
नयी दिल्ली। पिछले कुछ समय से जम्मू कश्मीर को लेकर मोदी और शाह उधेड़बुन में लगे हुए थे। इसी लिये वहां भारी संख्या में फौज लगा दी थी। चुनाव प्रचार के दौरान शाह ने यह ऐलान कर दिया था कि जल्द ही यहां से धारा 370 और 35 ए का विशेष दर्जा खत्म कर दिया जायेगा। इसी सिलसिले में केन्द्र सरकार ने अमरनाथ यात्रा को भी बीच में ही रोक कर सभी यात्रियों को वापस आने का फैसला सुना दिया। 5 अगस्त को गृहमंत्री अमित शाह और मोदी ने मिलकर यह तय कर किया संसद के दोनों सदनों में एक बिल ला कर जम्मू कश्मीर का विशेष् दर्जा और धारा 370 को हटाने का संकल्प पेश कर दिया। उनके इस बिल का कांग्रेस समेत अनेक दलों ने विरोध किया। लेकिन सरकार के मंसूबों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि सरकार किसी भी सूरत में जम्मू कश्मीर के क्षेत्रीय दलों का वजूद खत्म कर के ही रहेगी। सरकार ने जम्मू कश्मीर में पहले ही से इतनी फौज वहां भेज रखी है कि कोई भी विरोध करने की हिम्मत नहीं कर पायेगा। इससे पहले चार अगस्त को राज्यपाल के इशारे पर स्थानीय पुलिस ने पूर्व सीएम मेहबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्लाह और बड़े नेताओं को हाउस अरैस्ट कर लिया था।
यह बात तो पहले से तय थी कि जहां जहां बीजेपी की दाल नहीं गल रही थी वहां अमित शाह ने हर तरीके के हथकंडे आजमा कर वहां घुसपैठ कर ली थी। इसका जीता जागता नमूना प.बंगाल माना जा सकता है जिस तरह से वहां शाह और योगी ने सांप्रदायिकता को भुनाया वह किसी से छुपा नहीं है। चुनाव परिणाम आने के बाद तो मोदी सरकार की और भी ताकत बढ़ गयी दूसरी ओर विपक्ष के कई बड़े नेता यहां तक राज्यसभा के सदस्य भी बीजपेी की गोद में जा बैठे इससे राज्यसभा में भी उनका साम्राज्य बढ़ता गया। मोदी सरकार 2 में तो अमित शाह को मोदी ने सत्ता का सबसे ताकतवर पद गृहमंत्रालय ही सौंप दिया। तभी से यह अनुमान लगाया जा रहा था कि अब बीजेपी उन राज्यों में भी तख्ता पलट करेगी जहां उनकी मौजूदगी नहीं के बराबर है। इसी कड़ी में शाह ने जम्मू कश्मीर पर अपनी ताकत को आजमाया और धारा 370 और 35 ए का विशेष दर्जा समाप्त करने का फरमान जारी कर दिया। इससे पहले अमित शाह ने कर्नाटक में भी कांग्रेस और जेडीएस वाली गठबंधन सरकार का तख्ता पलट कराया और वहां बीजेपी की एक बार फिर से सरकार बन गयी है वहां एक बार फिर सीएम की गद्दी येदुरप्पा के हाथ लग गयी है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि अमित शाह का अगला शिकार मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार होगी जहां सरकार बनने के साथ ही तख्ता पलट करने की बात भाजपा के बड़े नेता कर रहे थे। वहां पिछले साल कांग्रेस ने शिवराज के 15 साल की सत्ता को छीन कर कांग्रेस ने सरकार बनायी थी। लेकिन कांग्रेस सरकार शुरुआत से ही हिचकोले खाते हुए चल रही है। हमेशा सरकार गिरने की आशंका बनी रहती है।