कोरोना संकट ने करोड़ों लोगों की नौकरियां ले ली हैं. इंडियालैंड्स के एक सर्वे में कहा गया है कि 94 फीसदी लोग अपने खर्चों में कटौती कर रहे हैं.


कोविड-19 का असर : 82 फीसदी लोग कर रहे गुजारे के लिए संघर्ष, खर्चों में की भारी कटौती सर्वे रिपोर्ट

 कोविड-19 संकट को काबू करने के लिए लगे लॉकडाउन ने बड़ी तादाद में लोगों की रोजी-रोटी को प्रभावित किया है. करोड़ों लोगों की नौकरियां गई हैं. लाखों लोगों को वेतन कटौतियों का सामना करना पड़ा है. ऐसे में आने वाले दिन उनके लिए और कठिन हो गए हैं. डिजिटल लैंडिंग प्लेटफॉर्म इंडियालैंड्स के मुताबिक इसके एक ताजा सर्वे में शामिल 82 फीसदी लोगों ने कहा है कि उन्हें अपने गुजारे के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है. 94 फीसदी लोगों ने कहा है वे इस संकट का सामना करने के लिए अपने खर्चों में कटौती कर रहे हैं. लगभग 90 फीसदी लोगों ने अपनी बचत और वित्तीय भविष्य की प्रति चिंता जताई. सर्वे में पांच हजार लोगों को शामिल किया गया था.

खर्च चलाने के लिए लोन की ओर कर सकते हैं रुख

सर्वे के मुताबिक करीब 72 फीसदी लोगों ने कहा कि वह ज्यादा जरूरी खर्चों के लिए पर्सनल लोन से नहीं हिचकेंगे. इलाज, बच्चों की फीस, मकान रिनोवेशन जैसे खर्चों के लिए वे लोन ले सकते हैं. सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 71 फीसदी लोगों ने पहले ही कर्ज ले रखा है. इनमें से 45 फीसदी लोगों ने ईएमआई रोकने के लिए एप्लीकेशन दिया है.

सर्वे में शामिल 70 फीसदी लोगों ने कहा है कि वे फिजूलखर्ची से बचेंगे. चालीस फीसदी लोगों ने कहा कि वे सिर्फ जरूरी चीजों पर ही खर्च करेंगे.सर्वे में शामिल 63 फीसदी लोगों ने कहा कि कपड़ों और एसेसरीज पर खर्च करने करने को वो कम तवज्जो देंगे. जबकि 40 फीसदी कहना था कि जरूरी चीजों पर उनका खर्च 40 फीसदी बढ़ सकता है. 70 फीसदी लोगों ने कहा कि वे यात्रा, मनोरंजन और गाड़ियां खरीदने को कम तवज्जो देंगे.

एक्सपर्ट्स ने कहा, कर्ज के जाल से बचें

हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि संकट में फंसे लोग पर्सनल लोन न लें. इसके बजाय वे अपने खर्चों में कटौती करें और अगर कहीं अपना इनवेस्टमेंट किया है तो उसे निकाल लें. पर्सनल लोन की ब्याज दरें काफी ज्यादा होती हैं, इससे वे कर्ज के जाल में फंस सकते हैं.



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