चीन का ह्यूस्टन वाणिज्य दूतावास जासूसी का अड्डा बन गया था: माइक पॉम्पियो


Edited By Bharat Malhotra | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:

जासूसी का अड्डा बन गया था चीनी वाणिज्य दूतावास

वॉशिंगटन

अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने गुरुवार को कहा कि चीनी का ह्यूस्टन स्थित वाणिज्य दूतावास जासूसी का गढ़ बन गया था। अमेरिका ने चीन के इस वाणिज्य दूतावास को बंद करने का आदेश दिया था।

पॉम्पियों ने कहा कि चीन के इस काउंसलेट से गैर-कानूनी गतिविधियां चल रही थीं। उन्होंने कहा कि यहां से अमेरिकी कंपनियों के व्यापारिक गुप्त सूचनाएं चुराने का काम हो रहा था।

पॉम्पियो ने कहा, ‘इस सप्ताह हमने चीन के ह्यूस्टन स्थित वाणिज्य दूतावास को बंद करने का फैसला किया है क्योंकि यह जासूसी और बौद्धिक संपदा को चुराने का अड्डा बन गया था।’

उन्होंने कहा, ‘चीन ने हमारी बौद्धिक संपदा चुराई और ट्रेड सीक्रेट चुराए जिसकी वजह से लाखों अमेरिकी नागरिकों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ी।’

निक्सन लाइब्रेरी में पॉम्पियो ने रखी अपनी बात

गुरुवार शाम को अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो कैलिफोर्निया की निक्सन लाइब्रेरी में इस पर आगे अपनी राय रखी यह लाइब्रेरी अमेरिका उस राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के नाम पर है जिन्होंने करीब 50 साल पहले चीन के साथ अमेरिकी कूटनीतिक संबंध बनाने की शुरुआत की थी। इससे पहले करीब चार दशकों तक दोनों देशों के बीच संबंध नहीं थे।



अमेरिका-चीन संबंधों की शुरुआत


चीन और अमेरिका के बीच रिश्तों की शुरुआत 1970 में हुई। इसे ‘पिंग-पॉन्ग डिप्लोमेसी’ भी कहा जाता है। इसमें अमेरिका की टेबल-टेनिस टीम चीन गई थी। इसके बाद 1972 में राष्ट्रपति निक्सन चीन की आठ दिनों की यात्रा पर गए। इसके सात साल बाद दोनों देशों के बीच पूरी तरह से कूटनीतिक संबंध स्थापित हो गए। अमेरिकी डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने 636 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापारिक समझौता चीन के साथ किया। यह पूरी तरह से चीन के पक्ष में झुका हुआ था।



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