वाले होते है.लेकिन फिक्स्ड डिपोजिट के जोखिम भी हैं. सजग निवेशकों के लिए इन्हें जानना बेहद जरूरी है.

कुछ बैंक फिक्स्ड डिपोजिट की सुविधा सेविंग अकाउंट होने पर ही देते हैं. लेकिन कुछ बैंक सीधे फिक्स्ड डिपोजिट सुविधा देते हैं. आइए एफडी करवाने से पहले जान लेते हैं कि इनके जोखिम क्या हैं.

पेनाल्टी का जोखिम

फिक्स्ड डिपोजिट को आप जब चाहे तुड़वा सकते हैं. लिक्वडिटी के हिसाब से यह बेहतरीन निवेश इंस्ट्रूमेंट है लेकिन मैच्योरिटी से पहले पैसा निकालने पर पेनाल्टी लगती है. पेनाल्टी की राशि अलग-अलग बैंक में अलग-अलग होती है.

बैंक डिफॉल्ट का जोखिम

बैंक डिफॉल्ट होने से एफडी निवेशकों का पैसा फंस सकता है. हालांकि भारत में निवेशकों को गारंटी मिली होती है. लेकिन हाल में कई बैंक डूबे हैं और निवेशकों का पैसा ब्लॉक हो गया है. आरबीई पांच लाख रुपये तक पर गारंटी देता है लेकिन इससे ऊपर की राशि पर गारंटी नहीं है.

कम ब्याज दर का जोखिम

बैकों पर कर्जा सस्ता करने का दबाव बढ़ने के साथ ही फिक्सड डिपोजिट पर ब्याज लगातार घटता जा रहा है. अब महंगाई दर और एफडी के ब्याज दर में बहुत कम अंतर रह गया है. इसलिए फिक्स्ड डिपोजिट में निवेश करना रिटर्न के लिहाज से खराब निवेश माना जाने लगा है. एफडी के कम ब्याज की वजह से निवेशक म्यूचुअल फंड की ओर रुख करने लगे हैं.

लॉक-इन पीरियड का जोखिम

बैंक फिक्स्ड डिपोजिट एक साल से लेकर पांच साल तक की अवधि के लिए होते हैं. लंबे लॉक-इन पीरियड की वजह से लंबी अवधि तक आपको कम ब्याज दर से संतोष करना पड़ता है. पिछले कुछ साल से बैंक लगातार एफडी पर ब्याज घटाते जा रहे हैं.



Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here