पूर्वी लद्दाख में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प की वजह से दोनों देशों में तनाव चरम पर है। चीन की आक्रामकता और भारत की ओर से उसी की भाषा में जवाब देने की तैयारी को देखते हुए युद्ध की आशंका भी पूरी तरह खारिज नहीं की जा सकती है। ऐसे में एक बार दोनों देशों की सैन्य शक्ति पर नजर डालना जरूरी हो जाता है। पेपर पर भले ही चीन अधिक हथियारों के साथ दमदार दिखता हो, लेकिन सच्चाई यह है कि जंग केवल हथियारों से नहीं जीती जाती। इसके लिए जिस तरह के सैनिक चाहिए, उस मुकाबले में चीन भारत के सामने कमजोर है। भारत के पास ना केवल चीन से बहुत अधिक सैनिक हैं, बल्कि पहाड़ों पर युद्ध की उनकी क्षमता बेमिसाल है। भारत के एयरफोर्स की स्थिति भी बेहतर है। 

भारत-चीन टकराव का क्या है इतिहास?
भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा को लेकर विवाद है। लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के अलग-अलग दावों की वजह से अक्सर विवाद होते हैं। LAC पर कई ऐसे स्थान हैं जिन्हें दोनों देश अपना-अपना बताते हैं। चीन और तिब्बत के प्रतिनिधि 1914 में शिमला में मिले और तिब्बत के स्टेटस को लेकर एक समझौता हुआ। शुरुआत में इस समझौते को मानने के बाद चीन अपने वादों से पीछे हट गया। यह स्थिति 1962 तक बनी रही, जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया और अक्साई चिन के इलाके को उसने हड़प लिया। लद्दाख का यह हिस्सा अब भी चीन के कब्जे में है। वह यह भी दावा करता है कि अरुणाचल प्रदेश उसका हिस्सा है। 

क्या है दोनों सेनाओं की तुलना?
दोनों देशों के रक्षा बजट की तुलना करें तो इसमें चीन बहुत आगे है। 2019 में चीन ने रक्षा क्षेत्र पर 261 अरब डॉलर खर्च किए तो भारत का रक्षा बजट 71.1 अरब डॉलर का था। हथियार भले ही चीन के पास अधिक हों, लेकिन सेना भारत के पास ज्यादा है। भारत के पास करीब 2 लाख 25 हजार पैदल सैनिक हैं, तो चीन के पास 2 लाख से 2 लाख 30 हजार के करीब पैदल सैनिक हैं। भारत के कुल सैनिकों की संख्या करीब 34 लाख है तो चीन के पास करीब 27 लाख हैं। हार्वर्ड केनेडी स्कूल बेलफर सेंटर फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल अफेयर्स के मुताबिक, भारतीय एयरफोर्स चीन से अधिक शक्तिशाली है। भारत के पास मिराज 2000 और सुखोई Su-30 जैसे जेट्स हैं जो चीन के J10, J11 और Su-27 विमानों के मुकाबले इंडियन एयरफोर्स को बढ़त दिलाते हैं। भारत के पास सभी मौसम में उड़ सकने वाले मल्टी रोल एयरक्राफ्ट हैं, जबकि चीन के J-10 के पास ही यह क्षमता है। 

भारतीय सैनिकों के पास अनुभव ज्यादा
चीन के मुकाबले भारतीय सेना के पास युद्ध का अनुभव बहुत ज्यादा है। भारत पिछले कुछ दशकों में पड़ोसी देश पाकिस्तान से कई युद्ध लड़ चुका है और सभी में उसने जीत हासिल की है। चीन के पास अनुभव का अभाव है। उसकी सेना ने पिछली बार 1979 में वियतनाम के साथ युद्ध लड़ा था। ऊंचे युद्ध क्षेत्र में भारत और अधिक मजबूत है। भारत के पास चीन सीमा से सटे कई एयरबेस हैं, जहां से लड़ाकू विमान उड़ान भर सकते हैं। तिब्बत और शिनचियांग प्रांत के चाइनीज एयबेस अधिक ऊंचाई पर हैं और मुश्किल भौगोलिक स्थिति और मौसम की की वजह से चाइनीज फाइटर जेट आधे पेलोड और ईंधन के साथ ही उड़ान भर सकते हैं। भारत ने अपने बेस सीमा के नजदीक बनाए हैं, जिनमें इंफ्रा, बेहतर कमांड, संचार प्रणाली और वायु रक्षा पर जोर दिया गया है। चाइनीज एयर फोर्स इस इलाके में 8 बेस का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इनमें से अधिकतर सिविलियन एयरफील्ड हैं। रिफ्यूलिंग से चाइनीज प्लेन अधिक पेलोड ले जा सकते हैं, लेकिन उनके पास अधिक टैंकर्स नहीं हैं। 

क्या टकराव को क्या बनाता है ज्यादा ट्रिकी
दोनों देशों के परमाणु संपन्न राष्ट्र होने के बावजूद जब टेक्नॉलजी और नए हथियारों की बात आती है तो चीन अधिक शक्तिशाली है। इसकी अर्थव्यवस्था भारतीय अर्थव्यवस्था से 5 गुना ज्यादा बड़ी हो चुकी है। लेकिन भारत अमेरिका, जापान, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास करता है। बड़े युद्ध की स्थिति में युद्ध क्षेत्र की सही तस्वीर को लेकर अमेरिकी इंटेलिजेंस भारत की मदद कर सकते हैं। चीन इस समय कई देशों से भिड़ा हुआ है, जिसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और वियतनाम शामिल हैं। कोविड-19 के प्रसार में इसकी भूमिका को लेकर भी यह घिरा हुआ है।

(डिफेंस ऐंड स्ट्रेटजी एक्सपर्ट मेजर (रिटायर्ड) मोहम्मद अली शाह)





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