पूर्व सेना अध्यक्ष जनरल वीपी मलिक ने हिन्दुस्तान के प्रधान संपादक शशि शेखर को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा है कि देश को हथियारों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने की जरूरत है, ताकि जरूरत पड़ने पर हम यहां-वहां ना भटकें। हमें देश में ही हथियार बनाने होंगे। उन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान का अनुभव भी बताया कि कैसे कई मित्र देशों ने भी जरूरत के समय हथियार नहीं दिए थे। 

हथियारों को लेकर रूस पर निर्भरता को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में वीपी मलिक ने कहा, ”अभी हम काफी बेहतर स्थिति में हैं। हम केवल रूस, अमेरिका, इजरायल या फ्रांस के साथ नहीं बल्कि कई देशों से रक्षा खरीद कर रहे हैं, लेकिन अभी जरूरत है कि हम जितना हो सके आत्मनिर्भर बनें। बड़े-बड़े हथियारों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना ठीक नहीं है। वे कभी भी धोखा दे सकते हैं। मैंने कारिगल के दौरान इसका अनुभव किया है। हमें मेक इन इंडिया पर फोकस करना चाहिए। 

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एक अन्य सवाल के जवाब में पूर्व सेना अध्यक्ष ने कारगिल युद्ध के दौरान कई देशों से मिले धोखे को लेकर कहा, ”कारगिल के दौरान हमारे पास हथियार बहुत कम थे। मुझे किसी पत्रकार ने पूछा कि आप इतने कम हथियार से कैसे लड़ेंगे तो मैंने कहा कि हमारे पास जो है उससे लड़ेंगे और यही सेना को करना होता है। उस समय हमने कोशिश की साउथ अफ्रीका, यूके, अमेरिका और रूस से कुछ उपकरण मिले, जिसकी जरूरत थी, सब देशों ने हमें धोखा दिया। अमेरिका और यूके के साथ तो हमारे रिश्ते वैसे ही ठीक नहीं थे। क्योंकि हमने जो परमाणु परीक्षण किया था उससे उन्होंने प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन दूसरे मित्र देशों ने भी ठीक जवाब नहीं दिया था। इसलिए मैंने कहा कि हमें आत्मनिर्भर बनना चाहिए। हां, इजरायल ने जरूर हमारी मदद की थी।”

फौज को बजट को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इसे बढ़ाए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ”हमारी सरकारें अभी भी ठीक तरीके से डिफेंस प्लानिंग नहीं करती। आप देखिए कि चुनौती कहां से हैं। किस तरह की फौज चाहिए। उन्हें क्या हथियार चाहिए। उस पर अधिक बात नहीं होती। संसद में चर्चा नहीं होती। रक्षा बजट पर संसद में चर्चा नहीं होती है। हमारी सेना जो कैपिटल बजट दिया जाता है वह ठीक नहीं है। जो हम खर्चा कर रहे हैं मेंटिनेंस, सैलरी, पेंशन पर वह बहुत ज्यादा है जो बजट नए हथियारों आदि के लिए है वह बहुत कम रह गया है। इसे बैलेंस करने की जरूरत है। हमें और ज्यादा पैसा चाहिए और यह भी देखना चाहिए कि क्या रिफॉर्म करना चाहिए। आपकी डिफेंस ठीक है तो आपकी इकॉनमी बढ़ सकती है। लेकिन सिर्फ इकॉनमी को देखने से आपको कहीं ना कहीं चोट लगेगी। हालांकि, सोवियत रूस इसिलए टूटा कि उन्होंने फौज को बहुत पैसा दिया लेकिन सोशल पर पैसा खर्च नहीं किया। इसलिए बैलेंस की जरूरत है।”

चीन से लड़ाई की स्थिति को लेकर पूछे गए सवाल पर पूर्व सेना अध्यक्ष ने कहा, ”हमारे में काबिलियत है, पहले से ज्यादा है। यदि यह घटनाएं होती हैं तो हम मुकाबला कर सकते हैं। कई जगह तो हम आक्रामक एक्शन ले सकते हैं। चाहे हमारे पास टोटल हथियार चाइना के बराबर ना हो या हम टेक्नॉली में कुछ पीछे रहें लेकिन जो हमारा बॉर्डर है उसे हम अच्छे से डिफेंड कर सकते हैं। हमारी सेना की पहाड़ों में युद्ध की जो क्षमता है वह चीन के फोर्स से ज्यादा अच्छी है। इन चीजों को देखते हुए यदि हमें युद्ध के लिए मजबूर किया जाता है तो हम तैयार हैं।”





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