Edited By Vineet Tripathi | एएनआई | Updated:
- दिल्ली के उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार के दो बड़े फैसलों को पलटा था
- उपराज्यपाल अनिल बैजल ने कहा, ये आदेश संविधान का हनन
- देश में स्वास्थ्य का अधिकार भी सभी का- अनिल बैजल
नई दिल्ली
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल (Anil Baijal) ने सोमवार को दिल्ली सरकार के दो बड़े फैसलों को बदल दिया था। जिसके बाद आप सरकार ने इसे राजनीतिक कदम बताया था। इस मामले में अनिल बैजल (Anil Baijal) ने बताया है कि आखिरकार उन्होंने दिल्ली सरकार के फैसले को क्यों बदला। बैजल ने कहा कि दिल्ली सरकार का ये फैसला संवैधानिक अधिकारों का हनन करता है और ये मेरा अधिकार है कि मैं ऐसा न होने दूं।
क्या कहा एलजी अनिल बैजल ने?
उप-राज्यपाल अनिल बैजल ने कहा, ‘ये ऑर्डर संविधान के अधिकारों का हनन करता है और दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच का एक जजमेंट है जिसमें चीफ जस्टिस ऑफ दिल्ली और एक दूसरे जज से कहा था कि Right To Equality (समानता का अधिकार) और Right To Live (जीने का अधिकार) के साथ में उन्होंने Right To Health (स्वास्थ्य का अधिकार) को भी जोड़ा था। अगर इस तरह का आदेश जिसमें क्षेत्र के हिसाब से इलाज को मना किया जाता तो ये संविधान का हनन होता। इसलिए मेरे पास ये अधिकार था कि मैं इसको बदलूं ताकि स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ सभी को मिल सके।”
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बदला दिल्ली सरकार का फैसला
गौरतलब है कि दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल (Anil Baijal) ने दिल्ली के अस्पतालों (Delhi Hospital) में केवल राजधानी के लोगों के इलाज को लेकर दिए केजरीवाल सरकार के फैसले को पलट दिया था। नए आदेशों के मुताबिक अब कोई भी व्यक्ति दिल्ली के अस्पतालों में इलाज करा सकता है। इसके साथ ही उप-राज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली सरकार का एक और फैसला बदल दिया है। अब कोरोना के संदिग्ध मरीज भी 5 से 10 दिन के भीतर कोरोना टेस्ट करा सकते हैं।
दिल्ली में सिर्फ दिल्लीवासियों के इलाज के फरमान को पलटने के बाद उपराज्यपाल ने कहा था कि कोरोना के संदिग्ध मरीज भी 5 से 10 दिन के भीतर कोरोना टेस्ट करा सकते हैं। उपराज्यपाल ने जारी आदेश में कहा है कि अब कोरोना के लक्षण नहीं दिखाई वाले उन संदिग्धों की टेस्टिंग भी होगी, जो सीधे किसी कोरोना पॉजिटिव के संपर्क में आए हैं। उन्होंने कहा वह 5 से लेकर 10 दिन के अंदर कोरोना टेस्ट करवा सकते हैं।