दुनिया के 57 देशों में ओमिक्रॉन का उप स्वरूप (सब-वैरिएंट) बीए.2 फैल चुका है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह जानकारी देते हुए कहा कि दुनियाभर की सरकारों को संक्रमण के मामले में कोई कोताही नहीं बरतनी चाहिए। सभी देशों को पाबंदियां हटाने से पहले इस पर गौर करना चाहिए कि यह वायरस निरंतर फैल रहा है और रूप भी बदल रहा है इसलिए हमें इसकी चपेट में आने से बचने के उपाय लगातार करते रहना हैं।
ओमिक्रॉन से ज्यादा संक्रामक नहीं बीए.2
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ओमिक्रॉन को लेकर चेतावनी जाहिर करने के साथ ही एक राहत की खबर भी दी है कि इस सब-वैरिएंट के बहुत अधिक संक्रामक होने के प्रमाण नहीं हैं। आरंभिक रिपोर्टों में कहा गया था कि ओमिक्रॉन के मुकाबले बीए.2 तीव्र संक्रामक है।
डब्लूएचओ की कोविड-19 संबंधी तकनीक टीम की प्रमुख मारिया वैन करखोव ने मंगलवार को कहा कि ओमिक्रॉन के बीए.2 सब-वैरिएंट को लेकर मिले संकेत सच साबित होंगे। हमें आरंभिक संकेतों से पता चला है कि बीए.2 सब-वैरिएंट, मूल ओमिक्रॉन स्वरूप बीए.1 की तुलना में मामूली ज्यादा संक्रामक है। वर्तमान में बीए.1 स्वरूप पूरी दुनिया में लोगों को संक्रमित कर रहा है। डब्लयूएचओ की वैज्ञानिक ने कहा कि इस बात के भी कोई संकेत नहीं मिले हैं कि बीए.2 उप स्वरूप मूल ओमिक्रॉन वैरिएंट से गंभीरता के मामले में किसी तरह अलग है।
मौत से बचाने में टीके कारगर
डब्ल्यूएचओ की टीम ने यह भी कहा कि कोरोना रोधी वैक्सीन ओमिक्रॉन से गंभीर संक्रमण व मौत के खतरों से बचाने में असरकारी बनी रहेंगी। टीम ने कहा कि संगठन दुनिया भर में बीए.2 उप स्वरूप को लेकर आंकड़ों को जुटाकर उनकी पड़ताल में जुटा हुआ है। इसे लेकर और सूचनाएं मुहैया कराई जाएंगी। जिनेवा में मंगलवार को जारी कोरोना अपडेट में डब्ल्यूएचओ ने कहा कि हम लोगों को आगाह करना चाहते हैं कि यह वायरस लगातार फैल रहा है, सतर्क रहें।
भारत में तेजी से फैल रहा
भारत में ओमिक्रॉन के बीए.2 उपस्वरूप के तेजी से फैलकर मूल स्वरूप की जगह लेने को लेकर कई वैज्ञानिक पहले ही आगाह कर चुके हैं। डब्लूएचओ का कहना है कि यह उपस्वरूप बीए.2 डेनमार्क में छाया हुआ है और बीए.1 पर भारी पड़ रहा है। वहां के वैज्ञानिकों ने कहा है कि बीए.2 ज्यादा संक्रामक है और उन लोगों को भी संक्रमित कर रहा है जो टीके लगवा चुके हैं। भारत, डेनमार्क के अलावा फिलीपींस और नेपाल में भी इसके कई मरीज मिले हैं।
तीन उपस्वरूपों में बंटा ओमिक्रॉन
बता दें कि कोरोना संक्रमण का ओमिक्रॉन स्वरूप तीन अलग-अलग उपस्वरूपों में बंट चुका है, जिसका बीए.1 उपस्वरूप लगभग मूल स्वरूप के जैसा ही है और ज्यादा मारक साबित नहीं हुआ है। जबकि दूसरे उपस्वरूप बीए.2 के गुण बीए.1 के मुकाबले बेहद अलग है, वैज्ञानिक इस बात पर शोध कर रहे हैं कि यह उपस्वरूप लोगों के शरीर पर क्या असर छोड़ेगा। जबकि तीसरे उपस्वरूप का नाम बीए.3 है।