तेजस्वी यादव ने फिर एक बार मंगल पांडेय पर साधा निशाना, पूछा- क्यूं कैंसिल किया गया था COVAS-800 की खरीद का ऑर्डर


पटना: नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को फिर एक बार सूबे के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को घेरा है. मंगल पांडेय के कल के प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को एक और प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने कई सवाल उठाए. उन्होंने मंगल पांडेय से पूछा, ” जिस COVAS -8800 की खरीद की बात आप कर रहें ,उसकी खरीद 5 महीने हो गए अभी तक क्यों नहीं की गई? 24 जून को परचेज आर्डर (PO) को क्यों कैंसिल करना पड़ा? हेल्थ इमरजेंसी में तत्परता दिखानी चाहिए तो आप और आपके मुख्यमंत्री बंगले में बंद हैं. आखिर संक्रमण का फैलाव क्यों नहीं रुक रहा? आखिर अभी तक पर्याप्त ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर और वेंटिलेटर की खरीद क्यों नहीं की गयी? आपलोगों का जो धीमा एप्रोच है, हर मोड़ पर यही कहना पड़ेगा कि “अब पछताय होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत “

तेजस्वी ने कहा, ” कल प्रेस कॉन्फ्रेंस में मेरे द्वारा प्रस्तुत तथ्यों और आंकड़ों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और स्वास्थ्य मंत्री को इतनी बेचैनी और पीड़ा पहुंची है कि शाम में मंगल पांडेय को आनन फानन प्रेस कांफ्रेंस कर इस सच्चाई पर पर्दा डालने के साथ ही लीपा-पोती करनी पड़ी. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय की खीझ और झुंझलाहट से ही पता चल गया की कोरोना को लेकर उनकी तैयारी क्या है.

तेजस्वी ने कहा, ” कोई भी व्यक्ति गुस्सा या झुंझलाहट में कब आता है ये आप सभी लोगों को भली-भांति मालूम होगा. एक जिम्मेदार विपक्ष के नाते मेरा कर्तव्य बनता है कि सरकार की कमियों और खामियों को उजागर करूं और जनहित के मुद्दों पर सवाल करूं. चूंकि कोरोना एक ऐसी स्वास्थ्य संकट है जिससे हमारे साढ़े बारह करोड़ बिहारी भाई-बहन सीधे तौर पर खतरे में हैं और उनकी जिंदगी दावं पर लगी है. मैं स्वाभिक रूप से चुप नहीं बैठ सकता और सरकार को भी चुप्पी साध सोने नहीं दूंगा. एक तरफ स्वास्थ्य मंत्री चिठ्ठी लिख कर सुझाव मांगते हैं और जब हम सकारत्मक सुझाव देते हैं तो उस पर आग-बबूला हो जाते.”

उन्होंने कहा, ” कोरोना का संक्रमण बहुत तेजी से फैल रहा और स्तिथि वाकई चिंताजनक है. जिस प्रकार नीतीश कुमार का “कानून अपना काम करता है ” उसी राह पर “कोरोना भी अपना काम कर रहा है.” कल कोरोना कुल मरीजों की संख्या एक लाख और मृत्यु की संख्या 500 हो जाएगी. वर्तमान डॉबलिंग रेट के अनुसार इस महीने के आखिर तक दो लाख मरीज हो जायेंगे. नीतीश कुमार के शब्दों में अगर कहें तो कोरोना न किसी को बचाता है और न ही किसी को फंसाता है. लाख गोल-माल ,झोल-झाल के बावजूद कोरोना संक्रमण की सच्चाई छुप नहीं पा रही और इसी वजह से नीतीश कुमार सदमें में हैं.

तेजस्वी ने कहा, कि अब अगर तथ्यों की बात करें तो मैंने मंगल पांडेय के बातों को ही दोहराया है और इसके प्रमाण के लिए मैं उनके ही विभाग की ओर से जारी 2 अगस्त की कोविड बुलेटिन आपके समक्ष पेश कर रहा हूं 2 अगस्त तक कुल 6,12,415 जांच हुए थे जिसमें RT-PCR जांच 3,24,000 हुए जो की 52. 9 % हुआ, उसी प्रकार 1,10,000 TrueNat जाँच हुए जो की 17. 9 % हुआ और 1,78,00 एंटीजन टेस्ट हुए जो की 29 % हुआ. अब आप ही बताईये मैंने क्या गलत बोला, फैक्ट को जस का तस रखने से कौन सा भ्रम पैदा हुआ ?

तेजस्वी ने कहा ” नीतीश कुमार ने 11 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 6100 RT-PCR टेस्ट होने की बात कही थी और उन्होंने संभवतः 10 अगस्त का ही आंकड़ा बताया होगा. उस दिन के बुलेटिन के अनुसार 75346 जांच हुए थे जो कि मात्र 8 प्रतिशत हुआ. अब आप बताएं मैंने कौन सा गलत तथ्य पेश किया ? कल प्रेस कांफ्रेंस में स्वास्थ्य मंत्री खुद मान रहें की बिहार की RT-PCR और TrueNat मिलाकर जांच क्षमता मात्र साढ़े दस हजार (10500) की है. आप खुद तय करें कौन भ्रम फैलाने का काम कर रहा है.”

उन्होंने कहा, ” आप सभी को मालूम है कि कोरोना मरीज को सबसे ज्यादा सांस लेने में दिक्कत होती है, इसलिए इलाज में ऑक्सीजन सप्लाई की सबसे ज्यादा जरूरत होती है. मैंने सरकार से एक लाख ऑक्सीजन युक्त बेड्स तैयार करने की मांग की अब बताईये इसमें क्या भ्रामक है? क्या अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्था की मांग करना भ्रामक है? 13 अगस्त तक 31467 एक्टिव केस हैं और पूरे बिहार में मात्र 10 हजार 482 ऑक्सीजन युक्त बेड्स उपलब्ध हैं, ये खुद नीतीश कुमार अपने प्रेस रिलीज़ में बोल रहे हैं. साढ़े बारह करोड़ आबादी के लिए मात्र 10,482 ऑक्सीजन युक्त बेड्स, इसीलिए मैं कहता हूँ की बिहार में सबकुछ भगवान भरोसे है.”

तेजस्वी ने कहा कि मैं पूछना चाहता हूँ की आखिर पांच महीनों में सरकार ने क्या किया? बाकी राज्यों ने टेस्टिंग कैपेसिटी और अस्पतालों की कैपेसिटी कैसे बढ़ा लिया और बिहार अभी तक कछुए की चाल चलते हुए फिसड्डी हो गया.

उन्होंने कहा, ” बिहार की हालत यह है की जब जांच की जरूरत 10 हजार थी तो बमुश्किल 1 हजार भी नहीं हो पाती थी, जब 50 हजार की जरूरत थी तो 5 हजार नहीं हो पाई और आज जब 1 लाख की जरूरत है तो RT-PCR 6100 खिंचतान कर हो पा रहा है. वही स्तिथि अस्पतालों में जरूरी सुविधाओं की है. इतनी दयनीय स्तिथि तो मैं समझता हूं किसी भी राज्य में नहीं है और किसी से छुपा भी नहीं है.”



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