नयी दिल्ली। कर्नाटक में कांग्रेस व जेडीएस सरकार के गिर जाने से बीजेपी की मंशा तो पूरी हो गयी लेकिन सरकार बनने के आसार अभी नहीं दिख रहे हैं। कुछ तो राष्ट्रपति शासन लगने की बात भी कर रहे हैं। अभी भी सरकार बनने में विधानसभा स्पीकर के निर्णय कर इंतजार किया जा रहा है कि वो बागी विधायकों पर का क्या फैसला लेतें हैं। इस अनिश्चतता के कारण बीजेपी भी सरकार बनाने का दावा करने में सक्षम नहीं है।
कर्नाटक में कांग्रेस—जेडीएस बागी विधायकों पर विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश के फैसले होने तक बाद प्रेसिडेंट रूल लग सकता है। क्यों कि बीजेपी भी बागियों पर फैसला आने का इंतजार कर रही है। वो भी सरकार बनाने के बारे में उतनी उतावली नहीं दिख रही है जितनी पहली बार थी। कर्नाटक भाजपा के प्रवक्ता जी मधुसूधदन ने कहा कि यदि विधानसभा अध्यक्ष बागियों के बारे में यदि देर लगाते हैं तो राज्यपाल वजु भाई राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा सकते हैं। हम इन हालात में सरकार बनाने का दावा पेश करना पसंद नहीं करेंगे। कांग्रेस ओर जेडीएस ने सिफारिश की हैं कि अध्यक्ष व्हिप का पालन न करने वाले विधायकों को अयोग्य घोषित करे। 17 जुलाई को सुप्रीमकोर्ट ने अपने आदेश यह कहा कि विधानसभा अध्यक्ष बागियों के इस्तीफे पर दल बदल कानून पर फैसला लेने को स्वतंत्र हैं। आगे यह कहा कि बागियों को सदन में भाग लेने के लिये मजबूर नहीं किया जा सकता है।
भाजपा के सूत्र कहते हैं कि इस्तीफों के स्वीकार किये जाने तक विधानसभा के सदस्य 225 ही रहेंगे। इसमे नोमिनेटेड एमएलए भी शामिल है। ऐसे में बहुमत के लिये 113 विधायक जरूरी हैं। दो निर्दल विधायकों को मिला कर हमारी संख्या 107 ही हो रही है। बहुमत के लिये 6 और सदस्य चाहिये। हम बागियों के अयोग्य होने का इंतजार कर रहे हैं। उस स्थिति में कुल संख्या 210 हो जायगी। हमारे पास अपने ही दल के 105 सदस्य हैं हमें किसी और दल के समर्थ न की जरूरत नहीं होगी।