स तकनीक के जरिए कोरोना मरीज को बार-बार देखने के लिए आईसीयू के भीतर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. ‘रिमोट-मॉनिटरिंग’ के जरिए अपने मोबाइल फोन पर ही पेशेंट के बेड पर लगे मॉनिटर को डॉक्टर्स देख सकेंगे.
नई दिल्ली: कोरोना के इलाज में जुटे डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ भी मरीज के संपर्क में आने से संक्रमण का शिकार हो रहे हैं. ऐसे में हेल्थ-वर्कर्स के बचाव के लिए भारतीय नौसेना ने एक खास तकनीक ईजाद की है. इस तकनीक के जरिए कोरोना मरीज को बार-बार देखने के लिए आईसीयू के भीतर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. ‘रिमोट-मॉनिटरिंग’ के जरिए अपने मोबाइल फोन पर ही पेशेंट के बेड पर लगे मॉनिटर को डॉक्टर्स देख सकेंगे. नौसेना ने इसका सफल परीक्षण विशाखापट्टनम के एक अस्पताल में किया है.
इस तकनीक (सॉफ्टवेयर) की मदद से आईसीयू में भर्ती मरीज के साइड में लगे मॉनिटर पर जो भी पैरामीटर दिखाई पड़ेगें वो बाहर नर्सिंग-स्टेशन में लगे डिस्पिले में भी दिखाई पड़ेगा. ऐसे में ना ही डॉक्टर और ना ही नर्स को बार-बार मरीज का बीपी, पल्स, ऑक्सीजन लेवल इत्यादि देखने के लिए बार-बार आईसीयू में नहीं जाना पड़ेगा और कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव हो सकेगा.
भारतीय नौसेना के प्रवक्ता, कमांडर विवेक मधवाल के मुताबिक, हाल ही में विशाखापट्टनम स्थित पूर्वी कमान ने एक मल्टीफीड पॉर्टेबल आक्सीजन सिस्टम तैयार कर विशाखा इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साईंसेज़ में सप्लाई किया था. उसी दौरान इंस्टीट्यूट के डॉयरेक्टर ने इस तरह की किसी रिमोट-मॉनिटरिंग तकनीक को ईजाद करने की इच्छा जताई थी, ताकि हेल्थ-वर्कर्स को मरीज से कोरोना का संक्रमण कम हो सके. उसके बाद ही पूर्वी नौसेना कमान के दो नेवल ऑफिसर और डॉकयार्ड के चार वर्कर्स ने मिलकर इस ‘सोल्यूशन’ (सॉफ्टवेयर) को तैयार किया.
प्रवक्ता के मुताबिक, इस तकनीक से विशाखा इंस्टीट्यूट के आईसीयू में मौजूद सभी 48 बेड्स का ऑडियो-वीडियो को आईसीयू के बाहर स्थित नर्सिंग-स्टेशन के एक बड़े से डिस्पिले पर देखा जा सकता है. जरूरत पड़ने पर मॉनिटर को जूम़ करके किसी भी एक पेशेंट के पैरामीटिर्स भी देखे जा सकते हैं. खास बात ये है कि अगर किसी पेशेंट के पैरामीटर में जरा भी कोई गड़बड़ी होती हैं तो मॉनिटर का अलार्म बज उठता है. ऐसे में नर्सिंग-स्टाफ या डॉक्टर तुरंत आईसीयू में पेशेंट के पास पहुंच सकते हैं.
इसी तरह से एचडीएमआई-इथरनेट कनर्वटर के जरिए आईसीयू के मरीजों को ड़ॉक्टर भी अपने मोबाइल फोन पर कहीं से भी मॉनिटर कर सकता है. इसके लिए सिर्फ मोबाइल फोन में इंटरनेट की जरूरत पड़ेगी.
कमांडर मधवाल के मुताबिक, पूर्वी कमान की टीम को इस तकनीक को तैयार करने में छह दिन का समय लगा. आपको बता दें कि पूर्वी नौसेना कमान ने जो मल्टीफीड ऑक्सीजन सिस्टम हाल ही में तैयार किया था उसका सफल इस्तेमाल विशाखापट्टनम में गैस-लीक घटना के दौरान स्थानीय अस्पतालों में किया गया था. इस सिस्टम के तहत एक ही सिलेंडर से एक साथ छह मरीजों को ऑक्सीजन दी जा सकती है.