Edited By Aditya Pujan | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:
- ज्योतिरादित्य सिंधिया के अपनी प्रोफाइल से बीजेपी हटाने की चर्चा
- इस साल होली के दिन बीजेपी में शामिल हुए सिंधिया
- सिंधिया के साथ किए वादों को पूरा करने में बीजेपी की आनाकानी की खबरें
- सिंधिया का प्रेशर पॉलिटिक्स या केवल अफवाह?
भोपाल।
बीजेपी नेता ‘महाराज’ ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कथित तौर पर अपने ‘ट्विटर’ अकाउंट से BJP हटा दिया है। इसकी जगह पब्लिक सर्वेंट कर लिया है। कांग्रेस छोड़ने से पहले भी उन्होंने ट्विटर अकाउंट से कांग्रेस हटा दिया था। इसको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। कुछ लोगों का कहना है कि सिंधिया ने अपने प्रोफाइल में बीजेपी जोड़ा ही नहीं था। हालांकि, BJP या सिंधिया की ओर से अब तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
सिंधिया ने कांग्रेस में 18 साल रहने के बाद इस साल होली के दिन BJP का दामन थामा। पार्टी में उनकी एंट्री के साथ उनके समर्थकों को शिवराज मंत्रिमंडल में शामिल करने के साथ सिंधिया को केंद्र में कैबिनेट मंत्री बनाए जाने की चर्चा थी, लेकिन अब उपचुनाव में उनके समर्थक पूर्व विधायकों को बीजेपी का टिकट मिलने में भी परेशानी की खबरें आ रही हैं।
उपचुनाव को लेकर सियासी हलचल
शिवराज कैबिनेट के विस्तार को लेकर कई बार संभावित तारीखों का अनौपचारिक ऐलान कर दिया गया। प्रदेश संगठन के साथ मुख्यमंत्री ने संभावित मंत्रियों की लिस्ट तैयार की, वह भी मीडिया में लीक हो गई लेकिन कैबिनेट विस्तार नहीं हो पाया। सिंधिया को नरेंद्र मोदी कैबिनेट में शामिल करने की अब कम चर्चा होती है, लेकिन बीजेपी में उनकी एंट्री के समय ग्वालियर-चंबल संभाग में उनके समर्थकों ने इसे जोर-शोर से प्रचारित किया था।
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उपचुनाव में सिंधिया-समर्थक सभी 22 विधायकों को टिकट देने का वादा BJP ने किया है, लेकिन इसमें भी दिक्कतें आ रही हैं। कई सीटों पर पार्टी को अपने पुराने नेताओं के विद्रोह का सामना करना पड़ रहा है। हाटपिपल्या में दीपक जोशी हों या ग्वालियर पूर्व में कांग्रेस में शामिल हो चुके बालेंदु शुक्ला, पार्टी के लिए अपने नेताओं को मनाना मुश्किल साबित हो रहा है। कुछ विधानसभा सीटों पर सिंधिया-समर्थक पूर्व विधायक की जीत पर संदेह की बातें भी हैं।
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हालांकि, सिंधिया या उनके समर्थकों की ओर से अब तक किसी असंतोष की खबर नहीं आई, लेकिन दबी जुबान से लोग महाराज को कमतर आंकने की चर्चा करने लगे हैं। प्रोफाइल से बीजेपी हटाने के दावे यदि सच हैं तो यह सिंधिया के प्रेशर पॉलिटिक्स का एक तरीका हो सकता है। खासकर इसलिए कि सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ने से ठीक पहले इसी तरह अपने ट्विटर प्रोफाइल से कांग्रेस हटा लिया था।