पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) ने पूछा है कि लद्दाख की गलवान घाटी (Galwan Valley) में चीनी सैनिकों ने जब भारतीय सेना के जवानों पर हमला किया तो ‘चीनियों पर गोली चलाने की अनुमति क्यों नहीं दी गई।

Edited By Sujeet Upadhyay | भाषा | Updated:

पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह
हाइलाइट्स

  • कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पूछा कि चीनी सैनिकों ने जब सेना के जवानों पर हमला किया तो गोली चलाने की अनुमति क्यों नहीं दी गई
  • सीएम ने कहा कि कोई अपना काम करने में नाकाम रहा। ‘वे वहां बैठकर क्या कर रहे थे जबकि उनके साथी मारे जा रहे थे।’
  • पंजाब के मुख्यमंत्री ने पूछा, ‘देश जानना चाहता है कि हमारे सैनिकों ने उस तरीके से जवाब क्यों नहीं दिया जैसी उन्हें ट्रेनिंग मिली है

चंडीगढ़

पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) ने पूछा है कि लद्दाख की गलवान घाटी (Galwan Valley) में चीनी सैनिकों ने जब भारतीय सेना के जवानों पर हमला किया तो ‘चीनियों पर गोली चलाने की अनुमति क्यों नहीं दी गई। साथ ही सीएम ने कहा कि कोई अपना काम करने में नाकाम रहा। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘वे वहां बैठ कर क्या कर रहे थे जबकि उनके साथी मारे जा रहे थे।’

कैप्टन ने कहा कि अगर यूनिट के पास हथियार थे, जैसा कि अब दावा किया जा रहा है, तो यूनिट के उप कमांडर को उस वक्त गोली चलाने का आदेश देना चाहिये था जब कमांडिंग अधिकारी चीनियों के विश्वासघात के शिकार हुए। पंजाब के मुख्यमंत्री ने पूछा, ‘देश जानना चाहता है कि हमारे सैनिकों ने उस तरीके से जवाब क्यों नहीं दिया जैसा कि उन्हें प्रशिक्षित किया गया है। अगर उनके पास हथियार थे तो उन्होंने गोली क्यों नहीं चलाई।’ इस हमले को ‘भयावह और बर्बर’ करार देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मोर्चे पर तैनात सैनिकों को ‘स्पष्ट रूप से यह कहा जाना चाहिए कि अगर वह हमारे एक जवान को मारते हैं तो तुम उनके तीन जवानों को मारो।

​1962 से उल्टी है आज की स्थिति

  • ​1962 से उल्टी है आज की स्थिति

    1962 में हिमालयी क्षेत्र में जब धोखे से चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया था तब भारतीय सेना इस ऊंचाई वाले इलाके में युद्ध लड़ने के लिए तैयार नहीं थी। एक महीने तक चले मुकाबले में चीनी सेना ने अक्साई चिन पर कब्जा कर युद्धविराम की घोषणा कर दी थी। चीन ने दावा किया कि इस युद्ध में उसके 700 सैनिक मारे गए, जबकि भारतीय सेना के हजार से ज्यादा सैनिक शहीद हुए।

  • भारतीय सेना के आगे नहीं टिकेगा चीन

    पारंपरिक रूप से माना जाता है कि चीन सैन्य ताकत के मामले में भारत के काफी आगे है। लेकिन, बोस्टन में हार्वर्ड केनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट में बेलफर सेंटर और वाशिंगटन में एक नई अमेरिकी सुरक्षा केंद्र के हालिया अध्ययन में कहा है कि भारतीय सेना उच्च ऊंचाई वाले इलाकों में लड़ाई के मामले में माहिर है। चीनी सेना इसके आसपास भी नहीं फटकती है।

  • परमाणु हथियार संपन्न दोनों देश, नो फर्स्ट यूज की पॉलिसी

    भारत चीन के बीच युद्ध की संभावनाएं वैसे बहुत कम है, लेकिन चीन की शरारत को देखते हुए इसे पूरी तरह से नकारा भी नहीं जा सकता। विशेषज्ञों ने कहा कि युद्ध की स्थिति में भी दोनों देश अपने परमाणु हथियारों के जखीरे के इस्तेमाल से बचना चाहेंगे। क्योंकि इस मामले में दोनों देश लगभग बराबर की स्थिति में हैं। दोनों देश आज के समय में जल, थल और नभ से परमाणु हमला करने की ताकत रखते हैं। बता दें कि चीन 1964 में परमाणु शक्ति संपन्न देश बना था, जबकि भारत 1974 में। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के 2020 में जारी रिपोर्ट के अनुसार, चीन के पास लगभग 320 परमाणु बम हैं और भारत के पास 150 से अधिक हैं। दोनों देश दोनों एक “नो फर्स्ट यूज” पॉलिसी की बात करते हैं।

