वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान बाजार कर्ज लक्ष्य को बढ़ाकर 23 लाख करोड़ रुपये किये जाने के बाद बॉन्ड प्रतिफल 0.31 प्रतिशत बढ़कर छह प्रतिशत से ऊपर पहुंच गया। एसबीआई रिसर्च की जारी रिपोर्ट के मुताबिक रिजर्व बैंक को शॉर्ट-सेलर्स पर अंकुश के जरिये इसे नियंत्रण में लाना चाहिए। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल केंद्र और राज्यों का सकल कर्ज 22.1 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक ने केंद्र के ऋण प्रबंधन में तत्परता से सहयोग दिया है। इससे 2020-21 की पहली छमाही में केंद्र के लिए कर्ज की लागत पिछले 16 साल के निचले स्तर पर आ गई है, क्योंकि बॉन्ड प्राप्ति 5.75 प्रतिशत रही है। रिपोर्ट में इसकी मुख्य वजह शॉर्ट-सेलर को बताया है जो बड़े कर्ज की योजना को लेकर चिंतित हैं। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि चालू वित्त वर्ष में सरकार का सकल कर्ज 12.8 लाख करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान की तुलना में 13.9 लाख करोड़ रुपये रहेगा। वहीं शुद्ध कर्ज 10.5 लाख करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान की तुलना में 11.6 लाख करोड़ रुपये रहेगा।

रिपोर्ट के अनुसार इस साल केंद्र और राज्यों का सकल कर्ज 22.1 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। इसका संशोधित अनुमान 21.5 लाख करोड़ रुपये था।इसी तरह केंद्र और राज्यों का शुद्ध कर्ज 17.8 लाख करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान की तुलना में 18.4 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र का सकल ऋण अगले वित्त वर्ष में घटकर 12.1 लाख करोड़ रुपये और शुद्ध कर्ज 9.2 लाख करोड़ रुपये रह सकता है। हालांकि, सामूहिक रूप से सकल कर्ज 23 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचने का अनुमान है। वहीं सामूहिक रूप से शुद्ध ऋण घटकर 18.1 लाख करोड़ रुपये पर आने का अनुमान है।

1 अप्रैल से मोदी सरकार बदलेगी पीएफ से जुड़ा अहम नियम, इन लोगों पर पड़ेगा असर



Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here