दवा विक्रेताओं के संगठन ने अमेजन के सीईओ को लिखा पत्र, कहा भारत में ई- फार्मेसी गैर-कानूनी


 कैमिस्ट और दवा विक्रेताओं की शीर्ष संस्था ने अमेजन के सीईओ जेफ बेजोस को एक पत्र भेजकर चेताया है कि भारत में ई- फार्मेसी गैर कानूनी है। दुनिया की यह सबसे बड़ी ऑनलाइन विक्रेता कंपनी भारत में ऑनलाइन दवा बिक्री के क्षेत्र में उतरना चाह रही है।  बता दें । अमेजन इंडिया ने भी ऑनलाइन दवा बेचने का ऐलान किया है वहीं फ्लिपकार्ट भी ई-फॉर्मेसी में उतरने की तैयारी कर रही है।  रिलायंस, अमेजन और फ्लिपकार्ट की एंट्री से दवा बाजार में जहां प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी वहीं ग्राहकों को इससे सस्ती दवा भी मिलेगी।ऑल इंडिया आर्गनाइजेशन ऑफ केमिस्ट एण्ड ड्रगिस्ट (एआईओसीडी) ने 14 अगस्त को जेफ बेजोस को पत्र लिखा है। इसके साथ ही अमेजन की भारतीय इकाई के सीइर्ओ अमित अग्रवाल को भी यह पत्र भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि ऑनलाइन दवाईयों की बिक्री भारत में काफी विवादास्पद रही है। इसमें कई मामले अदालत में पहुंचे हैं। 

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 एआईओसीडी ने पत्र में कहा है, ”हमें पता चला है कि अमेजन डाट इन ने ऑनलाइन फार्मेसी के क्षेत्र में उतरने का फैसला किया है। हम आपको इसी संदर्भ में यह लिख रहे हैं कि भारत में ई- फार्मेसी गैर- कानूनी है और दवा एवं प्रसाधन कानून एवं नियमों के तहत इसकी मान्यता नहीं है। इस महीने की शुरुआत में अमेजन ने बेंगलूरू में ऑनलाइन फार्मेसी की शुरुआत की है। उसने ओवर दि काउंटर और डाक्टर की पर्ची के आधार पर दोनों तरह से दवा के लिये आर्डर लेने शुरू किये हैं। वह कुछ परंपरागत औषधियां भी बेच रही है। 

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बता दें कोरोना से निपटने के लिए लॉकडाउन के दौरान ई-फार्मेसी या यूं कहें टेलीमेडिसीन ने अन्य बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए बड़ा मददगार साबित हुआ। यही वजह है कि ई-कामर्स और ई-फार्मेसी  के कारोबार में बड़ा उछाल आ गया है। इस अवसर को भुनाने के लिए रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड ने डिजिटल फर्मा मार्किट प्लेस नेटमेड्स में 620 करोड़ रुपये में बड़ी हिस्सेदारी खरीदी है

मेडिकल स्टोर्स कर रहा विरोध

मेडिकल स्टोर इंडस्ट्री ने फार्मेसी बिजनेस में दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन की एंट्री का विरोध किया है। इंडस्ट्री ने इसे गैर-कानूनी बताते हुए ऐमजॉन को कोर्ट में घसीटने की धमकी दी है। इस बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को पत्र लिखा है। इससे पहले भी मेडिकल स्टोर्स इंडस्ट्री ने ई-फार्मेसी पर रोक लगाने की मांग की थी। यह मामला कोर्ट में पहुंचा था। उसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने कानून लाकर इस कारोबार को वैध किया था। 





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