  • वायु सेना की ताकत में भी भारत मजबूत

    बेलफर सेंटर के मार्च में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, भारत के पास लगभग 270 लड़ाकू विमान और 68 ग्राउंड अटैक फाइटर जेट हैं। वहीं, भारत ने पिछले कुछ दशकों में चीन से लगी सीमा पर कई हवाई पट्टियों का निर्माण किया है जहां से ये फाइटर जेट आसानी से उड़ान भर सकते हैं। वहीं, इस स्टडी के अनुसार, चीन के पास 157 फाइटर जेट्स और एक छोटा ड्रोन का बेड़ा भी है। इस स्टडी में बताया गया है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयरफोर्स भारत से लगी सीमा क्षेत्र में आठ ठिकानों का उपयोग करती है, लेकिन इनमें से अधिकांश नागरिक हवाई क्षेत्र हैं।

  • भारतीय लड़ाकू विमान चीन के मुकाबले ज्यादा प्रभावी

    बेलफर सेंटर की इस स्टडी के अनुसार, भारतीय वायुसेना के मिराज 2000 और सुखोई एसयू 30 लड़ाकू विमान को चीन के जे-10, जे-11 और एसयू-27 लड़ाकू विमानों पर बढ़त हासिल है। चीन ने भारत से लगी सीमा पर इन्हीं विमानों को तैनात किया है। भारतीय मिराज 2000 और एसयू -30 जेट्स ऑल-वेदर, मल्टी-रोल विमान हैं जबकि चीन का जे-10 ही ऐसी योग्यता रखता है। बेलफर की स्टडी बताती है कि चीन ने अपने पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों को अमेरिका के कथित खतरे से बचाने के लिए मजबूत किया है। इस कारण पश्चिमी क्षेत्र में उसके चार एयरफील्ड कमजोर हुए हैं।

  • तिब्बत में चीनी लड़ाकू विमानों को यह घाटा

    अध्ययन में दावा किया गया है कि तिब्बत और शिनजियांग में चीनी हवाई ठिकानों की अधिक ऊंचाई, क्षेत्र में आम तौर पर कठिन भौगोलिक और मौसम की स्थिति के कारण चीनी लड़ाकू विमान अपने आधे पेलोड और ईंधन के साथ ही उड़ान भर सकते हैं। जबकि, भारतीय लड़ाकू विमान पूरी क्षमता के साथ हमला कर सकते हैं। चीन के एरियल रिफ्यूलिंग कैपसिटी मतलब हवा में ईंधन भरने की क्षमता भी कम है। उसके पास पर्याप्त संख्या में एरियल टैंकर नहीं हैं।

  • भारत की सेना चीन से बहुत मजबूत और अनुभवी

    सीएनएएस की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की थल सेना हर परिस्थिति में चीनी सेना से बेहतर और अनुभवी है। भारतीय सेना के पास युद्ध का बड़ा अनुभव है जो विश्व में शायद ही किसी और देश के पास हो। वर्तमान समय में भी भारतीय सेना कश्मीर में आतंकवाद और पाकिस्तान से लड़ाई लड़ रही है। भारतीय सेना को सीमित और कम तीव्रता वाले संघर्षों में महारत हासिल है, जबकि चीन की पीएलए ने 1979 में वियतनाम के साथ अपने संघर्ष के बाद से युद्ध की क्रूरता का अनुभव नहीं किया है।

  • वियतनाम से हार चुका है चीन

    कंबोडिया में वियतनाम के सैन्य हस्तक्षेप के जवाब में चीन ने 1979 में महीने भर तक युद्ध किया था। माना जाता है कि अपनी हार को नजदीक देख चीनी सेना भाग खड़ी हुई थी। अमेरिकी सेना से युद्ध लड़ने के कारण अधिक अनुभवी वियतनामी सैनिक चीन पर भारी पड़े और उन्हें जमकर नुकसान पहुंचाया था। चीन के सेना की संख्या भ्रामक भी हो सकती है। चीन अपनी सेना की जो संख्या बताता है उसमें भी बड़ी गड़बड़ी है।

