ट्रेनों से नहीं, चार्टर्ड प्लेन प्रवासी मजदूरों को घर लाने की तैयारी, झारखंड सरकार ने गृह मंत्रालय से मांगी अनुमति


झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से अनुरोध किया है कि अण्डमान-निकोबार, लद्दाख और उत्तर पूर्व के राज्यों में लॉकडाउन की वजह से फंसे झारखण्ड के श्रमिकों को चार्टर्ड प्लेन से लाने की अनुमति दें। ताकि महीनों से दूर-दराज के राज्यों में फंसे झारखंड के मजदूरों को जल्द वापस लाजा जा सके।

Edited By Abhishek Kumar | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:

सीएम हेमंत सोरेन ने केंद्र सरकार के सामने रखी मांग।

नीलकमल, रांची

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने लद्दाख, अण्डमान और नार्थ इस्ट में फंसे मजदूरों को चार्टर्ड प्लेन से लाने की अनुमति मांगी है। झारखंड सरकार की ओर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र भी भेजा गया है। चार्टर्ड प्लेन की अनुमति के पीछे कारण यह बताया गया है कि लद्दाख, अण्डमान और नार्थ इस्ट में फंसे मजदूरों को किसी अन्य परिवहन के माध्यम जैसे बस या ट्रेन से लाना फिलहाल संभव नहीं है। इसलिए अगर गृह मंत्रालय से इन इलाकों से मजदूरों को चार्टर्ड प्लेन से लाने की अनुमति मिल जाती है तो उनकी भी सुरक्षित घर वापसी हो सकती है।

लद्दाख, अण्डमान और नार्थ इस्ट में 650 मजदूर हैं फंसे

झारखंड सरकार ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखे पत्र में इस बात का भी जिक्र किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुमति मिकलने के बाद झारखंड में डेढ़ लाख प्रवासी मजदूरों की वापसी हो चुकी है। झारखंड सरकार ने 12 मई को भी लद्दाख, अण्डमान और नार्थ इस्ट में फंसे मजदूरों को चार्टर्ड प्लेन से लाने की अनुमति मांगी थी। लेकिन लद्दाख में करीब 200, उत्तर पूर्वी राज्यों में करीब 450 श्रमिक अब भी फंसे हुए हैं, जिन्हें ट्रेन या बस से लाना फिलहाल संभव नहीं है। इसलिए गृह मंत्रालय झारखंड के मजदूरों को चार्टर्ड प्लेन से सम्मान पूर्वक लाने की अनुमति दें।

प्रत्येक 20 किलोमीटर पर प्रवासी राहगीरों के लिए सामुदायिक रसोई

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने घोषणा की कि प्रवासी राहगीरों के लिए राज्य की सीमा में राजमार्ग पर प्रत्येक 20 किलोमीटर पर सामुदायिक रसोई खोले जाएंगे। मुख्यमंत्री ने आज यहां मीडिया से बातचीत में कहा कि इस तरह के सामुदायिक रसोई को जिला प्रशासन के सहयोग से चलाया जाएगा। अभी तक ऐसे रसोई खोलने के लिए 94 स्थानों को चिह्नित किया जा चुका है। इनमें निःशुल्क भोजन और पानी की व्यवस्था की जाएगी।

...जब DM साहब खुद उड़ाएंगे सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां तो कैसे हारेगा कोरोना…जब DM साहब खुद उड़ाएंगे सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां तो कैसे हारेगा कोरोनासीतापुर के डीएम डॉ. अजय शंकर पांडे जैसे अधिकारी ही कोरोना के असली योद्धा हैं… क्योंकि यह लड़ाई हथियारों से नहीं लड़ी जानी है… यह लड़ाई लड़ी जानी है आत्मनियंत्रण और स्वप्रेरणा से… और इस जिम्मेदारी को सूबे के सीएम समेत कई अधिकारी बखूबी निभा रहे हैं… हालांकि सीतापुर के जिलाधिकारी अखिलेश तिवारी जैसे अधिकारियों की कार्यपद्धति कहीं न कहीं आम लोगों को सूबे की सरकार की ईमानदारी पर सवाल उठाने का मौका जरूर दे देती है।

इन स्थानों पर एकत्रित लोगों को पास के सुरक्षित शिविर में ले जाया जाएगा ताकि इन्हें वाहन से उनके गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था भी की जा सके। उन्होंने कहा, ‘झारखंड के साथ-साथ दूसरे राज्य के लोग जो झारखण्ड में फंसे हैं अथवा झारखंड से गुजरकर अपने राज्य जा रहे हैं, उन्हें उनके गंतव्य तक पहुंचने में भी हमारी सरकार सहायता कर रही है।’ मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व में जारी महामारी संकट में लोगों को मानवता नहीं खोनी चाहिए। झारखंड के लोगों को इंसानियत और सौहार्द का दुनिया के सामने उदाहरण बनना चाहिए।

Web Title jharkhand cm hemant soren demand chartered plane for migrant laborers(News in Hindi from Navbharat Times , TIL Network)

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