  • चीन की सेना भी मोर्चे पर कम संख्या में

    चीन के पीएलए में शामिल सैन्य इकाइयां शिनजियांग या तिब्बत में विद्रोह को दबाने या रूस के साथ चीन की सीमा पर किसी भी संभावित संघर्ष से निपटने के लिए सौंपी गई हैं। यहां से भारतीय सीमा पर फौज को लेकर जाना चीन के लिए संभव नहीं है क्योंकि भारतीय वायुसेना चीन की रेललाइनों को निशाना बना सकती है। वहीं, भारतीय सेना पहले से ही इन इलाकों में बड़ी संख्या में मौजूद है।

‘कोई अपना काम करने में नाकाम रहा: कैप्टन

मुख्यमंत्री ने कहा कि वह एक राजनेता के तौर पर नहीं बोल रहे हैं बल्कि वह ऐसे व्यक्ति के रूप में यह सब कह रहे हैं जो सेना का हिस्सा रह चुका है। कैप्टन ने कहा कि पुलवामा हमले के बाद भी उन्होंने कहा था कि अगर वह हमारे एक सैनिक मारते हैं तो हमें उनके दो सैनिकों को मारना चाहिए। यह पूछे जाने पर कि चीनी सैनिकों के साथ गतिरोध के दौरान लद्दाख में भारतीय सैनिकों पर हुए इस बर्बर हमले में, भारतीय सैनिकों को गोली चलाने की अनुमति क्यों नहीं दी गई, सीएम ने कहा, ‘कोई अपना काम करने में नाकाम रहा और हमें यह पता लगाने की जरूरत है कि वह कौन था।’



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‘हिंदी चीनी भाई भाई’ के नारे को समाप्त करने की वकालत


मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं जानना चाहता हूं, प्रत्येक सैनिक जानना चाहता है और प्रत्येक भारतीय जानना चाहता है कि क्या हुआ।’ उन्होंने कहा कि वह इस घटना को बहुत गहराई से महसूस करते हैं, इस घटना ने हमारे खुफिया विभाग की विफलता को भी उजागर किया है।’ उन्होंने इस घटना को हर भारतीय का अपमान बताया। कैप्टन ने कहा कि वहां जो कुछ भी हुआ वह मजाक नहीं था। ‘हिंदी चीनी भाई भाई’ के नारे को समाप्त करने की वकालत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत को इस मसले पर पीछे नहीं हटना चाहिए।

बैतूल: सैनिकों की शहादत पर उबला गुस्सा, चीन को नसीहत- ये 1965 नहीं, 2020 हैबैतूल: सैनिकों की शहादत पर उबला गुस्सा, चीन को नसीहत- ये 1965 नहीं, 2020 हैबैतूल। बीते सोमवार की रात लद्दाख सीमा पर चीनी सेना के साथ मुठभेड़ में भारतीय सैनिकों की शहादत से पूरा देश आहत है। एमपी के अन्य हिस्सों की तरह बैतूल में भी लोग अलग-अलग तरीकों से इसको लेकर विरोध जता रहे हैं। गुरुवार को शहर के विभिन्न हिस्सों में बीजेपी की ओर से भी कार्यक्रम आयोजित किए गए जिनमें चीन के झंडे और चीनी राष्ट्रपति के पुतले जलाए गए। युवाओं ने चीनी सामानों के बहिष्कार की शपथ भी ली। बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ पूर्व सैनिकों ने भी शहीद हुए सैनिकों की शहादत को सैल्यूट किया। आक्रोशित लोगों का कहना है कि चीन को उसी की भाषा में जवाब देना होगा क्योंकि ये 1965 नहीं, 2020 का भारत है।

किसी भी दुश्मन से निपटने में सक्षम है भारतीय सेना

उन्होंने कहा, ‘अगर चीन विश्व शक्ति है, तो हम भी हैं।’ उन्होंने जोर देकर कहा, ’60 साल की कूटनीति ने काम नहीं किया है और अब यह बताने का समय आ गया है कि बस, अब बहुत हो गया।’ उन्होंने कहा कि चीन इस बात से अवगत है कि हम उससे निपटने में सक्षम हैं। उन्होंने साफ किया कि भारतीय सेना एक उच्च पेशेवर सेना है और किसी भी दुश्मन से निपटने में सक्षम है।

Web Title capt amarinder calls galvan attack ‘horrifying and barbaric’, asked- why no permission was given to shoot at chinese soldiers(Hindi News from Navbharat Times , TIL Network)

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